(मोहित सैनी)
नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) दक्षिण दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में बुधवार तड़के ‘भूमिहीन झुग्गी-झोपड़ी कैंप’ पर बुलडोजर चलने के बीच यहां रहने वाले परिवार अंधेरे में ही अपना थोड़ा-बहुत सामान समेटने में जुट गए। सूरज उगने तक राष्ट्रीय राजधानी की भीषण गर्मी में सैकड़ों लोग बेघर हो चुके थे।
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने बताया कि डीडीए की अतिक्रमण की गई भूमि पर 344 झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया गया और इनमें से अधिकांश झुग्गियों में लोग नहीं रहते थे।
अदालत ने किसी भी कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई है।
निराश निवासियों में 45 वर्षीय सत्यवती भी शामिल है, जो एक घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है। उसका जन्म और पालन-पोषण उसी कैंप में हुआ था, जो अब मलबे में तब्दील हो चुका है।
सत्यवती ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मेरा जन्म यहीं हुआ था। मेरे माता-पिता की मौत भी यहीं हुई थी। मैं अपने पति के साथ नहीं रहती। मैं अपनी 16 वर्षीय बेटी और बेटे की अकेले देखभाल करती हूं।”
उसने कहा, “हम सुबह से ही सड़क पर हैं। हमने कुछ नहीं खाया। बहुत गर्मी है, फिर भी मैं तुगलकाबाद में यह देखने आई हूं कि क्या मुझे किराये पर कोई कमरा मिल सकता है।”
सत्यवती की आवाज और चेहरे पर थकान साफ झलक रही थी।
वह पास के बंगलों में बर्तन धोने का काम कर छह से सात हजार रुपये महीने कमाती है, लेकिन आज उसे नहीं पता कि वह इस हफ्ते भी कैसे गुजारा करेगी।
सत्यवती ने कहा, “हमने सोचा था कि तोड़फोड़ सुबह 10 या 11 बजे शुरू होगी, लेकिन वे तड़के पांच बजे ही आ गए। लोग उस समय सो रहे थे।”
यह तोड़फोड़ अभियान ऐसे समय में शुरू हुआ, जब दिल्ली भीषण गर्मी की चपेट में है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दिल्ली के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है और शहर के कुछ हिस्सों में तापमान 45.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
डीडीए की कार्रवाई के समय ने सड़कों पर रहने के लिए मजबूर हुए लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
एक अन्य महिला ने बताया, “हमारे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है।”
महिला ने अपना समेटा हुआ सामान प्लास्टिक की थैलियों में भर रखा था।
उसने दावा किया, “‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ के वादे किए गए थे, लेकिन हमें कभी कोई फ्लैट आवंटित नहीं किया गया। अब हमें सड़क पर रहना होगा।”
कैंप के अधिकांश निवासी बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिक हैं।
डीडीए ने नौ जून को निवासियों को नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्हें कैंप खाली करने के लिए तीन दिन का समय दिया गया था।
नोटिस के मुताबिक, “कालकाजी एक्सटेंशन स्थित भूमिहीन कैंप के सभी निवासियों को अदालत के निर्देशों के अनुसार सूचित किया गया था कि अवैध कब्जों को ध्वस्त किया जाएगा।”
तोड़फोड़ शुरू होते ही पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी।
एक अधिकारी ने बताया, “हमने अभियान का संचालन शांतिपूर्ण तरीके से सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया है। किसी को भी कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
भूमिहीन कैंप में मई 2025 और जुलाई 2023 में भी अतिक्रमण हटाने से संबंधित अभियान चलाए गए थे।
डीडीए के अनुसार, हालिया कार्रवाई दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से रिट याचिकाओं को खारिज करने के बाद की गई है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि सरकार अदालती आदेशों की अवहेलना नहीं कर सकती। उन्होंने रविवार को कहा था, “विस्थापित परिवारों को आवास मुहैया कराया जा रहा है।”
हालांकि, कई निवासियों ने दावा किया कि उन्हें अब तक कोई मदद नहीं मिली है।
भाषा जितेंद्र पारुल
पारुल
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