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Monday, 4 November, 2024
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दिल्ली: पानी की आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ी केजरीवाल सरकार, अगली बारिश में लागू होगी पूरी योजना

आपको बता दें कि यमुना के मामले में दिल्ली सरकार का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा. देश की राजधानी दिल्ली में सीवेज एक बड़ी समस्या है.

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नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार बेहद तेज़ी से फैसले लेने लगी है. ताज़ा फैसले में सीएम केजरीवाल ने ट्वीट करके बताया कि उनकी सरकार ने पानी के मामले में दिल्ली को आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय लिया है. उन्होंने एक ट्वीट करके इसकी जानकारी दी. हालांकि, दिल्ली सरकार के मुताबिक इस फैसले को पूरी तरह से अगले साल तक ही लागू किया जा सकेगा, क्योंकि इस साल महज़ इसका ट्रायल ही संभव है.

सीएम ने इसे दिल्ली वालों के लिए बड़ी ख़बर बताते हुए लिखा, ‘कैबिनेट ने आज हमारे शहर को पानी की ज़रूरत के मामले में आत्मनिर्भर बनाने से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है. इस मॉनसून यमुना नदी के बाढ़ के मैदानों में प्राकृतिक पानी के को इक्ट्ठा किए जाने टेस्ट किया जाएगा.’

उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने सभी भवनों के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया है. बिल्डिंगों से जुड़े एचओडी को ये निर्देश दिया गया है कि अगर उनके बिल्डिंग में यह सिस्टम नहीं है तो वो इसे लगाने का काम करें और अगर है तो उन्हें साफ कराकर मॉनसून में होने वाली बारिश के लिए तैयार करें.

इस दौरान सीएम ने अख़बरों के हवाले से पूरी दुनिया में पानी की कमी की बात की, जानकारी मिलने की भी बात कही. उन्होंने ये भी कहा कि इन्हीं माध्यमों से ये भी पता चलता है कि देश के तमाम हिस्सों में पानी की कितनी कमी है. उन्होंने दिल्ली में भी ग्राउंड वॉटर लेवल ख़राब होने की बात कही. इन्हीं का हवाला देते हुए उन्होंने पानी के संचयन की इस योजना की जानकारी दी.

हालांकि, उन्होंने ये स्वीकार किया कि इस बार सरकार के पास समय कम रह गया है, लेकिन ये भी कहा कि इस बार ठोस शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि इससे जुड़ी तमाम रिपोर्ट्स इस ओर इशारा करती हैं कि इसमें बहुत संभावना है. सीएम ने ये भी कहा कि अगले साल वो इसे पूरी तरह से लागू कर देंगे. आपको बता दें कि फरवरी महीने में दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने वाला और भारत में मॉनसून जून तक आता है.

सीएम ने पल्ला से वजीराबाद तक पानी के संचयन की बात कही और कहा कि ये सब प्राकृतिक तरीके से किया जाएगा. प्लान ये है कि बारिश से होने वाले ओवरफ्लो के पानी को यमुना में तालाब बनाकर वहां तक पहुंचाया जाएगा. सीएम की मानें तो वहां से पानी रिस कर नीचे जाएगा. यानी इससे ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ने की संभावना है.

उन्होंने कहा कि इस पर केंद्र से अनुमति लेनी रह गई है. इस सिलसिले में उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की भी बात कही और इसके काफी सकारात्मक रहने की भी बात कही. उन्होंने उम्मीद जताई कि इसमें जल्द अनुमति मिलने की संभावना है. वहीं, उन्होंने कहा कि ये ज़मीनें किसानों के पास हैं और उनसे दिल्ली सरकार को किराए पर ज़मीन लेनी पड़ेगी. किराया तय करने के लिए पांच लोगों की एक समिति बनाई गई है.


यह भी पढ़ें: 200 मिलियन गैलन ‘मैले’ से रोज़ मैली हो रही है यमुना, दिल्ली सरकार रही हल खोजने में ‘नाकाम’


आपको बता दें कि यमुना के मामले में दिल्ली सरकार का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा. देश की राजधानी दिल्ली में सीवेज एक बड़ी समस्या है. दिल्ली में रोज़ 700 मिलियन गैलन से ज़्यादा सीवेज पैदा होता है. इसमें से 200 मिलियन गैलन से ज़्यादा का ट्रीटमेंट नहीं हो पाता और ये सीधे यमुना नदी में गिरता है. ये आलम तब है जब राजधानी में पानी के कर्ता-धर्ता और दिल्ली जल बोर्ड सीधे अरविंद केजरीवाल के हाथों में है.

बिना ट्रीटमेंट वाले सीवेज से व्यापक स्तर पर निपटने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को एक जून तक का समय दिया था लेकिन बोर्ड ऐसा नहीं कर पाया. डीजेबी के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा था कि निकट भविष्य में सीवेज संकट थमने की कोई संभावना नहीं है.

उल्टे उच्च तकनीक से लैस देश की राजधानी दिल्ली में यमुना को मारा जा रहा है. सरकार हो या विभाग दिल्ली की लाइफ-लाइन कही जाने वाली यमुना में गंदगी तो धड़ल्ले से गिर रही है लेकिन साफ-सफाई को लेकर उदासीन रवैया बनाया हुआ है. इससे यह कहा जा सकता है कि यमुना कुछ सालों में सिर्फ नाम की रह जाएगी. ऐसे में चुनावी मौसम में सीएम केजरीवाल सरकार के इस वादे का वर्तमान और भविष्य गंभीर सवालों के घेरे में है.

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