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गुरूवार, 1 मई, 2025
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दिल्ली: अदालत ने बलात्कार के झूठे मामले दर्ज कराने और निपटाने की ‘प्रवृत्ति’ पर चिंता जताई

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नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने विवाह के आधार पर बलात्कार के मामले को खारिज करने से इनकार करते हुए कहा कि शिकायत दर्ज कराने और फिर इसे वापस लेने की ‘प्रवृत्ति’ पर अंकुश लगाया जाना चाहिए क्योंकि फर्जी मामलों से वास्तविक पीड़ितों के साथ गंभीर अन्याय होता है।

न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने 29 अप्रैल को पारित एक फैसले में कहा कि यदि वर्तमान मामले में शिकायत झूठी निकली, तो वर्तमान चरण (पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र) में इसे खारिज करना आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रक्रिया के दुरुपयोग को बढ़ावा देगा।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यदि शिकायत वास्तव में सच है, तो आरोपी के साथ उदारता बरतते हुए असहाय पीड़िता को उसके साथ विवाह के लिए मजबूर करने के बजाय राज्य को भोजन, आश्रय और कपड़े की व्यवस्था करके उसके लिए एक सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना होगा।

यह मामला एक महिला के आरोपों से जुड़ा है। महिला ने कहा कि याचिकाकर्ता (आरोपी पड़ोसी) द्वारा उसके साथ बलात्कार और दुराचार किया गया और आपत्तिजनक तस्वीरों के आधार पर उसे ब्लैकमेल किया गया।

महिला ने दावा किया कि इस मामले में दूसरे याचिकाकर्ता (पहले आरोपी व्यक्ति का साला) ने भी उसका यौन शोषण किया। दोनों आरोपियों ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए तर्क दिया कि मुख्य याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता से शादी कर ली है।

अदालत ने कहा, ‘‘मैं इस बात से संतुष्ट नहीं हूं कि दर्ज प्राथमिकी और/या उसके बाद की कार्यवाही को वर्तमान में किसी भी तरह से अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जा सकता है या इसे रद्द करने से न्याय का उद्देश्य पूरा हो जाएगा।’’ अदालत ने कहा कि अगर महिला मुकदमे के दौरान गवाह के कठघरे में मुकर भी जाती है, तो भी अभियोजन पक्ष द्वारा उसकी गवाही का परीक्षण किया जाएगा और झूठी शिकायत दर्ज कराने के लिए उचित परिणाम भुगतने होंगे।

अदालत ने कहा, ‘‘यदि शिकायतकर्ता (महिला) द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत, जिसके कारण प्राथमिकी दर्ज की गई और उसके बाद कार्यवाही की गई, सत्य नहीं है, तो उसे खारिज करना आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रक्रिया के दुरुपयोग को प्रोत्साहित करने के समान होगा।’’

अदालत ने कहा कि समाज में पहले झूठी शिकायतें दर्ज कराने और बाद में उसे वापस लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है जिस पर रोक लगाने की आवश्यकता है।

भाषा संतोष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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