नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) एक शाम दास्तांगोई की प्रस्तुतियों की होगी, जिसमें कविताएं, संगीत और कथाओं के जरिये 11 अक्टूबर को कमानी ऑडिटोरियम में सिनेमा के महान निर्देशक गुरु दत्त को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।
यह संगीतात्मक श्रद्धांजलि ‘दास्तान-ए-गुरु दत्त’ उनके जन्म शताब्दी वर्ष और शुक्रवार को उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित की जा रही है।
यह दास्तान अब्बास कमार द्वारा लिखी गई है और इसे फौजिया दास्तांगो द्वारा सुनाया जाएगा, जो मीना कुमारी, मधुबाला, कृष्णा और राम पर अभिनव प्रस्तुतियों के लिए जानी जाती हैं।
फौजिया के साथ गायक लतिका जैन भी होंगी जो गुरु दत्त की फिल्मों के गीत प्रस्तुत करेंगी। यह कार्यक्रम पारंपरिक कहानी कहने और संगीत की शैली में गुरु दत्त के जीवन और कला को मंच पर जीवंत करेगा।
फौजिया दास्तांगो ने एक बयान में कहा, ‘‘गुरु दत्त सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक भावना हैं – एक शाश्वत आत्मा जिन्होंने अपने सिनेमा के जरिए गहरी मानवीय भावनाओं को व्यक्त किया। दास्तान-ए-गुरु दत्त के माध्यम से मैं उनकी जिंदगी और कला को आज की पीढ़ी तक पहुंचाना चाहती हूँ ताकि उनका प्रकाश सदैव चमकता रहे।’’
लतिका जैन ने कहा, ‘‘मैं गुरु दत्त की कहानी का हिस्सा बनने के लिए गहराई से आभारी महसूस करती हूँ। जब मैं मंच पर उनके गीत गाती हूँ, तो ऐसा लगता है जैसे मैं उनकी कहानियों को उनके निर्देशन में आगे बढ़ा रही हूँ। यह मेरे लिए अवसर और जिम्मेदारी दोनों है।’’
रूपाली और विकास जालान द्वारा तैयार यह कार्यक्रम डिजिटल आर्काइव सिनेमाज़ी की संस्थापक आशा बत्रा के शोध पर आधारित है।
विकास जालान ने कहा, ‘‘संगीत, नृत्य, कला और थिएटर पर केंद्रित कार्यक्रम सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विविध परंपराओं का जश्न मनाते हैं, पारस्परिक सम्मान को प्रोत्साहित करते हैं और लोगों को विभिन्न सांस्कृतिक पहचान को समझने में मदद करते हैं। ये रचनात्मक अभिव्यक्तियां समुदायों के बीच पुल बनाती हैं और वैश्विक विरासत की सराहना को बढ़ावा देती हैं। यह हमारा एक छोटा प्रयास है।’’
भाषा मनीषा नरेश
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