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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशनाचने, गाने और एक्टिंग में भी माहिर हैं हमारे अधिकारी, IAS ऐसे तोड़ रहे हैं अपनी ‘स्टील फ्रेम’ वाली इमेज

नाचने, गाने और एक्टिंग में भी माहिर हैं हमारे अधिकारी, IAS ऐसे तोड़ रहे हैं अपनी ‘स्टील फ्रेम’ वाली इमेज

दिल्ली क्राइम सीजन-2 में अभिनय करने वाले अभिषेक सिंह से लेकर गाना गाने वाले IAS अधिकारी डॉ. हरिओम तक, भारत के IAS अधिकारी प्रशासन से अलग अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: भारत में आईएएस होने का मतलब है एक काफी ताकतवर लेकिन एकदम नीरस, रूखे स्वभाव वाला अधिकारी, जो नियम-कायदों की लीक पर चलता रहता है, फाइलों के अंबार में घिरा रहता है और अमूमन सफेद तौलिये से लिपटी अपनी कुर्सी पर बैठकर प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाता नजर आता है. लेकिन हाल में एक गाना वायरल हुआ जिसे कश्मीर के डल झील में शिकारे पर बैठकर गाने वाला कोई और नहीं बल्कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डॉ. हरि ओम हैं.

अपने गाने के टैलेंट से सुर्खियों में आए डॉ. हरि ओम अकेले नहीं हैं. अमूमन चुपचाप फाइलों में सिर खपाए रहने वाले अधिकारियों का एक नया चेहरा सामने आ रहा है. ये अधिकारी गाना गाकर, डांस करके या फिर एक्टिंग के जरिये सिर्फ अपना शौक ही पूरा नहीं कर रहे बल्कि अपना टैलेंट दुनिया के सामने लाकर वाहवाही भी लूट रहे हैं. ये अपने नाचने-गाने का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं, वो जंगल में आग की तरह वायरल हो जाता है. थोड़ा अलग अंदाज में कहें तो इनकी गति सरकारी फाइलों के आगे बढ़ने की तुलना में काफी तेज होती है.

भारत में पूरी संजीदगी से सिर्फ प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहने वाले अधिकारियों की सूरत अब बदल रही है, वो अपनी कला का शौक भी पूरा कर रहे हैं, और लोग उसके इस टैलेंट पर तालियां बजा रहे हैं. ये इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब के नए सेंनसेशन हैं.

डल लेक पर इससे पहले लोगों ने जब रोमांटिक गाना गाया होगा तो वो किसी म्यूजिक वीडियो या फिर बॉलीवुड फिल्म का रहा होगा. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी ने जब अपना लिखा गाना यहां गाया तो वो वायरल हो गया.

यूपी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी रैंक के आईएएस अधिकारी डॉ. हरि ओम का जो एक गाना बहुत ही पॉपुलर हुआ वो था, मैं तेरे प्यारा का मारा हुआ हूं, सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं. ये गाना लिखा भी उन्होंने ही है. वो अक्सर जगजीत सिंह, गुलाम अली, तलत महमूद आदि गायकों के गाने भी गुनगुनाते रहते हैं.

2007 में वह गोरखपुर में पोस्टेड थे जहां योगी आदित्यनाथ का मठ है और जो उनका चुनाव क्षेत्र भी है. उस समय उन्होंने भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर 11 दिनों के लिए जेल में डाल दिया था. और फिर जब योगी सूबे के सीएम बने तो ऐसा माना जा रहा था कि अब वो इस आईएएस को बख्शेंगे नहीं लेकिन हुआ इसके विपरीत. इस अधिकारी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर अपनी किताब योगी को भेंट की और वो फोटो खूब वायरल भी हुई.

IAS officer presents his book to UP CM Yogi Adityanath | Dr Hari Om/ Twitter
आईएएस अधिकारी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी किताब गिफ्ट करते हुए/ डॉ. हरिओम/ ट्विटर

‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’

आईएएस अधिकारी को अपना म्यूजिक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करना काफी पसंद है. वह बताते हैं, ‘मैं हमेशा से ही कुछ अलग करना चाहता था. बचपन से ही मैं अपनी आवाज को लेकर लोगों से काफी तारीफें सुनता रहा हूं लेकिन समय की कमी होने के कारण मुझे अपने शौक को पूरा करने का मौका नहीं मिल रहा था.’

वह कहते हैं, ‘गाने को काफी समय तक नजरअंदाज करता रहा. लेकिन पैशन और शौक में जो फर्क होता है वो मुझे कुरेद रहा था. आज भी कुरेदता है. म्यूजिक मेरा शौक, मेरी आत्मा, मेरी खुशी है.’

पूरी सफलता के साथ अपने करियर के दस साल पूरे करने के बाद एक दिन मुझे लगा क्या मैं इसी में सिमटा रह जाऊंगा? हालांकि, बाथरूम से निकलकर मैंने अपने इस शौक को स्कूल कॉलेज और आईएएस अकादमी लबासना में भी भरपूर तरीके से पूरी किया था लेकिन कुछ और करने की इच्छा बनी रही.

हरिओम के 17 वर्षों में छह एल्बम आ चुका है. शुरुआती दिनों में उनके सीडी और कैसेट्स आए लेकिन अब तकनीक बदलने के बाद यू-ट्यूब पर गाना रिलीज करते हैं .वह अभी भी खुद को पार्ट-टाइम आर्टिस्ट कहते हैं.

वह 8000 से अधिक सब्सक्राइबर वाले अपने यूट्यूब चैनल पर हर महीने एक गाना रिलीज करते हैं. उनके प्रशंसकों की छोटी फौज उनकी आवाज की ‘प्योरिटी’ से मंत्रमुग्ध हो जाती है. उनके प्रशंसक उनकी आवाज और गाने की तारीफ में लिखते हैं, ‘बस कमाल की प्रस्तुति. भावपूर्ण आवाज…वास्तव में दिल को छू लेने वाला.’

तमाम कई अधिकारियों के लिए कोविड महामारी किसी कार्प डायम पल की तरफ थी. लेकिन समय पहले की तरह नहीं रहा. अब उन्होंने जिंदगी को भरपूर जीना सीख लिया है.

आईएएस राखी गुप्ता/ स्पेशल अरेंजमेंट

हरिओम की तरह 1997 बैच की ही पंजाब कैडर की आईएएस राखी ने अपना शौक 25 साल तक क्लोज फ्रेंड्स और फैमिली तक ही सीमित रखा था. लेकिन कोविड काल में जब पूरी दुनिया में मौत का तांडव जारी था, खुद कोविड का शिकार होकर रेम्डीसिवर और ऑक्सीजन लगाकर मौत के मुंह से निकलने की लड़ाई के दौरान ही राखी ने सोच लिया था, ये स्टील फेस, कड़क ऑफिसर का चेहरा नहीं ओढ़ना है. पहले अपना शौक पूरा करना है.और फिर क्या था, कोविड से उबरने के बाद जो पहला काम किया वो रटूंगी राधा नाम..के रूप में सामने आया. यह कई कई दिनों तक सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता रहा. उन्होंने न केवल अपना शौक पूरा किया बल्कि इस डर पर भी काबू पा लिया कि लोग क्या कहेंगे.

राखी कहती हैं कोविड के बाद मेरी जिंदगी बहुत बदल गई है. ‘मैं सभी से कहती हूं जिंदगीएक बार ही मिली है जो शौक हैं उसे पूरा कर लो.’

चूंकि उनकी मां गाती थीं इसलिए गायकी का शौक तो बचपन से ही था. उन्होंने बताया, ‘स्कूल के प्रोग्राम, कॉलेज के लगभग हर फंक्शन में माइक के सामने खड़ा कर दिया जाता था फिर क्या था हमारा शौक बढ़ता गया. फिर आईएएस एकेडमी में भी इसी तरह हमारे हुनर को नया आयाम मिलता रहा.’

वह आगे कहती हैं, ‘फिर काम और घर-परिवार की जिम्मेदारियों ने गाने के शौक को कहीं पीछे ही छोड़ दिया मैं भूल ही गई कि मैं गाती भी हूं.’

‘लेकिन जिंदगी ने एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया कि सोचने को मजबूर हो गई कि जिंदगी बस एक बार मिली है. कोविड ने हमें जिंदगी जीना तो सिखा ही दिया. मैं किसी पार्टी में साथियों के साथ गुनगुना रही थी उसमें म्यूजिक इंडस्ट्री के जुड़े भी कई लोग थे जिन्होंने मुझे गाने का ऑफर दिया. एक दिन मैंने समय निकाल कर गाना रिकॉर्ड कर दिया.’

अभी गाना रिकॉर्ड किया था कि कुछ दिनों बाद खबर आई की मेरे गाने को टाइम्स म्यूजिक ने पसंद कर लिया है और फिर क्या था जब 2020 में पूरी दुनिया कोविड की चपेट में थी तब अक्टूबर में मेरा गाना रिलीज हुआ और ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा.

मैंने भजन गाया था- मैं रटूंगी राधा नाम. उसके बाद मैंने कृष्ण पर भजन गाया.

म्यूजिक आपका तनाव घटा देता है

आईएएस अधिकारियों की ताकत तो सभी को दिखाई देती है लेकिन उनके काम को कोई समझ नहीं सकता. जिम्मेदारियां और काम के बोझ के आगे खुशियां कहीं गुम हो जाती हैं. एक आईएएस अधिकारी चाहे जिला मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात हो या फिर सचिवालय में, उसका काम एक ब्रेक-लेस, बोझिल, और अक्सर, 24×7 थैंकलेस जॉब है.

रचनात्मक गतिविधियों के लिए उनके जीवन में कोई जगह नहीं है. कठोरता ही उनके जीवन का हिस्सा है.

हरिओम कहते है,’ हम किसी भी विभाग में हों कलेक्टर हों या अधिकारी अगर हम अपने काम को बोझ की तरह लेते हैं तो आपके कर्मचारी और आप खुद भी काम को इंज्वॉय नहीं कर पाते हैं.’

लेडी श्रीराम कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई करने वाली राखी गुप्ता के लिए, संगीत एक स्ट्रेस बस्टर है. उनका संगीत की दुनिया में आना भी अचानक ही हुआ.

वह बताती हैं कि फिल्म इंडस्ट्री से जुडे कुछ लोगों ने उन्हें गाने का ऑफर किया. ‘हमने गाना गाया भी. कुछ दिनों बाद टाइम्स म्यूजिक वालों ने मुझसे संपर्क किया और फिर गाना शूट भी किया गया.’

अपने काम और जिम्मेदारियों पर राखी कहती हैं, दुख और काम आपकी जिंदगी के साथ-साथ चलता रहते हैं लेकिन इसी में खुशियां तलाशनी हैं और अपने शौक पूरे करने हैं.

यह पूछने पर कि गाना गाने का और एक्टिंग का एक्सपीरिएंस कैसा था? राखी हंसते हुए कहती हैं कि एक तो मैं आईएएस और इतनी सीनियर क्या सोचेंगे सभी कि मैं क्या कर रही हूं..मैंने बहुत सोचा करूं की न करूं. लेकिन फिर मैंने कर दिया.

राखी बताती हैं, ‘अक्टूबर 2020 में जब पूरी दुनिया कोविड की गिरफ्त में थी तब मेरा ये गाना रिलीज हुआ. मैं ट्विटर पर ट्रेंड करने लगी.’ वह आगे कहती हैं, ‘मैं सच बताऊं कि मैंने खुद को कमरे में बंद कर लिया और मैंने शीशे में खुद को 10-10 बार देखा. बहुत अच्छा लगा..वैसे ही जब बच्चे की कोई इच्छा पूरी हो जाती है. क्योंकि मैं आज के जमाने में अपने आपको मिसफिट पाती हूं. मैं उपर से सभी को स्ट्रिक्ट दिखाती हूं जो मैं हूं नहीं.’

राखी गुप्ता कविताएं भी लिखती हैं जो कभी कभी फेसबुक और ट्विटर एकाउंट पर शेयर भी करती हैं.

The 2011-batch IAS officer Abhishek Singh | Facebook: Abhishek Singh
2011 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह/ फेसबुक: Abhishek Singh

आईएएस, आईपीएस समाज का ऐसा चेहरा हैं जिन्हें अपने शौक और पसंद को समाज से छिपाकर रखना पड़ता है. इनलोगों के शौक चंद दोस्तों और परिवार वालों के बीच ही सिमटकर रह जाते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में खासकर सोशल मीडिया और बदलती सोच ने इन्हें भी अपने शौक के साथ आगे आने का साहस दिया है.

सिर्फ गाना और डांस ही नहीं यहां ऐसे भी अधिकारी हैं जो एक्टिंग में भी सक्रिय हैं. पिछले दिनों नेटफ्लिक्स पर दिल्ली क्राइम-2 वेब सीरीज आई है जिसमें वह खुद आईएएस की भूमिका में नजर आ रहे हैं. अभिषेक दो साल पहले तब अचानक पॉपुलर हुए जब उनका टी-सीरीज का गाना दिल तोड़ के आया और वो कई दिनों तक सोशल मीडिया पर छाए रहे..

उनकी एक तस्वीर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ और फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के साथ भी इंस्टा पर है. भारतीय रैपर बादशाह के साथ भी वो एक गाने स्लो-स्लो पर डांस करते देखे जा रहे हैं.

वह कहते हैं, ‘मैं बाथरूम के अलावा कहीं गाना नहीं गाता हूं.’

दो साल पहले अपने गाने दिल तोड़ के से पॉपुलर हुए आईएएस अधिकारी, जो फिलहाल दिल्ली के उपायुक्त हैं, ने अपने करियर की शुरुआत एक शॉर्ट फिल्म चार पंद्रह से की थी जो 2020 में ही रिलीज हुई थी. जिसे पूरी तरह छात्रों ने बनाया था.

जब उनसे पूछा गया कि करियर के दस साल बाद अचानक एक्टिंग? कैसे? क्या बचपन का शौक या काम की बोरियत, तो जवाब में बोले-ये डेस्टिनी है.

अभिषेक सिंह को जब दिल्ली क्राइम में अभिनय का मौका मिला, तो उन्होंने फैसला लेने में जरा भी देर नहीं लगाई. उनके पुराने बॉस और दिल्ली के वर्तमान चुनाव आयुक्त विजय कुमार देव ने उन्हें काम करने की अनुमति भी दे दी लेकिन इस शर्त के साथ कि उनका काम प्रभावित नहीं होना चाहिए.

अभिषेक बताते हैं, ‘देखिए हीरो तो हर कोई होता है. जब हम अपने कमरे में शीशे के सामने होते हैं तो हम खुद को हीरो ही तो समझ रहे होते हैं. बस मौका मिलने की बात है मुझे मिला मैंने अपने काम के साथ अपने शौक को भी जगह दी. स्क्रीन टेस्ट के लिए चार लाइनें दी गईं थीं. और उनकी डायलॉग डिलीवरी देख सब हैरान रह गए और ये यकीन नहीं कर पाए की अभिषेक स्क्रीन के सामने पहली बार आ रहे हैं.

अभिषेक दिप्रिंट से बातचीत में कहते हैं, ‘कभी नहीं सोचा था कि एक्टिंग करूंगा. मैं इसे डेस्टिनी मानता हूं.’


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काम और शौक के बीच तालमेल

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले को गजब गाजियाबाद बनाने की कसम खा चुके निगमायुक्त महेंद्र सिंह तंवर का करियर भी एक दशक पार कर चुका है. निगमायुक्त का काम का समय शुरू तो सुबह आठ बजे ही हो जाता है लेकिन काम के खत्म होने का कोई समय नहीं होता. ऐसे में ये लिखना पढ़ना ही है जो उन्हें रिफ्रेश रखता है और विन विन फील कराता रहता है. पूरे दिन की सारी थकान बस दो लाइन लिखते ही छू मंतर हो जाती है.

वह कहते हैं कि ‘मैं लिखता तो कॉलेज के समय से ही हूं लेकिन पहले की लेखनी इमेच्योर थी लेकिन समय, उम्र और समझ के हिसाब से इसमें बड़ा बदलाव आया है. मुझे इंस्पायर क्या करता है ये तो मुझे पता नहीं लेकिन मेरा सोशल एक्सपोजर इतना है कि मैं हर तरह के लोगों से मिलता हूं. और यही एक्सपीरिएंस मेरी राइटिंग को मेच्योर करती है.’

वह कहते हैं, ‘इंस्पायर का तो पता नहीं लिखना मुझे अच्छा लगता है तो मैं लिखता हूं. वैसे भी हॉबी आपको ब्रेक देती है..राइटिंग पॉजिटिव ब्रेक देती है. मेंटल रिफ्रेश करती है. मैं कितना भी काम कर लूं अगर दो लाइनें लिख लेता हूं तो मुझे इनर्जी मिलती है. और शाम की यही मेरी एनर्जी मुझे विन विन सिचुएशन में ला देती है. और दूसरे दिन भी यह मुझे ऑफिस के काम में हेल्प करती है. ‘

महेंद्र सिंह तंवर ‘माही’ नाम से गाने लिखते हैं.

हालांकि, उन्होंने सरकार को इसकी सूचना दे दी है कि वो गाने लिखते हैं. महेंद्र अभी तक दस से अधिक गाने लिख चुके हैं. इस साल अभी तक उनके दो गाने एक हिंदी और एक हरियाणवी में रिलीज हो चुका है. उन्होंने अपना पेन नाम एमएसटी माही रखा है. लेकिन अपने शौक को पब्लिक डोमेन में आने नहीं दे रहे हैं. वो आईएएस की ही स्ट्रांग छवि बनाए रखना चाहते हैं. लेकिन वो ये कहते हैं कि मेरे शौक से मेरा काम बेहतर हो रहा है.

गाजियाबाद के वसुंधरा जोन स्थित डंपिंग ग्राउंड में 1 लाख टन कूड़ा साफ कराकर कुल 50 हजार पौधारोपण किया/ ट्विटर/@MSTawarIAS

इस साल अभी तक माही के दो गाने आ चुके हैं . पहला गाना आया नुमाइश, जिसे रंग ताल स्टूडियो ने रिलीज किया था. ये गाना वैलेंटाइन डे के अवसर पर 2022 में रिलीज किया गया था. वहीं एक हरियाणवी फिल्म में भी उन्होंने गाने लिखे हैं. तीन हफ्ते पहले रिलीज हुए इस गाने का 1 मिलियन व्यू हो गया है.

माही कहते हैं, ‘ मैं हिंदी, पंजाबी और हरियाणवी में लिखता हूं. ‘

तंवर का ऊंची हवेली एक हरियाणवी गीत है जो 240 मिलियन वियूज क्रास कर चुका है. यहां तक की उनके कुछ गानों को 50 लाख बार देखा जा चुका है.

IAS officer Kashish Mittal | YouTube
पूर्व आईएएस अधिकारी कशिश मित्तल/ यूट्यूब

हर कोई सिविल सर्विस और अपने क्रिएटिव करियर को एक साथ नहीं चला पाता है. कुछ इस्तीफा भी दे देते हैं.

इस नौकरी को बाय-बाय कह देना कोई बिलकुल आसान निर्णय नहीं होता. लेकिन कभी कभी उन्हें यह निर्णय लेना पड़ता है.

कुछ ऐसा ही हुआ नीति आयोग के अधिकारी रहे कशिश मित्तल के साथ जब उन्होंने सितंबर में एक दिन 2019 अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अरुणाचल प्रदेश-गोआ कैडर में रहे 2011 बैट के आईएएस अधिकारी कशिश नीति आयोग में एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे.

कशिश के लिए लेकिन ‘आई’ बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ जिसका हजारों लाखों भारतीय युवा सपना देखा करते हैं. आईआईटी और आईएएस. लेकिन कशिश के लिए उनका बचपन का प्यार क्लासिकल म्यूजिक उनपर हावी रहा.

कशिश ने 8 साल की उम्र में संगीत का दामन थाम लिया था. शायद वो संगीत ही था जिसने उन्हें हर जंग को लड़ने की हिम्मत दी. वो जो भी परीक्षा देते गए सब में पास करते गए. पंजाब कैडर में रहे वर्सेटाइल 2011 बैच के आईएएस कशिश मित्तल. हालांकि उन्होंने दस साल सरकारी नौकरी की फिर उन्होंने अपने संगीत को ही अपना करियर बना लिया.

कशिश बताते हैं कि मैं आठ साल की उम्र से ही क्लासिकल म्यूजिक सीख रहा हूं. और बचपन से ही स्टेज शोज भी कर रहा हूं. लेकिन मैं इतना भाग्यशाली हूं कि मैं जो भी पढ़ता रहा सभी में आगे बढ़ता रहा मेरी मैथ्स और साइंस अच्छी थी तो मेरा इंजीनियरिंग में हो गया और ऑल इंडिया में चौथी पोजीशन आई. फिर मैंने आईएएस के लिए तैयारी की और पहली बार में ही मेरा सलेक्शन हो गया.

कशिश ने आईआईटी, कंप्यूटर इंजीनियरिंग और फिर आईएएस इससे ज्यादा किसी युवा को और क्या चाहिए.

लेकिन सभी जानते थे कि मेरी जिंदगी सिर्फ संगीत ही है. कशिश ने प्रोफेसर हरविंदर सिंह से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की और बाद में आगरा घराने के पंडित यशपाल से सीखा. संगीत का शौक कैसे पैदा हुआ? वे बोले- मेरे पापा और मम्मी दोनों को संगीत का शौक है उनके जरिए ही यह रुचि मुझमें आई. कशिश ने बताया कि दस साल के करियर में मैंने पब्लिक डीलिंग से लेकर विदेश मंत्रालय तक काम संभाला है.

वह कहते हैं. ‘आसान नहीं था मेरे लिए आईएएस छोड़ना. लेकिन मेरी इनर वॉयस बार-बार मुझे आवाज दे रही थी, बस एक दिन मैंने रिजाइन कर दिया.’


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