नई दिल्ली : आरबीआई द्वारा बैंकों को क्रेडिट कार्ड में लगे मैग्नेटिक स्ट्रिप को चिप से बदलने के लिए जारी की गई डेडलाइन को पूरा करने में लगभग सभी बैंक चूक गए हैं. अब जहां बैंक एकस्टेंशन का इंतजार कर रहे हैं, वहीं ग्राहक को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 31 दिसंबर 2018 को सभी बैंकों को डेडलाइन जारी किया था कि ग्राहकों को ईएमवी (इयरो पे, मास्टर कार्ड और विजा कार्ड) चिप आधारित कार्ड जारी किये जाएं.
एक बड़े प्राइवेट सेक्टर के बैंक के वरिष्ठ कार्यकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘आधिकारिक तौर पर डेडलाइन खत्म हो चुकी है, लेकिन सेंट्रल बैंक ने इसको बढ़ाने के लिए कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है. बैंक अभी इस उम्मीद में हैं कि उन्हें और समय दिया जाएगा.’
ऐसा माना जा रहा कि इएमवी टेक्नॉलॉजी से लेन-देन में सुरक्षा की दृष्टि से एक नया ग्लोबल स्टैंडर्ड सेट होगा. कार्ड में चिप लगने से हर लेन-देन के समय एक नया डाटा जनरेट होगा, जिससे डाटा चोरी और नकल के खिलाफ और सुरक्षा प्रदान करेगा.
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पुराने कार्ड में आपका सारा डाटा मैग्नेटिक स्ट्रिप के रूप में स्थिर होता है, जिसे कॉपी करना आसान होता है.
टेक्नॉलॉजी को व्यवहार में लाने में आ रही दिक्कत का एक कारण, चिप सहित कार्ड की कीमत मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड से तीन गुना ज्यादा होना भी है.
अभी तक मार्केट में कितने पुराने कार्ड हैं, इसका कोई आधिकारिक आंकाड़ा नहीं है, लेकिन बैंको के स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उनकी भागीदारी 35 परसेंट या उससे भी ज्यादा है. वर्तमान समय में 95 करोड़ से ज्यादा डेबिट कार्ड और लगभग 3.7 करोड़ क्रेडिट कार्ड भारतीय मार्केट में हैं.
जबकि सूत्रों का कहना है कि अभी भी बहुत सारे पुराने कार्ड रिटेल लेवल और एटीएम में ट्रांजेक्शन के लिए प्रयोग में लाए जा रहे हें. लॉजिस्टिक मैनेजमेंट फर्म वालों का दावा है कि मैग्नेटिक कार्ड वाले बहुत सारे ग्राहकों को कैश निकालने में दिक्कतें आनी शुरू हो चुकी हैं.
दिल्ली के सुपर मार्केट स्टोर में काम करने वाले राम मंडल ने बताया कि उन्हें तो पता ही नहीं था कि कार्ड को बदलने की भी जरूरत है.
मंडल ने कहा, ‘मेरा मैग्नेटिक स्ट्रिप लगा पंजाब नैशनल बैंक का कार्ड है. बैंक ने इस कार्ड को किसी चिप-सहित कार्ड से नहीं बदला है. कुछ एटीएम मेरे कार्ड को रिजेक्ट करने लगे हैं. अब ये जाहिर सी बात है कि दिक्कतें तो आएंगी ही.’
गुड़गांव के एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक एम. भट्टाचार्य ने भी कहा कि उन्हें भी कार्ड बदलने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
भट्टाचार्य कहती हैं, ‘मुझे मेरे बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा बताया गया कि मेरे पास जो डेबिट कार्ड है वो अब काम नहीं करेगा. बैंक ने इसके बारे में पहले मुझे सूचित नहीं किया था.’
सूत्रों का कहना है कि भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी जैसे बड़े बैंक ने कार्ड बदलने की प्रक्रिया को ‘बड़े स्तर’ पर पूरा कर लिया है. जबकि मझले और छोटे स्तर के बैंक अभी इस प्रक्रिया में काफी पीछे चल रहे हैं.
पेमेंट से संबधित मसलो पर ग्राहकों को सुझाव देने वाली एसबीआई कार्ड के कार्यकारी अधिकारी और मैंनेजिंग निदेशक हरदयाल प्रसाद ने कहा, ‘एसबीआई कार्ड पर ग्राहकों की सुरक्षा अहम है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कार्ड के प्रयोग संबंधित धोखाधड़ी रोकने के लिए हमने नए फीचर्स को जोड़े हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आरबीआई के गाइडलाइन को मानते हुए हमारा पूरा तंत्र चिप और पिन टेक्नॉलॉजी में बदलने में लगा है.’
कीमत और पहुंच
एक बड़े प्राइवेट बैंक के कार्यकारी ने बताया, ‘अगर कुछ बैंकों को छोड़ दें तो ज्यादातर पब्लिक बैंकों ने नए कार्ड की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं की है.’
उन्होंने ने आगे जोड़ा, ‘कीमत और पहुंच प्रमुख कारण हैं. ग्राहकों के पास बहुत सारे ऐसे कार्ड हैं, जो अब निष्क्रिय हैं. ऐसे कार्डों को बदलना ज्यादा उलझाऊ कार्य है.’
पेमेंट गेटवे मास्टर कार्ड के प्रवक्ता ने बताया कि बहुत सारे बैंक तकनीकी रूप से इएमवी चिप कार्ड जारी करने के लिए तैयार हैं.
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उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा भरोसा है कि इएमवी कार्ड की तरफ रुख करने से भारतीय कार्ड होल्डरों को सहूलियत मिलेगी. चूंकि ये हर ट्रांजेक्शन के समय एक नया डाटा जारी करता है, इसलिए धोखाधड़ी करने वालों के लिए ये बहुत कठिन हो जाएगा.’
वहीं, बैंकों ने जून 2019 तक डेडलाइन को बढ़ाने के लिए बातचीत शुरू कर दी है.
आरबीआई ने पहले जून 2018 की डेडलाइन सेट की थी. 50 परसेंट से अधिक भारत के 2.2 लाख एटीएम अभी तक अपग्रेड नहीं किए गए हैं.
इस विषय पर चर्चा करने के लिए इस महीने एक मीटिंग भी लंबित है.
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