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Thursday, 25 April, 2024
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आरबीआई और सरकार के बीच चल रही तनातनी में क्या हैं बड़े मुद्दे?

सरकार और आरबीआई के बीच चल रही गहमागहमी के बाद बोर्ड मीटिंग पर नीतिकारों से लेकर निवेशकों तक, सबकी नज़रें टिकी हैं.

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नई दिल्ली: ऐसा पहली बार ही हुआ है कि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया (आरबीआई) को लेकर इतनी उत्सुकता पैदा हुई हो.

सोमवार की यह बैठक, सरकार और आरबीआई के बीच हाल ही में चले बहुचर्चित घमासान के बाद हो रही है जिसपर देश-विदेश के निवेशक और नीतिकार नज़र गढ़ाए हुए हैं.

आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 को प्रभावी करने की बातें चल रहीं हैं, यह वही नियम है जिसके द्वारा सरकार आरबीआई को कई क्षेत्रों में निर्देशित करती है.

आरबीआई के अधिकारी ने बताया, ‘क्योंकि सेंट्रल बैंक की स्वायत्तता का सवाल है तो मीटिंग पर नज़रें होंगी. इसलिए शायद इस मीटिंग को इतना महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है’.

बोर्ड अक्सर सामान्य मुद्दों पर ही चर्चा करता है, उससे कम ही अपेक्षा है कि वह इस मीटिंग में उन पर बात करे.

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क्या रहेंगे मुद्दे

क्रेडिट फ्लो (ऋण प्रवाह): आरबीआई बैंकों द्वारा ऋण बहाल करने और नकदी को लेकर मुद्दों पर चर्चा करेगा, खासतौर से उन नाज़ुक क्षेत्रों पर जैसे अतिलघु, छोटे और मध्यम वर्गीय उद्यम जो फ़िलहाल कंगाल हैं.

सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है और सरकार के प्रतिनिधि पूरा ज़ोर डालने की कोशिश करेंगे कि क़र्ज़ देने के नियमों पर ढील बरती जाए और प्रणाली में ज़्यादा से ज़्यादा ऋण मौजूद कराया जाए.


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नॉन परफार्मिंग एसेट्स या (फंसा हुआ कर्ज) बढ़ने के बाद आरबीआई ने बहुत ही सख्त नियम लागू कर दिए थे. कम से कम 11 बैंकों को ‘त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई’ में डाल दिया गया है. इससे इन बैंकों की सामान्य गतिविधियों पर अवरोध लग गया है, जिसमें ऋण देना भी शामिल है. सरकार इन नियमों में भी ढील चाहती है.

आरबीआई के 12 फरवरी को निकले एक सर्कुलर के अनुसार यदि कोई क़र्ज़ लेने वाला भुगतान करने में एक दिन की भी देरी करता है तो उसे फंसी हुई संपत्ति माना जाएगा और कर्जदाताओं को उन सम्पत्तियों को ठिकाने लगाने की कार्यवाई करनी होगी. कई कंपंनियों ने इसके खिलाफ अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं.

आरबीआई की बचत का सरकार को भुगतान: यह एक और नाज़ुक मुद्दा है जिसके ऊपर खूब चर्चा हुई है. आरबीआई एक्ट के सेक्शन 47 के अनुसार अपने खर्चे निकलने के बाद आरबीआई को अपने पास इकठ्ठा हुए अतिरिक्त पैसे सरकार को देने होते हैं. आरबीआई के पास अपनी कुल सम्पति का 25 प्रतिशत हिस्सा रिज़र्व होता है.

हाल ही में सरकार द्वारा नियुक्त बोर्ड डायरेक्टर एस गुरुमूर्ति ने कहा था कि कई बड़े केंद्रीय बैंकों के पास भी इतनी बड़ी रकम का पैसा रिज़र्व नहीं होता.

सेक्शन सात: यह एक और विवादित मुद्दा है क्योंकि सरकार ने इसे प्रभावी करने को लेकर चर्चाएं शुरू कर दी हैं. इस सेक्शन द्वारा सरकार सीधे ही आरबीआई की साख और ऐसे क्षेत्र जो जनहित के लिए होते हैं, पर निर्देश देने के लिए सक्षम हो जाती है.

क्या मायने रखती है यह मीटिंग?

सरकार और आरबीआई के बीच चल रहा तनाव कई महीनों से दिख रहा है. इसी साल फरवरी में ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पंजाब नेशनल बैंक के नीरव मोदी और मेहुल चौकसी धोखाधड़ी के मामले के लिए आरबीआई को दोषी ठहराया था. आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने जवाबी हमले में कहा था कि आरबीआई के पास बैंकों को अनुशासित करने की कोई शक्ति नहीं है.

पिछले ही महीने आरबीआई के सहायक गवर्नर विरल आचार्य सरकार पर आरबीआई के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगते हुए जमकर बरसे थे. अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि ऐसा करने से गंभीर परिणाम देखने पड़ सकते हैं.

आरबीआई ने फ़िलहाल सरकार द्वारा ऋण नियमों में ढील बरतने के लिए डाले जा रहे दबाव पर कुछ भी करने से इंकार का दिया है. सरकार ने भी 12 फरवरी के फंसी हुई संपत्ति वाले सर्कुलर पर अपनी नाखुशी जताई है.

आरबीआई और केंद्र के बीच चल रही तकरार लगभग भंग होने के कगार पर पहुंच गई है. ऐसी कई रिपोर्टें सामने आई हैं जो कह रही हैं कि यदि सरकार इसी तरह दबाव डालती गयी तो गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफ़ा दे देंगे.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान भी जारी किया जिसमें उसने अपने आप को आरबीआई की स्वायत्तता को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध बताया.

गुरुमूर्ति का भाषण

गुरुमूर्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक भी हैं, जिन्हें कुछ ही महीने पहले सरकार ने आरबीआई का डायरेक्टर नियुक्त किया था. स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि आरबीआई अलग से काम नहीं कर सकता और इसे आम लोगों के लिए जवाबदेह सरकार के साथ मिलकर काम करना ही होगा.

गुरुमूर्ति जो अर्थव्यवस्था को लेकर परंपरावादी विचार रखते हैं, ने पिछले ही हफ्ते आरबीआई द्वारा बैंकों को फंसी हुई संपत्तियां हासिल करने के लिए एक ही बार का प्रावधान करने वाले आरबीआई के कड़े कदम को खूब लताड़ा था.

उन्होंने कहा था कि भारत एक बैंक संचालित अर्थव्यवस्था है और बैंकों को अपने सामान्य कार्य करने से रोकने पर विनाशकारी परिणाम देखने पड़ सकते हैं.

आरबीआई बोर्ड की रचना

आरबीआई में फिलहाल 18 सदस्य हैं जिनमें गवर्नर उर्जित पटेल के साथ साथ 4 सहायक गवर्नर (डिप्टी गवर्नर)— एनएस विश्वनाथन, बीपी कुणुन्गो, महेश कुमार जैन और विरल आचार्य शामिल हैं.

आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार सरकार द्वारा चुने गए हैं. इसके अलावा और भी वित्तीय क्षेत्र से जुड़े कई डायरेक्टर हैं.

बैंकिंग उद्योग और अन्य आर्थिक संकेतकों को लेकर आरबीआई का बोर्ड समय समय पर बैठकें करता है. पर यह सब बैठकें इतनी सुर्खियां नहीं बटोरतीं.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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