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Friday, 22 November, 2024
होमदेश‘मारपीट, गलत तारीख बताने का दबाव’, तेलंगाना में 'पुलिस हिरासत के दौरान यातना' से मौत पर बवाल

‘मारपीट, गलत तारीख बताने का दबाव’, तेलंगाना में ‘पुलिस हिरासत के दौरान यातना’ से मौत पर बवाल

16 फरवरी को मोहम्मद खदीर की अस्पताल में मौत हो गई थी. वीडियो में कथित तौर पर उसे यह कहते हुए दिखाया गया है कि उसे पुलिस ने हिरासत में काफी प्रताड़ित किया था.

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हैदराबाद: तेलंगाना में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में यातना के कारण एक मजदूर की मौत को लेकर विवाद छिड़ गया है. इसको लेकर विपक्षी नेताओं ने कार्रवाई की मांग की है और राज्य के पुलिस महानिदेशक ने जांच के आदेश दिए हैं.

35 वर्षीय मोहम्मद खदीर को मेडक के अरबगल्ली इलाके में एक चेन स्नेचिंग मामले में कथित रूप से पांच दिनों तक हिरासत में रखा गया और प्रताड़ित किया गया. इलाज के लिए कई अस्पतालों में ले जाने के बाद 16 फरवरी को उनकी मौत हो गई. उनकी पत्नी, सिद्धेश्वरी ने अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि स्थानीय अधिकारियों ने खदीर को ‘थर्ड-डिग्री’ यातना दी थी.

उसकी पत्नी ने शिकायत में कहा, ‘वह गंभीर चोट लगने के कारण अत्यंत बीमार और बेहोश था. उसके शरीर के सभी अंग क्षतिग्रस्त हो गए थे.’ दिप्रिंट ने शिकायत की कॉपी देखी है.

शनिवार को, राज्य के पुलिस प्रमुख अंजनी कुमार ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चंद्रशेखर रेड्डी को कामारेड्डी जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी से जांच को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए. आईजीपी खुद जांच की निगरानी करेंगे.

डीजीपी कार्यालय के एक बयान में कहा गया है, ‘इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है.’

सब-इंस्पेक्टर राजशेखर और कांस्टेबल पवन कुमार और बी. प्रशांत के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी. मेदक की पुलिस अधीक्षक (एसपी) रोहिणी प्रियदर्शिनी ने शुक्रवार को पुलिसकर्मियों के तबादले के आदेश दिए.

इस घटना ने असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ विपक्ष के बीच आक्रोश फैलाया. विपक्ष ने ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की. तेलंगाना कांग्रेस के प्रमुख रेवंत रेड्डी ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम बनाकर जांच कराने की मांग की. रेड्डी ने रविवार को यह तर्क देते हुए ट्वीट किया था कि अस्पताल में शूट किया गया एक वीडियो, जिसमें खदीर कथित यातना का वर्णन करता है, को उसका मृत्यु पूर्व बयान माना जाना चाहिए.


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वीडियो में खदीर ने उठाया रहस्य से पर्दा

तेलंगाना के मेडक जिले का मजदूर खादीर हैदराबाद में काम कर रहा था. अमजद उल्लाह खान द्वारा 9 फरवरी को ट्वीट किए गए एक वीडियो में – एक राजनीतिक दल, मजलिस बचाओ तहरीक (एमबीटी) के प्रवक्ता, जो परिवार के लिए लड़ रहे हैं – उन्हें एक मेडक अस्पताल से अपनी आपबीती सुनाते हुए सुना जा सकता है.

खदीर वीडियो में कहते हैं, ‘मुझे (पुराने) हैदराबाद से उठाया गया था और कार में पीटा गया और मेडक लाया गया. उन्होंने मुझे दो घंटे तक उल्टा लटकाया और पीटा. मेरे पैर और हाथ काम नहीं कर रहे थे. बाद में मुझे बताया कि उन्होंने मुझे एक संदिग्ध के रूप में उठाया क्योंकि चोर देखने में मेरे जैसा था, और बाद में मुझे कुछ संदेह के साथ छोड़ दिया. मुझे 29 जनवरी को लाया गया और 2 फरवरी को छोड़ दिया गया.’ 

उसने आगे कहा, ‘वे (पुलिस) मुझे मंडल कार्यालय ले गए और मुझे यह कहने के लिए कहा कि मुझे कल शाम ही उठाया गया था और सुबह छोड़ दिया गया था. उन्होंने कहा कि अगर मैं ऐसा नहीं कहूंगा तो इससे दिक्कत होगी. मुझे हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था, लेकिन क्योंकि मैं वह भी नहीं कर सका (उसकी स्थिति के कारण), उन्होंने ही मेरा हस्ताक्षर कर दिया. दो कांस्टेबलों ने मुझे बेरहमी से मारा था.’

खदीर के परिवार ने कहा है कि उसे पहले मेडक के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर पुलिस द्वारा हैदराबाद के बाहरी इलाके में एक निजी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बावजूद, जब उनकी हालत बिगड़ती चली गई, तो उन्हें अंत में हैदराबाद के गांधी अस्पताल में ले जाया गया, जहां अंततः किडनी फेल होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई.

खादिर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का फिलहाल इंतजार है.

पुलिस ने किया यातना से इनकार

मेडक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) सैदुलु ने कथित तौर पर हिरासत में किसी भी तरह की यातना से इनकार किया है, यह कहते हुए कि खदीर से केवल पूछताछ की गई थी और 3 फरवरी को तहसीलदार के कार्यालय में छोड़ दिया गया था. डीएसपी ने कहा कि खदीर को छोड़े जाने और अस्पताल में भर्ती होने के बीच पांच दिनों का अंतर था. अधिकारी ने दावा किया, ‘पुलिस अधिकारियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन पांच दिनों में उसके साथ क्या हुआ.’

एसपी रोहिणी प्रियदर्शिनी ने कथित तौर पर कहा कि खदीर को चेन स्नेचिंग के एक संदिग्ध के रूप में लाया गया था क्योंकि उसके चेहरे की विशेषताएं सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध के समान दिख रही थीं. उसे 2 फरवरी को पूछताछ के लिए लाया गया और अगले दिन छोड़ दिया गया. अधिकारी ने दिप्रिंट को एक टेक्स्ट संदेश में, किसी भी ‘चेहरे की पहचान’ के लिए सॉफ्टवेयर के उपयोग करने से इनकार कर दिया.

इस बीच, अमजद उल्ला खान ने इस मामले की सीबीआई जांच या उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराने और परिवार को अनुग्रह राशि देने की मांग की है. खदीर ने खान से मदद के लिए संपर्क किया था जब वह अस्पताल में थे.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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