नयी दिल्ली, 15 अगस्त (भाषा) देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 23 कर्मियों को 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पदकों से सम्मानित करने का ऐलान किया गया।
कांस्टेबल सद्दाम हुसैन, फेदा हुसैन डार और संजय तिवारी को भारत के तीसरे सर्वोच्च शांतिकालीन रक्षा वीरता पदक, शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के अधीन कार्यरत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में सीआरपीएफ ने सबसे अधिक वीरता पदक अर्जित किए।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी सूची के अनुसार, सहायक कमांडेंट तेजा राम चौधरी को वीरता के लिए दो पदक (कुल मिलाकर उनका पांचवां वीरता पदक) प्रदान किए गए, जबकि कांस्टेबल गणेश चंद जाट ने भी दो पदक (कुल मिलाकर उनका तीसरा) अर्जित किए।
सीआरपीएफ के एक प्रवक्ता ने बताया कि इन पुरस्कारों में जम्मू-कश्मीर में अभियानों के लिए 15 पदक और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में माओवाद-विरोधी अभियानों में वीरतापूर्ण कार्यों के लिए आठ पदक शामिल हैं।
कांस्टेबल तिवारी और कांस्टेबल डार सीआरपीएफ की प्रसिद्ध कश्मीर घाटी स्थित त्वरित कार्रवाई टीम (क्यूएटी) के सदस्य हैं, जो आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए विशेष रूप से सुसज्जित और प्रशिक्षित है।
दोनों ने दो नवंबर, 2024 को श्रीनगर में आतंकवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ के दौरान ‘‘असाधारण’’ वीरता का प्रदर्शन किया। उनके प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि घायल होने के बावजूद, उन्होंने ‘‘अनुकरणीय’’ साहस के साथ लड़ाई लड़ी और एक कट्टर आतंकवादी को मार गिराया।
सीआरपीएफ की तीसरी बटालियन के कांस्टेबल हुसैन को पांच नवंबर, 2024 को जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकवादियों के साथ एक ‘‘महत्वपूर्ण’’ मुठभेड़ के दौरान उनके ‘‘अदम्य साहस’’ के लिए सम्मानित किया गया है।
प्रशस्ति पत्र में कहा गया है, ‘‘उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए, यूबीजीएल (अंडर-बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) से सटीक गोलेबारी करते हुए विदेशी आतंकवादी पर हमला किया और एक विदेशी आतंकवादी को मार गिराया।’’
लगभग 3.25 लाख जवानों वाला सीआरपीएफ देश का प्रमुख आंतरिक सुरक्षा बल है, जिसके तीन मुख्य कार्यक्षेत्र – नक्सल विरोधी अभियान, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी कार्य और पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद विरोधी कार्य हैं ।
भाषा मनीषा वैभव
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