चंडीगढ़: पंजाब के फिरोजपुर में एक शराब डिस्टिलिंग प्लांट के खिलाफ धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों को शिफ्ट करने को लेकर अदालत की तरफ से निर्धारित समयसीमा पूरी होने से बमुश्किल 24 घंटे पहले वहां बड़ी संख्या में भीड़ पहुंच गई. मंसूरवाल गांव में सोमवार को लगातार दूसरे दिन पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जहां कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 2,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) उग्राहन के सदस्यों ने सोमवार को अमृतसर-बठिंडा राजमार्ग पर पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए, जो गांव से ज्यादा दूर नहीं थे. यह घटना उस वक्त हुई जब ये लोग जीरा विधानसभा क्षेत्र में शराब प्लांट बंद करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों में शामिल होने जा रहे थे.
यह आरोप लगाते हुए कि शराब डिस्टिलिंग प्लांट मंसूरवाल और आस-पास के गांवों में हवा, मिट्टी और भूजल को प्रदूषित कर रहा है, पिछले पांच महीनों से सैकड़ों प्रदर्शनकारी मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के मेन गेट पर डेरा डाले बैठे हैं. इससे प्लांट का कामकाज बाधित हो गया है और प्रबंधन को राहत के लिए मजबूरन पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी है.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) राजेवाल प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल, बीकेयू सिद्धूपुर के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और बीकेयू उग्राहन के जोगिंदर सिंह उग्राहन सहित पंजाब के कई किसान नेताओं ने सोमवार को अपने समर्थकों से प्लांट के बाहर विरोध स्थल पर जुटने को कहा.
रविवार को पुलिस के साथ मारपीट और प्रदर्शनकारियों को पुलिस वाहनों में भरने के वीडियो वायरल होने के बाद आसपास के गांवों के किसानों ने मंसूरवाल में पहुंचना शुरू कर दिया था. पुलिस ने स्थानीय लोगों को प्रदर्शन स्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए गांव और राजमार्ग को जोड़ने वाली सड़क पर बैरिकेड्स लगा दिए थे.
संयंत्र की ओर जाने वाली सड़क पर प्रदर्शनकारियों का एक समूह पुलिस से भिड़ गया, वहीं पास ही अमृतसर-बठिंडा राजमार्ग पर धरना देने की कोशिश कर रहे दूसरे समूह को पुलिस ने रविवार को जबरन वहां से हटा दिया. फिरोजपुर की एसएसपी कंवरदीप कौर ने कहा, ‘47 लोगों को हिरासत में लिया गया है और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ चार एफआईआर दर्ज की गई हैं.’
हालांकि, पुलिस ने प्लांट के मुख्य गेट के सामने लगे टेंट में बैठे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
साइट से हटने से साफ इनकार करते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए, जिसमें संयंत्र को सील करना और पंजाब सरकार की तरफ से 2021 में संयंत्र के लिए जारी एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) वापस लेना शामिल है. प्रदर्शनकारियों ने धरनास्थल पर शनिवार को गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ भी शुरू कर दिया था.
गौरतलब है कि प्रदर्शनकारियों की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की एक निगरानी समिति ने अगस्त में संयंत्र के अंदर से और आसपास की मिट्टी और पानी के नमूने जुटाए थे. अक्टूबर में एनजीटी को सौंपी गई एक विस्तृत रिपोर्ट में समिति ने प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी, जिसे प्रदर्शनकारियों ने स्वीकारने से इनकार कर दिया.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी प्रदर्शनकारियों की तरफ से प्रबंधन पर लगाए गए आरोपों की जांच के बाद जुलाई में इस संयंत्र को क्लीन चिट जारी कर दी थी.
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‘कारखाना नहीं चलने देंगे’
शराब संयंत्र के मेन गेट के बाहर पक्का धरना यानी स्थायी धरना 24 जुलाई को शुरू हुआ था, जिससे वहां कामकाज ठप हो गया और प्रबंधन को राहत के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
प्रबंधन की तरफ से जुलाई में अदालत को बताया गया कि संयंत्र बंद होने से उन्हें हर दिन ऑपरेटिंग कास्ट में लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है क्योंकि उन्होंने संयंत्र स्थापित करने में 300 करोड़ का निवेश किया है. वहीं, पंजाब सरकार को उत्पाद शुल्क और अन्य करों के रूप में मिलने वाले करोड़ों के राजस्व का भी नुकसान हो रहा है. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि प्रदर्शनकारियों को संयंत्र के मेन गेट से कम से कम 300 मीटर की दूरी पर रखा जाए.
एसएसपी कौर ने सोमवार को दिप्रिंट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए प्लांट का एक अन्य गेट, जो धरना स्थल से लगभग 300 मीटर की दूरी पर है, खोल दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘कारखाने के कुछ कर्मचारी पहले ही इस गेट से प्रवेश कर चुके हैं और परिसर की सफाई कर रहे हैं.’
हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने ऐसे किसी घटनाक्रम से इनकार किया है. प्रदर्शन में शामिल नेताओं में से एक सुखजिंदर सिंह खोसा ने कहा, ‘कारखाने के दोनों गेट बंद हैं और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हम न तो कारखाने चलने देंगे और न ही गेट खोलने देंगे. हमारा नेतृत्व अगले कदम पर फैसला करने के लिए कल एक बैठक करेगा.’
प्रदर्शनकारियों के 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात की थी, जिन्होंने संयंत्र के खिलाफ उनकी तरफ से लगाए गए आरोपों की गहन जांच करने के लिए कई समितियों का गठन करने की पेशकश की. एक दिन बाद, राज्य के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने धरना स्थल का दौरा किया और प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने संयंत्र स्थायी रूप से बंद होने तक आंदोलन वापस लेने से इनकार कर दिया.
प्रदर्शनकारियों संग बातचीत विफल होने के बाद पंजाब सरकार ने दंगा-रोधी वाहनों और जेसीबी की तैनाती के अलावा गांव और उसके आसपास पुलिसकर्मियों की तैनाती बढ़ा दी थी. शनिवार रात 14 प्रदर्शनकार नेताओं और 125 अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी.
22 नवंबर के एक अन्य आदेश में हाईकोर्ट ने भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार को आगाह किया कि यदि संयंत्र फिर से चालू नहीं हुआ तो वरिष्ठ अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश भी दिया कि संयंत्र बंद होने के कारण प्रबंधन को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अदालत की रजिस्ट्री में 15 करोड़ रुपये का जुर्माना जमा किया जाए. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होनी है.
(अनुवाद : रावी द्विवेदी | संपादन : इन्द्रजीत)
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