चंडीगढ़: फसलों की कटाई का मौसम जोरों पर है, और पटवारियों के ‘40 प्रतिशत से अधिक पद’ खाली पड़े होने के साथ हरियाणा सरकार अब राज्य में हुई बेमौसम बारिश की वजह से फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के काम में वक्त के खिलाफ होड़ लगा रही है.
पटवारी या राजस्व अधिकारी खेतों में खड़ी फसल के नुकसान को सत्यापित करने के लिए किए जाने वाले फील्ड सर्वे (क्षेत्र सर्वेक्षण) – जिसे गिरदावरी भी कहा जाता है- के प्रभारी होते हैं. इसी सर्वे के आधार पर राज्य सरकार किसानों को उनकी फ़सलों को हुए नुकसान के एवज में मुआवजा प्रदान करती है.
राज्य सरकार के ई-कंपनसेशन पोर्टल के अनुसार, अब तक, हरियाणा के किसानों ने 16 लाख एकड़ से अधिक रकबे में लगी रबी फसलों, मुख्य रूप से गेहूं, को हुए नुकसान की सूचना दी है. ये फसलें जाड़े के मौसम में बोई जाती हैं और वसंत ऋतु में काटी जाती हैं.
इस बारे में बात करते हुए हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को दिप्रिंट को बताया कि फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए किए जाने वाले फील्ड सर्वे को ‘अगले 7-10 दिनों में पूरा’ किया जाना है.
इसी तात्कालिक आवश्यकयता को ध्यान में रखते हुए, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने शनिवार को फसलों को हुए नुकसान की पुष्टि करने में पटवारियों की सहायता करने हेतु ‘क्षतिपूर्ति सहायक’ – जो कोई ग्रामीण व्यक्ति होगा – की नियुक्ति की घोषणा की.
पटवारियों के बारे में बात करते हुए, हरियाणा राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग में उप-सचिव के रूप में काम करने वाले हरियाणा सिविल सेवा के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि फिलहाल ‘हरियाणा में पटवारियों के 40 प्रतिशत से अधिक पद खाली पड़े हैं.’.
इस अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा केवल पटवारियों के मामले में ही नहीं है बल्कि नायब तहसीलदारों और तहसीलदारों जैसे पदों के लिए भी यही बात सच है. हरियाणा में शायद ही कोई ऐसा पटवारी होगा जिसके पास दो या अधिक पटवार हलकों (पटवार सर्कल्स) का प्रभार न हो.‘
एक पटवार सर्कल एक राजस्व खंड होता है जिसमें एक बड़ा सा गांव या कुछ छोटे-छोटे शामिल गांव होते हैं.
इसी बात की पुष्टि करते हुए राज्य के फतेहाबाद जिले में कार्यरत एक पटवारी ने शनिवार को दिप्रिंट से कहा, ‘अधिकांश पटवारियों पर वर्तमान में दो या तीन पटवार सर्कल्स का बोझ है.’
सिरसा जिले में कार्यरत एक अन्य पटवारी ने कहा कि उनके जिले में तो हालत और भी खराब है, क्योंकि 200 से अधिक पटवार सर्कल्स के लिए मुश्किल से 65 पटवारी हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे कुछ पटवारियों के पास 8 से 9 पटवार हलकों का प्रभार है.’
इस बारे में पूछे जाने के लिए संपर्क किए जाने पर, इस राज्य में राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग का काम संभालने वाले चौटाला ने स्वीकार किया कि ‘पटवारी के पदों की कई रिक्तियां’ हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें उनकी सही-सही संख्या के बारे में पता नहीं है.
इस रिक्तियों के पीछे की वजह के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि ‘इन पदों को भरने के लिए पिछले तीन वर्षों में कोई भर्ती नहीं की जा सकी है.’
उप-मुख्यमंत्री चौटाला ने कहा, ‘सरकार ने अब प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है, और उम्मीद है कि जल्द ही ये सारी रिक्तियां भर दी जाएंगी.’
हरियाणा राजस्व विभाग की वेबसाइट के अनुसार, राज्य में कुल 2,691 पटवार सर्कल हैं. पिछले महीने, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 1,213 राजस्व पटवारियों के खाली पड़े पदों के विरुद्ध भर्ती के लिए विज्ञापन दिया था.
सिरसा के पटवारी ने कहा कि पूरे हरियाणा के उनके जैसे ही राजस्व अधिकारी पिछले साल दिसंबर में हड़ताल पर चले गए थे, और अन्य बातों के अलावा उन्होंने इन खाली पदों को भरने की मांग भी की थी.
उन्होंने बताया, ‘पटवारियों की शिकायत इस बात की थी कि एक व्यक्ति 20 से 25 गांवों के राजस्व का काम देख रहा था, जिससे उनका अपने काम के साथ न्याय करना लगभग असंभव हो गया था. राज्य सरकार द्वारा आश्वासन दिए जाने के साथ ही यह हड़ताल एक सप्ताह के बाद, यानी कि 4 जनवरी, 2023 को, वापस ले ली गई थी. हालांकि, हम अभी भी खाली पड़े पदों के भरे जाने का इंतजार कर रहे हैं.’
क्षतिपूर्ति सहायकों की तैनाती के बारे में पूछे जाने पर चौटाला ने कहा कि इसका पटवारियों की कमी से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि राजस्व अधिकारियों की पूरी ताकत लगाए जाने के बावजूद, जिस क्षेत्र में नुकसान की सूचना दी गई थी, वह इतना बड़ा है कि 7 से 10 दिन में आकलन का काम पूरा करना संभव नही है.
चौटाला ने कहा, ‘हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है जहां किसान अपनी फसलों की हुए नुकसान की सूचना राज्य द्वारा शुरू किए गए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर खुद अपनी तरफ़ से दर्ज कराते हैं. अभी तक 16.83 लाख एकड़ में खड़ी फसल का नुकसान हुआ है. इस पोर्टल के सोमवार तक खुले रहने से एकड़ की संख्या और बढ़ने की संभावना है.’
हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण विभाग की ‘बोए गए क्षेत्र की रिपोर्ट’, जिसे दिप्रिंट ने भी देखा है, के अनुसार, पिछली सर्दियों में रबी की फसलें 31.58 लाख हेक्टेयर, या 78 लाख एकड़, के रकबे में बोई गई थीं.
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क्षतिपूर्ति सहायक एवं विशेष गिरदावरी
मुख्यमंत्री खट्टर ने पिछले 21 मार्च को विशेष गिरदावरी, या राज्य में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण क्षतिग्रस्त हुई फसलों का सर्वेक्षण, का काम शुरू करने की घोषणा की थी. 18 मार्च के आसपास हुई बारिश के पहले चरण के बाद, बेमौसम बारिश के दो और झोंकों ने हरियाणा में फसलों की क्षति के क्षेत्र में काफ़ी वृद्धि की.
चौटाला ने शनिवार को दिप्रिंट को बताया, ‘हमारी सरकार ने 18 मार्च और 19 मार्च को हुई बारिश के आधार पर पिछले 21 मार्च को विशेष गिरदावरी की घोषणा तब की जब विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था. तब राज्य के 22 में से 13 जिलों में फसलों के नुकसान की सूचना मिली थी. 24 मार्च और 25 मार्च की बारिश के बाद इसमें चार और जिले जुड़ गए.’
उन्होंने कहा, ‘अब, 31 मार्च के बाद से हुई ताज़ा बारिश के साथ, राज्य के सभी 22 जिलों में फसलों के नुकसान की सूचना दी जा रही है, क्योंकि यह बारिश अधिक व्यापक थी. सर्वेक्षण रिपोर्ट का आना अभी बाकी है.’
क्षतिपूर्ति सहायकों को काम पर रखे जाने के पीछे का कारण बताते हुए चौटाला ने कहा कि गेहूं की कटाई का मौसम जोरों पर है और किसानों को आने वाले दिनों में अपनी-अपनी फसल काटने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘पहली बार, हमने क्षतिपूर्ति सहायकों को नियुक्त करने का फैसला किया ताकि अगले 7-10 दिनों में फसलों को हुए नुकसान की पुष्टि का काम पूरा किया जा सके, क्योंकि यह आकलन खड़ी फसल पर किया जाता है.’
चौटाला के अनुसार, किसानों द्वारा सूचित किए गए नुकसान और क्षतिपूर्ति सहायकों द्वारा किए गए सत्यापन के आधार पर, 25 से 50 प्रतिशत नुकसान के लिए 9,000 रुपये प्रति एकड़, 75 प्रतिशत नुकसान के लिए 12,000 रुपये प्रति एकड़ और 75 प्रतिशत से 100 प्रतिशत के नुकसान के लिए 15,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाएगा.
हरियाणा के राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि ‘क्षतिपूर्ति सहायक’ पटवारी की सहायता करेंगे और केवल इसी विशेष गिरदावरी के लिए नियुक्त किए जाएंगे’.
अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें 500 एकड़ के ब्लॉक पर गिरदावरी का काम करने के लिए 5,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा.’
हरियाणा के राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा क्षतिपूर्ति सहायकों की तत्काल नियुक्ति के लिए जारी पत्र, जिसे दिप्रिंट ने भी देखा है, के अनुसार, उनका काम (फसलों की) क्षति का सत्यापन करना, क्षतिग्रस्त क्षेत्र की तस्वीर लेना, स्थान, टाइम स्टांप, जहां फसल बेची जाती है, जैसे विवरण एकत्र करना और फिर इसी विवरण को ई-कंपनसेशन पोर्टल और ई-गिरदावरी पोर्टल पर अपलोड करना होगा.
भूपेंद्र हुड्डा ने की ज्यादा मुआवजे की मांग
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मांग की है कि भाजपा की अगुवाई वाली खट्टर सरकार ‘किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के उपर कम से कम 500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस’ और ‘बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हुई फसल के एवज में प्रति एकड़ 25,000-50,000 रुपये का मुआवजा’ दे.
शनिवार को जारी किए गये एक प्रेस बयान में, हुड्डा ने आरोप लगाया कि किसानों को समय पर मुआवजा देने के बजाय, ‘भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार नमी की मात्रा और चमक खोने के बहाने गेहूं की खरीद को रोककर उन्हें और परेशान कर रही है.’
शनिवार को दिप्रिंट के साथ फोन पर हुई बातचीत में हुड्डा ने कहा कि राज्य सरकार ने इस साल दिए जाने वाले मुआवजे की राशि को 12,000 रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति एकड़ तो कर दिया है, लेकिन वास्तव में इसे चार साल पहले ही तब बढ़ा दिया जाना चाहिए था, जब केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाया था.
उन्होंने कहा, ‘प्रति एकड़ 15,000 रुपये का मुआवजा भी बहुत कम है, और इससे उन किसानों को कोई राहत नहीं मिलती है, जिन्होंने बेमौसम बारिश के कारण खराब हुई फसलों में अपना पैसा और अपनी मेहनत लगाई थी.’
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(अनुवाद: रामलाल खन्ना/ संपादन:आशा शाह)
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