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Wednesday, 25 December, 2024
होमदेशअपराध‘पुलिस ने मेरे बेटे को मार डाला’ — संभल दंगों में मारे गए मुस्लिम पुरुष घर से काम करने बाहर निकले थे

‘पुलिस ने मेरे बेटे को मार डाला’ — संभल दंगों में मारे गए मुस्लिम पुरुष घर से काम करने बाहर निकले थे

पुलिस का कहना है कि मौतें ‘देसी पिस्तौल से लगी गोलियों’ के कारण हुईं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस जिम्मेदार है. शाही जामा मस्जिद का दूसरा सर्वेक्षण करने के लिए टीमों के पहुंचने के बाद शहर में तनाव बढ़ गया है.

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संभल: रविवार की सुबह, 18-वर्षीय मोहम्मद कैफ बाज़ार के लिए निकले, जहां वे सौंदर्य प्रसाधन बेचने वाली एक दुकान पर काम करते थे. यह आखिरी बार था जब उनके परिवार ने उन्हें देखा था. संभल में शाही जामा मस्जिद के पास अशांति की खबर के बाद, कैफ की मां अनीशा अपने सबसे छोटे बेटे की तलाश में निकल पड़ीं, जैसे-जैसे घंटे बीतते गए, उनकी हताशा बढ़ती गई. देर शाम मगरिब की नमाज़ के बाद पुलिस अधिकारी उनके घर पहुंचे और उन्हें यह दुखद खबर दी: कैफ अब नहीं रहा.

घर के अंदर, कैफ के बड़े भाई मोहम्मद जैद एक बिस्तर पर घायल अवस्था में पड़े थे, उनके हाथ और बांहों पर पट्टियां बंधी थीं. उनकी पत्नी फरहाना और उनकी मां उनकी देखभाल कर रही थीं. महिलाओं ने बताया कि दंगों के बाद पुलिस ने उस दिन संभल के तुरतेपुरा इलाके में उनके घर पर धावा बोलकर जैद को जबरन हिरासत में ले लिया था. टूटे हुए सामने के दरवाजे की ओर इशारा करते हुए अनीशा ने कहा, “उन्होंने दरवाजा तोड़ दिया और उसे ले गए. बाद में घर के पुरुष थाने गए और पुलिस से विनती की कि उन्हें छोड़ दिया जाए क्योंकि उनका भाई मर चुका है. फिर पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया.”

जब अनीशा यह कहानी सुना रही थीं, कैफ के पिता जल्दी से उस कमरे में चले गए जहां जैद आराम कर रहे थे और महिलाओं को चुप करा दिया. अपना नाम बताने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, “हमने अपना बेटा खो दिया है, कोई भी उसे वापस नहीं ला सकता. जैद गिरने के कारण घायल हुआ है. दरवाजा पहले ही टूट चुका था, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया. हमें और कुछ नहीं कहना है.” उनके शब्द जैद को आगे की जांच से बचाने की कोशिश की तरह लग रहे थे, लेकिन महिलाओं की आंखों में डर और दुख साफ झलक रहा था.

“अब्बू सही कह रहे हैं. मैं गिर गया” जैद ने कहा और आंखें बंद करके चुपचाप लेट गए.

पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने पिता को समझाने की कोशिश की कि असल में क्या हुआ था. हालांकि, वे दृढ़ रहे, अपना सिर हिलाते हुए कहा, “मुझे अपने परिवार का ख्याल रखना है.”

संभल में अजीब तरह का सन्नाटा पसरा हुआ है | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
संभल में अजीब तरह का सन्नाटा पसरा हुआ है | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार को तनाव तब और बढ़ गया, जब सर्वेक्षण दल शाही जामा मस्जिद में दूसरा सर्वे करने के लिए वापस लौटा तो हिंसा भड़क उठी. सर्वेक्षण 19 नवंबर को जारी किए गए कोर्ट के आदेश के बाद किया गया, जो एक याचिका पर आधारित था जिसमें आरोप लगाया गया था कि मस्जिद बनाने के लिए 1526 में एक मंदिर को ध्वस्त किया गया था, जबकि पहला सर्वेक्षण न्यायालय के निर्देश के कुछ ही घंटों बाद किया गया था, दल की दूसरी यात्रा ने शहर में अशांति फैला दी, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे.

अब तक दो महिलाओं और कई नाबालिगों सहित 25 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है. मस्जिद समिति के सदर (प्रमुख) एडवोकेट ज़फर अली को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है.

अब तक सात एफआईआर दर्ज की गई हैं और संभल समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और स्थानीय सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे पर भी मामला दर्ज किया गया है. इस बीच, शाही जामा मस्जिद के विशाल सफेद दरवाजों के आसपास के क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात है, क्योंकि तनाव और भय का माहौल बना हुआ है. इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं और स्थानीय अधिकारियों ने नियंत्रण बनाए रखने के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी है.

संभल के एसपी कृष्ण बिश्नोई ने रविवार सुबह भड़की हिंसा के सिलसिले में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि की है.

स्थानीय निवासी जर्रा हुसैन के अनुसार, हिंसा की शुरुआत पुलिस अधिकारियों के “दुर्व्यवहार” से हुई. उन्होंने कहा, “यह मौखिक बहस से शुरू हुआ. जब उन्होंने लोगों पर डंडों और लाठियों से हमला करना शुरू किया, तभी लोगों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पत्थरबाजी शुरू कर दी.”


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नुकसान, डर और दुआएं

कैफ की तरह, 17-वर्षीय अयान भी रविवार की सुबह मोहल्ला कोर्टपुरा में अपने घर से अपने काम करने के लिए, हनीफ बिरयानी नामक एक रेस्तरां में जाने के लिए निकले थे. उनके साथ उनके पड़ोसी और रिश्तेदार, 18-वर्षीय बसीम भी थे, जो वहां काम करते थे. दंगों के दौरान दोनों घायल हो गए थे. बसीम का अभी इलाज चल रहा है, जबकि अयान ने दम तोड़ दिया. उनके परिवार का कहना है कि वे अभी भी उनके शव मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं.

17-वर्षीय अयान की मां अपने बेटे की तस्वीर दिखाते हुए | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
17-वर्षीय अयान की मां अपने बेटे की तस्वीर दिखाते हुए | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

उनकी मां नफीशा ने उनकी तस्वीर पकड़े हुए रुंधते गले से कहा, “मदरसे में पढ़ने के बाद उन्हें होटल में नौकरी मिल गई. अयान और बसीम दोनों एक साथ घर से चले गए. बाद में शाम को हमें बताया गया कि अयान की मौत हो गई है. मुझे उसे रविवार की सुबह काम पर नहीं जाने देना चाहिए था. किसने सोचा था कि पुलिस मेरे जवान बेटे को मार डालेगी.”

अयान के घर से कुछ ही मीटर की दूरी पर, बसीम के घर पर, उनकी सात बहनें दुआ में लीन थीं. एक ने नमाज़ अदा की, जबकि बाकी ने हाथ में तस्बीह हाथ में लेकर दुआ की.

बसीम के पिता नईम, जो एक रिक्शा चालक हैं, रो रहे थे. उन्होंने कहा, “उसे दो बार गोली मारी गई. उसकी जान अभी भी खतरे में है. मैं बस यही चाहता हूं कि मेरा बेटा ज़िंदा वापस आ जाए.”

बसीम की बहनें उनके ठीक होने की दुआ करती हुईं | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
बसीम की बहनें उनके ठीक होने की दुआ करती हुईं | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

पुलिस और राज्य के अधिकारियों के अनुसार, दंगाइयों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव करना शुरू कर दिया, जिसके बाद पुलिस टीमों ने पेलेट गन, आंसू गैस और स्मोक गन के साथ “न्यूनतम बल” का प्रयोग किया.

हालांकि, स्थानीय निवासियों और पीड़ितों के परिवारों ने कहा कि यह पुलिस ही थी जिसने भीड़ पर गोलियां चलाईं, जिसके कारण मौतें हुईं.

इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए एसपी बिश्नोई ने दिप्रिंट से कहा, “हमें किसी पर गोली न चलाने के सख्त आदेश थे. पुलिस टीमों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए केवल पेलेट गन, स्मोक गन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. हम आरोपों की जांच कर रहे हैं और शवों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है. हमने आरोपियों के घरों से दो .32 बोर की पिस्तौल, दो .315 की पिस्तौल, चार देसी हथियार और चाकू बरामद किए हैं.”

जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने पहले मीडिया को बताया था, “दो मौतों का कारण स्पष्ट है — देसी पिस्तौल से गोली लगने के घाव. तीसरे व्यक्ति की मौत का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगा.”

उसके बाद से चौथे व्यक्ति की मौत हो गई.

हिंसा में मारे गए अन्य लोगों में बिलाल और नईम शामिल हैं.

35-वर्षीय नईम चार बच्चों के पिता थे और मिठाई की दुकान चलाते थे.

दिप्रिंट से बात करते हुए उनके भाई तस्लीम ने कहा, “वो मैदा और रिफाइंड तेल की बोतल लेने दुकान पर गया था. हमें बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि हिंसा भड़क गई है. बाज़ार की गली जामा मस्जिद इलाके में पड़ती है. जब वह जा रहा था, पुलिस ने उस पर गोली चलाई. गोली उसके सीने के आर-पार हो गई. मरने से पहले उसने मुझे बताया था.”

तस्लीम अपने भाई नईम की तस्वीर दिखाते हुए | फोटो: मनीषा मोंडल/ दिप्रिंट
तस्लीम अपने भाई नईम की तस्वीर दिखाते हुए | फोटो: मनीषा मोंडल/ दिप्रिंट

नईम के घर से बमुश्किल 2 किलोमीटर दूर फरमान अपनी पत्नी, मां और बहनों के साथ रहते हैं. वे पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों में से एक हैं.

फरमान की एक बहन फरहीन ने कहा, “मेरा भाई हमारी भैंसों को चारा खिला रहा था. दो आदमी दौड़ते हुए आए और पुलिस ने उनका पीछा किया. उन्हें हिरासत में लेते हुए उन्होंने हमारे भाई को भी उठा लिया.”
परिवार ने बताया कि नईम और फरमान रिश्तेदार हैं.

पुलिस के अनुसार मस्जिद के बाहर शुरुआती पथराव सुबह 11 बजे तक नियंत्रित कर लिया गया था, लेकिन दूसरे इलाके नखाशा में दंगे फिर से शुरू हो गए, जिसे दोपहर एक बजे के बाद नियंत्रित किया जा सका.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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