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Thursday, 25 April, 2024
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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने वन अधिकारी की तीर-कमान से की हत्या, मुखबिरी के शक में 12 लोगों को गांव से निकाला

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार मृतक 46 वर्षीय फॉरेस्ट रेंजर रथराम पटेल की नक्सलियों ने उस वक्त हत्या कर दी जब वे सड़क निर्माण कार्य की मजदूरी का भुगतान करने गए हुए थे.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पहले तीर-कमान से हमला कर फारेस्ट रेंजर की हत्या कर दी है और मुखबिरी के शक में 12 ग्रमीणों को गांव से निकाल दिया. पहली घटना सुकमा जिले की है तो दूसरी बिजापुर जिले में घटी.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार मृतक 46 वर्षीय फॉरेस्ट रेंजर रथराम पटेल की नक्सलियों ने तीर-कमान से हमला कर उस वक्त हत्या कर दी जब वे सड़क निर्माण कार्य की मजदूरी का भुगतान करने गए हुए थे. घटना जांगला थाना के अंतर्गत कोन्ड्रोजी गांव की है. थानाध्यक्ष रामेश्वर गौतम ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया, ‘पटेल जब मजदूरों को काम का भुगतान कर रहे थे उसी समय करीब 20 नकाबपोश नक्सलियों ने तीर कमान के साथ हमला कर दिया. नक्सलियों ने पटेल पर कई तीर दागे और उनकी जान ले ली. मृतक वन अधिकारी का शव बरामद कर लिया है.’

बता दें पिछले एक पखवाड़े में नक्सलियों ने बीजापुर सुकमा और दंतेवाड़ा जिलों में करीब सात लोगों को की हत्या की हैं. इनमें चार ग्रामीण युवक हैं और तीन सरकारी कर्मचारी. सरकारी कर्मचारियों में दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.


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इसके पहले सुकमा जिले के पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के पालामड़गु गांव में नक्सलियों ने दो परिवार के 12 लोगों को गांव निकाला दे दिया. सुबह कुछ हथियारबंद नक्सलियों ने गांव में आकर लोगों को धमकाते हुए दोनों परिवारों पर आरोप लगाया कि वे पुलिस के लिए मुखबिरी कर रहें हैं.

सुकमा एसपी सलभ कुमार सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया, ’12 लोगों को नक्सलियों ने मुखबिरी के शक में जान से मारने की धमकी दी और गांव छोड़कर चले जाने को कहा. उनके इस फरमान का कोई आधार नही था लेकिन उन्होंने ऐसा अपनी धाक जामने के लिए किया है. पीड़ितों पर शक सिर्फ इस बात से था कि उनके परिवार के लोग पुलिस विभाग में कार्यरत हैं.’

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सिन्हा ने बताया की दोनों परिवार गांव छोड़ कर अपने मवेशियों के साथ अभी पोलमपल्ली थाना कैंपस में ही रह रहे हैं. यदि वे वापस जाना चाहेंगे तो उनको पूरी सुरक्षा देकर भेजा जाएगा, अन्यथा किसी अन्य सुरक्षित स्थान में बसाया जाएगा.’

हालांकि सिन्हा ने माना की ग्रामीणों को वापस भेजना अभी उचित नहीं होगा क्योंकि गांव के आस पास कोई पुलिस कैम्प नहीं है.

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