विजयपुरा: सोमवार को अपने 34 वर्षीय बेटे रवि निंबर्गी, जिसकी पिछले गुरुवार को हत्या कर दी गई थी, को अंततः दफना दिए जाने के बाद से, कर्नाटक के विजयपुरा जिले के सिंदगी तालुक के बालगानूर गांव में शांतावा निंबर्गी की चीख उनकी छोटी सी झोपड़ी के आसपास गूंज रही है.
बेलगावी के एक मुस्लिम युवक अरबाज आफताब मुल्ला की कथित तौर पर सितंबर के अंत में एक हिंदू युवती के साथ प्रेम संबंधों को लेकर की गयी हत्या के बाद होने वाली रवि की यह हत्या कर्नाटक में अंतरधार्मिक संबंधों की वजह से होने वाला नवीनतम घृणा-प्रेरित अपराध है.
रवि एक मुस्लिम युवती से प्यार करता था, जिसके भाई और मामा (जो उसका बहनोई भी हैं) को इस हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है. स्थानीय पुलिस इस मामले के तीन और आरोपियों की तलाश कर रही है जो सभी इसी युवती के परिवार के सदस्य हैं.
65-वर्षीय शांतावा ने दिप्रिंट को बताया, ‘रवि मेरे तीन बेटों में सबसे होशियार था.’
रवि ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), सिंदगी से डिप्लोमा हासिल किया था. उसके बड़े भाई बसवराज और छोटे भाई शशिधर कभी हाई स्कूल की पढाई भी पूरी नहीं कर पाए.
अपने पांच एकड़ के खेत, जहां वे अरहर (दाल), कपास और गन्ना उगाते हैं, से घिरी अपनी झोपड़ी के बाहर बैठे रवि के परिवार के सदस्यों का कहना है कि उनके पास न तो प्राथमिकी की नक़ल है और न ही उन्हें उसकी हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम पता हैं.
आंसुओं से डबडबाई आंखों के साथ बसवराज निंबर्गी ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसने पांच साल तक बेंगलुरु में काम किया और फिर विजयपुरा में एक गन्ना कारखाने में नौकरी की. फिर उसने वह नौकरी भी छोड़ दी और नौ महीने पहले ही घर वापस आया था’
गुरुवार की शाम किराने का सामान खरीदने के लिए घर से निकला रवि फिर कभी वापस नहीं लौटा. रविवार को उसका शव कुएं में पड़ा मिला.
उसके घर से निकलने के बाद क्या-क्या हुआ?
रवि के पिछले चार साल से एक मुस्लिम युवती के साथ प्रेम सम्बन्ध थे, हालांकि उसके परिवार तथा उस युवती के रिश्तेदारों का दावा है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
इस मामले की जांच कर रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हालांकि दोनों परिवारों का दावा है कि उन्हें कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्हें इस रिश्ते के बारे में बताया गया था. दोनों (प्रेमियों) ने यहां तक कह दिया था कि वे एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं, लेकिन घरवाले नहीं माने. अपने छोटे भाई-बहनों द्वारा उनसे पहले शादी कर लिए जाने के बावजूद दोनों अविवाहित रहे.’
पुलिस के अनुसार, रवि जब गुरुवार शाम को युवती से फोन पर बात कर रहा था, तभी उसके परिजनों ने उसे रोक लिया, और उन्होंने कथित तौर पर उसके साथ मारपीट शुरू कर दी. पुलिस का कहना है कि रवि ने फोन की लाइन कटने से पहले उस युवती को बताया था कि उसके भाई और मामा उस पर हमला कर रहे थे.
ऊपर उद्धृत वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,’उसके बाद वह लड़की दौड़कर उस जगह पर गई जहां रवि ने बताया था कि वह है, लेकिन उसे वहां रवि नहीं मिला. फिर उसने पुलिस नियंत्रण कक्ष को फोन किया.’
रवि के छोटे भाई शशिधर ने दिप्रिंट को बताया, ‘उस दिन लगभग 7.30 बजे, वह हमारे घर आई और कहा कि रवि पर हमला किया जा रहा है. हमने उसे हर जगह खोजा, लेकिन वह कहीं नहीं मिला.’
स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंची लेकिन दोनों परिवार के किसी भी सदस्य का पता नहीं चल सका.
पुलिस अधिकारी ने आगे कहा, ‘फिर युवती को अपना बयान दर्ज करवाने के लिए पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जिसके बाद हमें संदेह हो गया था कि रवि की हत्या कर दी गई होगी. हमने उस युवती को उसके परिवार से बचाने के लिए एक महिला गृह आश्रय में भेज दिया.’
अगली सुबह, रवि के परिवारवालों ने उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि, ‘उसके मामा और भाई को राज्य की सीमा के पास से पकड़ा गया था.’ उनका यह भी कहना था कि उनके कबूलनामे के विवरण ने पुलिस को चौंका दिया.
जांच अधिकारी ने इस बात पर जोर देते हुए कि अपराध पूर्व नियोजित नहीं था, दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने उसे सामने से रोका और फिर उस पर हमला करना शुरू कर दिया. दोनों आरोपियों ने रवि के गले में रस्सी बांध दी और दोनों ओर से इसे खींचा, जिससे उसका दम घुटने लगा. फिर उन्होंने उसके शरीर पर एक बड़ा पत्थर बांध दिया और उसे पास के एक कुएं में फेंक दिया.’
परिवार ने युवती को त्यागा और सभी आरोपों को खारिज कर रहे हैं
युवती का परिवार रवि के घर से कुछ ही मीटर की दूरी पर रहता है. उसकी मां नजीबुन्निसा ने गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों की पहचान उनके पांचवें बेटे इमाम चंद साब और भाई बंदेनवाज के रूप में की है. उसकी सबसे बड़ी बेटी की शादी बंदेनवाज से हुई है.
पुलिस अब उसके अन्य बेटों इस्माइल, अशफाक, अल्ताफ और इब्राहिम की तलाश में है.
नजीबुन्निसा ने दिप्रिंट को बताया, ‘गुरुवार वह आखिरी दिन था जब मैंने अपने बेटों को देखा था. वे अपने काम-धंधे पर जा रहे थे. केवल इमाम और बंदेनवाज़ हीं गांव में थे और उन्होंने अपने द्वारा हत्या की बात कबूल कर ली है. मुझे समझ में नहीं आता कि अब पुलिस मेरे दूसरे बेटों की तलाश क्यों कर रही है.’
नजीबुन्निसा का कहना है, ‘मेरे दूसरे बेटे उस दिन काम पर गए हुए थे. वे गांव में थे ही नहीं. मेरी बेटी जानबूझकर उन्हें फंसा रही है.’
परिवार के पास पांच एकड़ जमीन और दो टेंपो ट्रैवलर्स हैं जिनका उपयोग फसलों के परिवहन (लाने-ले जाने) के लिए किया जाता है.
युवती के परिवारवालों ने हत्या के दिन से ही उससे बात नहीं की है. नजीबुन्निसा ने कहा, ‘वह हमारे लिए मरे के सामान है.’ साथ खड़ी उसकी एक और बेटी तथा दो बहुओं ने भी इस बात पर सहमति में सिर हिलाया.
सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील गांव में असहिष्णुता का माहौल?
बालागानूर गांव के ग्रामीणों ने दिप्रिंट को बताया कि उनका गांव अभी भी दो साल पहले मुसलमानों और हिंदुओं के बीच हुए संघर्ष से उबर रहा है.
इस गांव के रहने वाले देवप्पावर पाटिल ने दिप्रिंट को बताया, ‘दो साल पहले, मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने बिना किसी से अनुमति लिए एक ‘टीपू सर्कल’ बनाया था. इससे हिंदू नाराज थे और उन्होंने भी कुछ मीटर की दूरी पर एक ‘शिवाजी सर्कल’ बना लिया. जल्द ही, दोनों समुदायों के बीच झड़पें शुरू हो गईं और पुलिस ने दोनों पक्षों के 25 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. स्थिति को शांत करने के लिए पुलिस अधीक्षक, जिला आयुक्त और राजनेताओं को आकर शांति वार्ता करवानी पड़ी.’
सिंदगी की स्थानीय पुलिस ने इन झड़पों की बात से इनकार तो नहीं किया, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी ‘छोटी चिंगारियां’ गांव के लिए आम बात है. ऊपर उद्धृत पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘सिवाय इसके कि वे दोनों अलग-अलग धर्मों से हैं, यहां कोई दूसरा मुद्दा नहीं था. यहां तक की इस घटना के बाद भी गांव में शांति ही है. घटना के बाद वाले दिन हमें कुछ झड़पों की आशंका थी और इसलिए दोनों परिवारों के घरों के पास अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया था. शुक्र है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई.‘
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