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Tuesday, 25 June, 2024
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उन्नाव रेप केस : एससी के आदेश के बाद जांच तेज, दुर्घटना वाली जगह पर पहुंची सीबीआई की टीम

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सीबीआई से रहस्यात्मक दुर्घटना के मामले को सात दिनों के भीतर जांच करने को कहा था. जिसके बाद जांच एजेंसी ने कार्यवाही शुरू कर दी है.

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रायबरेली : सुप्रीम कोर्ट के मामले में सात दिन के भीतर सुनवाई के आदेश के बाद सीबीआई ने जांच की कार्यवाही शुरू कर दी है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक टीम शुक्रवार को उस स्थल पर पहुंची जहां उन्नाव बलात्कार पीड़िता, उसके वकील और दो चाची बीते 28 जुलाई को एक दुर्घटना के शिकार हुए थे.

घटना स्थल जहां 28 जुलाई को, एक ट्रक ने उस वाहन को टक्कर मारी थी जिसमें पीड़ित जा रही थी. इस दुर्घटना में उसकी दो चाची की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई, लेकिन उसे और उसके वकील को बड़ी चोटें आईं जिनका लखनऊ के किंग्स जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में इलाज चल रहा है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सीबीआई से रहस्यात्मक दुर्घटना के मामले को सात दिनों के भीतर जांच करने को कहा था. अदालत ने उन्नाव बलात्कार की घटना से संबंधित सभी मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने का भी आदेश दिया था.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने दुर्घटना के संबंध में निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और नौ अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है. मामले में जांच मंगलवार को सीबीआई को सौंप दी गई थी.

उन्नाव जिले के बांगरमऊ से विधायक सेंगर ने 4 जून, 2017 को उन्नाव में अपने निवास पर लड़की से कथित तौर पर बलात्कार किया था, जहां वह नौकरी की तलाश में गई थी. वह अभी सीतापुर जिला जेल में बंद है.

उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता दुर्घटना मामले की सुनवाई 15 दिन लखनऊ में होगी

सर्वोच्च न्यायालय ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुई दुर्घटना के मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने पर 15 दिनों के लिए शुक्रवार को रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि 15 दिनों तक मामले की सुनवाई लखनऊ में होगी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को उन्नाव दुष्कर्म से जुड़े पांच मामलों को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था और एक विशेष न्यायाधीश को दैनिक आधार पर सुनवाई करने का आदेश दिया था.

शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की कि वह दुर्घटना मामले को दिल्ली स्थानांतरित नहीं करे. सीबीआई की तरफ से पेश महाधिवक्ता तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि दुर्घटना मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से एक को लखनऊ में न्यायिक दंडाधिकारी के सामने पेश किया जाना है. उन्होंने कहा, ‘जब तक जांच पूरी न हो जाए तब तक अदालत को दुर्घटना के मामले को दिल्ली स्थानांतरित नहीं करना चाहिए.’ अदालत ने रिमांड की कार्रवाई पूरी होने तक दुर्घटना के मामले को स्थानांतरित नहीं करने के सीबीआई के अनुरोध को स्वीकार कर लिया.

इससे पहले दिन में शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली जेल में बंद दुष्कर्म पीड़िता के चाचा को दिल्ली की तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने का आदेश दिया. पीड़िता का चाचा एक मामले में 10 साल जेल की सजा काट रहा है. यह आदेश तब आया जब उत्तर प्रदेश सरकार ने तिहाड़ जेल में उसके स्थानांतरण की मांग करने वाली याचिका पर कोई आपत्ति नहीं जताई. अदालत ने मीडिया को भी यह निर्देश दिया कि दुष्कर्म पीड़िता की पहचान का खुलासा न किया जाए. पीड़िता व उसके परिवार के कुछ वीडियो प्रसारित हो चुके हैं.घायल पीड़िता व उसके वकील को लखनऊ के एक अस्पताल से दिल्ली स्थित एम्स में स्थानांतरित करने के फैसले पर परिवार की हिचकिचाहट की जानकारी के बाद पीठ ने सोमवार को सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की.

उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता का लखनऊ में ही इलाज चाहते हैं परिजन

इससे पहले उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की मां ने शुक्रवार को कहा कि वह लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) अस्पताल में हो रहे पीड़िता के उपचार से खुश हैं और नहीं चाहतीं कि उनकी बेटी को चिकित्सा के लिए अब दिल्ली ले जाया जाए. सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा था कि यदि 19 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता का परिवार चाहे, तो बेहतर चिकित्सा के लिए उसे लखनऊ के अस्पताल से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थानांतरित किया जा सकता है.

उन्नाव पीड़िता के चाचा को तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने का आदेश

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के चाचा को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने का आदेश दिया. पीड़िता के चाचा को तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोई आपत्ति न जताने पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश जारी किया.
पीड़िता के चाचा उत्तर प्रदेश में 10 साल कारावास की सजा काट रहे हैं.

इसके साथ ही पीड़िता और उसके परिवार के पुराने वीडियो को सार्वजनिक करने की जानकारी मिलने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मीडिया को भी निर्देश दिया है कि वे उनकी पहचान को सार्वजनिक न करें.

उल्लेखनीय है कि दुर्घटना के बाद पीड़िता और उसका वकील वेंटिलेटर पर हैं. वहीं पीड़िता की चाची और मौसी की इस दुर्घटना में मौत हो चुकी है. इनमें से एक अपराध की गवाह थी. इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

(एएनआई के इनपुट्स के साथ)

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