scorecardresearch
Thursday, 28 March, 2024
होमदेशअपराधहत्याएं, डकैतियां और रईसी, गैंगस्टर बदन सिंह 'बद्दो' के आपराधिक ज़िंदगी की कहानी

हत्याएं, डकैतियां और रईसी, गैंगस्टर बदन सिंह ‘बद्दो’ के आपराधिक ज़िंदगी की कहानी

उत्तर प्रदेश का गैंगस्टर बदन सिंह ‘बद्दो’, जिस पर करीब 40 आपराधिक मामले दर्ज हैं. पिछले महीने जेल से कोर्ट ले जाते समय छह पुलिसकर्मियों को शराब के नशे में धुत कर फरार हो गया.

Text Size:

नई दिल्ली: बुलेटप्रूफ बीएमडब्ल्यू, सीसीटीवी सुरक्षा और केंद्रीकृत वातानुकूलन से लैस घर, लुई विटॉन के जूते और आयातित पिस्तौलें- उत्तर प्रदेश के शातिर बदमाश बदन सिंह ‘बद्दो’ का आपराधिक जीवन बॉलीवुड सिनेमा में दिखाए जाने वाले गैंगस्टर और आपराधिक सरगनाओं से ज़्यादा अलग नहीं है.

1996 में एक वकील की हत्या करने के ज़ुर्म में आजीवन कैद की सज़ा भुगत रहा ‘बद्दो’ पिछले दिनों फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार से गाज़ियाबाद की एक अदालत में पेशी के लिए ले जाते समय फरार हो गया.

51 वर्षीय बद्दो की शख़्सियत से जुड़ने वाली बात उसका फरार होना नहीं, बल्कि इसके लिए इस्तेमाल का तरीका है.

28 मार्च को जब पुलिस का दस्ता मेरठ के मुकुट महल होटल में खाने के लिए रुका तो बद्दो कथित रूप से छहों पुलिसकर्मियों को नशे में धुत कराने में कामयाब रहा और फिर प्रोटोकॉल में इस चूक का फायदा उठाते हुए वह अपने गैंग द्वारा उपलब्ध कराई गई एक काली लग्जरी कार में भाग निकला.

उत्तर प्रदेश पुलिस को बाद में पता चला कि बद्दो ने पहले ही मुकुट महल होटल में पैसा लगा रखा था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

मेरठ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अखिलेश नारायण सिंह ने एएनआई को बताया, ‘गिरफ्तार अपराधी बदन सिंह कथित रूप से एक होटल में पुलिस दस्ते को दारू पार्टी देकर भाग निकला. इस मामले में छह पुलिसकर्मियों और तीन अन्य लोगों को हिरासत में ले लिया गया है और तहकीकात जारी है.’ पर जहां तक बद्दो के कुख्यात होने की बात है, तो फरारी की घटना तो मात्र एक बानगी है.

मेरठ पुलिस ने दिप्रिंट को बताया कि उत्तर भारत के कई राज्यों में बद्दो पर करीब 40 अन्य मामले दर्ज हैं. इनमें फिरौती वसूलने से लेकर हत्या और हत्या की कोशिश, अवैध हथियार रखने और उनकी आपूर्ति करने और बैंक डकैती जैसे मामले शामिल हैं.

‘मौज़मस्ती का शौकीन’

मेरठ के ट्रांसपोर्ट नगर थाने के एसएचओ प्रमोद गौतम ने दिप्रिंट से कहा, ‘उसने क्या नहीं कर रखा है. शुरुआत में ही दिखने लगा था कि उसकी दिलचस्पी शानो-शौकत भरी ज़िंदगी में है. वह मौज़मस्ती पसंद करने वाला घमंडी व्यक्ति था. जो दोस्तों के सामने हमेशा ये दिखाने की कोशिश करता कि वह एक बड़ा आदमी है.’

ट्रांसपोर्ट नगर थाने में बद्दो के खिलाफ कई मामले दर्ज़ हैं और वह इसी इलाके का निवासी है.

बद्दो ने बहुत सावधानी से एक तेज़ और अपने काम पर ध्यान देने वाले सफल व्यक्ति की छवि गढ़ी है. उसे जानने वाले लोग बताते हैं कि वह मात्र आठवीं पास है और यह दिखाने के लिए कि उसे अंग्रेज़ी भी आती है. उसने अंग्रेज़ी के 15-20 वाक्य रट रखे हैं.

अपने फेसबुक प्रोफाइल में बद्दो ने आत्मसुधार, निष्ठा, नेतृत्व, भरोसा, सफलता और अच्छी ज़िंदगी जैसे विषयों पर प्रेरक बातें लगाकर खुद के दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत होने की छवि बनाने का प्रयास किया है.

फेसबुक पर उसके एक पोस्ट में कहा गया है, ‘एक अच्छा राजा जानता है कि कब उसे अपनी ताकत बचानी है और कब शत्रुओं का संहार करना है’. और एक अन्य पोस्ट में लिखा है, ‘उम्र के इस पड़ाव पर मेरी दिलचस्पी मात्र निरंतरता, स्थायित्व, सम्मान और निष्ठा में है.’

एक दिलचस्प तस्वीर कारतूस के खोकों की है, जिनमें से एक में से फूल निकल रहा है और उसका शीर्षक है. ‘ज़िंदगी राह ढूंढ ही लेती है.’

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के ज़रिए, जहां बद्दो ने खुद को बदन संधू बता रखा है. वह एक संभ्रांत व्यवसायी की छवि पेश करता है. सलीके से रखी गई दाढ़ी, मोटी मूंछों, टाइट फिटिंग वाली महंगी जैकेटों और काले चश्मों में बद्दो कहीं से भी एक आम अपराधी नहीं दिखता है.

जबकि, तीन दशक पहले बदन सिंह जब अपराध की दुनिया में आया था तो वह एक मामूली अपराधी ही था.

बदन सिंह का उदय

1970 के दशक के उत्तरार्द्ध में जब बद्दो के पिता चरण सिंह जालंधर (पंजाब ) से मेरठ के बेरीपुर में रहने आए. तो परिवार के जीवनयापन के लिए उन्हें काम करने की ज़रूरत थी. उन्होंने कारों और ट्रकों के ड्राइवर के रूप में काम शुरू करना शुरू किया और आगे चलकर खुद एक ट्रांसपोर्टर बन गए.

सात भाइयों में सबसे छोटे बद्दो ने ट्रांसपोर्टर के व्यवसाय से जुड़ने के लिए अपने पिता और बड़े भाई किशन सिंह से सलाह ली. ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में होने का इस्तेमाल उसने आपराधिक दुनिया में दोस्त बनाने में किया.

गौतम के अनुसार, आगे चलकर अकेले रह गए बद्दो के लिए मेरठ के ‘बुरे लोगों’ के साथ मिलना-जुलना आसान था. बद्दो के 40 वर्ष का होते-होते उसके सभी छह भाई इस दुनिया से विदा ले चुके थे.

करीब एक दशक पहले उसके सबसे बड़े भाई किशन सिंह की मौत दिल्ली से मेरठ आते हुए एक सड़क दुर्घटना में हो गई. बद्दो के तीन भाइयों की मौत कम उम्र में ही हो गई थी – एक बीमारी से मरा, जबकि दो की मौत दुर्घटनाओं में हुई.
गौतम के अनुसार, बद्दो 1980 के दशक में जब उम्र की तीसरी दहाई में था. वह मेरठ के मामूली बदमाशों के साथ मिलकर यूपी की सीमा के आरपार शराब की तस्करी किया करता था.

उन्होंने बताया, ‘यहां से शुरू कर वह अपराध जगत की गहराइयों में उतरता चला गया ना सिर्फ मेरठ में बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और यहां तक कि आंध्र प्रदेश में भी, जहां कि उसके खिलाफ बैंक डकैती का एक मामला दर्ज है.’

आपराधिक इतिहास

बदन सिंह की आपराधिक गतिविधियों पर दो दशकों से नज़र रख रहे मेरठ के एक पत्रकार ने के अनुसार बद्दो की ज़िंदगी में एक बड़ा मोड़ तब आया जब पश्चिमी यूपी के कुख्यात गैंगस्टर रवींद्र भूरा ने उसे अपने गैंग में शामिल किया.

पत्रकार ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘1996 आते-आते, जब उसने वकील रवींद्र सिंह की हत्या की, बद्दो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख आपराधिक गिरोहों से जुड़ चुका था. शराब की तस्करी से शुरू कर उसने जल्दी ही लग्जरी कारों को चुराकर बेचने और विवाद के समाधान के नाम पर महंगी संपत्तियों पर कब्ज़ा करने में महारत हासिल कर ली.’

बद्दो का आपराधिक दबदबा काफी कुछ उत्तर प्रदेश के अन्य गैंगस्टरों से उसके गठजोड़ की बदौलत था.

रवींद्र भूरा की 2007 में हत्या हो जाने के बाद बद्दो ने एक अन्य कुख्यात बदमाश मुज़फ़्फ़रनगर के सुशील मूंछ से हाथ मिला लिया. मूंछ राज्य में 10 हत्याओं के मामले में वांछित अपराधी है.

बदन सिंह (दाये) और सुशील मूछ (बाये )।फेसबुक

उल्लेखनीय है कि मूंछ ने 30 मार्च को, यानि बद्दो के फरार होने की मात्र दो दिन बाद, मुज़फ़्फ़रनगर की एक स्थानीय अदालत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.

एसएचओ गौतम के अनुसार, ‘बद्दो के आपराधिक चरित्र की जानकारी 1988 में उस पर दायर हत्या के पहले मामले के ज़रिए सामने आई. उसने व्यवसाय संबंधी मतभेदों के बाद राजकुमार नामक एक व्यक्ति को मेरठ के गुदड़ी बाज़ार कोतवाली में दिन-दहाड़े गोली मार दी थी.’

पर, बद्दो के लिए बुरे दिन की शुरुआत हुई वकील रवींद्र सिंह की 1996 में हुई हत्या से.

रवींद्र सिंह की हत्या

देवेंद्र पाल सिंह को अब भी उस दिन का एक-एक दृश्य याद है, जब उनकी आंखों के सामने उनके भाई की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

देवेंद्र का सहपाठी और मेरठ के विजयंत गैस सर्विस का मालिक पवन सोनी अपने पिता के साथ रहने के दौरान बदन सिंह का पड़ोसी हुआ करता था. सोनी के स्टोर पर एक दिन रवींद्र ने बदन सिंह और सोनी के बीच झगड़े में हस्तक्षेप किया और बदन को चांटा मार बैठा.

मामला शांत होने के बाद सोनी 9 अगस्त 1996 को अपने बीमार पिता को देखने थापर नगर गया. उसके साथ उसकी पत्नी गीतांजली तथा दोनों भाई देवेंद्र और रवींद्र भी थे.

देवेंद्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसके पिता के साथ एक घंटा रहने के बाद जब हम अपनी कार तक आए, हमने वहां बदन सिंह को बंदूकों, राइफलों, दोनाली शॉटगनों और करीब 40 लोगों के दस्ते के साथ खड़ा पाया.’

तब बद्दो का भाई किशन भी जीवित था, और घटनास्थल पर मौजूद था.

देवेंद्र बताते हैं, ‘बदन सिंह ने गीतांजलि के साथ दुर्व्यवहार किया, मेरे भाई के सिर में गोली मार दी और पवन की नई कार में वहीं आग लगा दी.’

घटना के बाद देवेंद्र ने बदन और किशन के खिलाफ मामला दर्ज कराया. मुकदमे के दौरान ही किशन की मौत हो गई.
देवेंद्र बताते हैं कि उसी दिन से उन्हें अपनी पत्नी और बच्चों से अलग रहना पड़ रहा है. जान बचाने के लिए वे निरंतर एक शहर से दूसरे शहर में भागते रहते हैं.

आखिरकार, 2015 में रवींद्र सिंह की हत्या का मामला ग्रेटर नोयडा के एससी/एसटी कोर्ट मे स्थानांतरित कर दिया गया, जहां दो साल बाद 31 अक्टूबर 2017 को बदन सिंह को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई.

पिछले दिनों बद्दो के फरार होने के बाद देवेंद्र को- जो खुद एक वकील हैं और गैंगस्टर को सज़ा दिलाने में जिनकी अहम भूमिका थी- डर है कि वह उन पर वार कर सकता है.

देवेंद्र कहते हैं, ‘किसी आपराधिक सरगना के लिए जेल की सज़ा शर्मिंदगी और अपमान की वजह होती है. मुझे निरंतर डर लगा रहता है कि उसका अगला निशाना मैं ना होऊं.’

‘पहचान’ की ललक

मौजूदा स्थिति के बारे में पुलिस अधीक्षक अखिलेश नारायण सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि मेरठ पुलिस बदन सिंह को ढूंढ निकालने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. उन्होंने मामले की संवेदनशीलता के मद्देनज़र अधिक जानकारी देने से इनकार किया.

सिंह के अनुसार, बदन सिंह एक चालाक अपराधी है, और टीवी पर अपनी चर्चा होते देखकर उसे खुशी हो रही होगी.

उन्होंने कहा, ‘उसका कुप्रचार भविष्य में उसके धंधे में काम ही आएगा. वह एक बड़े माफिया सरगना के रूप में पहचाना जाना चाहता है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments