कोलकाता: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद गुरुदास दासगुप्ता का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी. दासगुप्ता 83 वर्ष के थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता के निधन पर बृहस्पतिवार को शोक जताते हुए कहा कि संसद में वह एक मुखर वक्ता थे. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘गुरुदास दासगुप्ता जी बेहद प्रतिबद्ध नेताओं में शुमार थे और वे अपनी विचारधारा का स्पष्ट समर्थन करते थे. संसद में वह एक मुखर वक्ता थे, जिनके विचारों को समूचे राजनीतिक परिदृश्य में बड़ी गंभीरता से सुना जाता था.’
उनके परिवार में पत्नी और बेटी हैं.
दासगुप्ता पिछले कुछ महीने से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे. पश्चिम बंगाल में भाकपा के सचिव स्वपन बनर्जी ने यह जानकारी दी.
बनर्जी ने कहा, ‘कोलकाता स्थित अपने निवास पर सुबह छह बजे दासगुप्ता का निधन हो गया. वे पिछले कुछ समय से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे. खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने पार्टी के सभी पद छोड़ दिए थे लेकिन वे भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्य थे.’
दासगुप्ता को 1985 में राज्य सभा के लिए चुना गया था. वे 2004 में पांसकुड़ा और 2009 में घाटल सीट से लोकसभा सदस्य थे.
दासगुप्ता का राजनीति में पदार्पण पचास व साठ के दशक में एक छात्र नेता के रूप में हुआ था. सन 1964 में भाकपा से टूट कर भाकपा (मार्क्सवादी) बनने के बाद दासगुप्ता ने भाकपा में ही रहने का फैसला किया था.
दासगुप्ता के निधन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘भाकपा के नेता गुरुदास दासगुप्ता जी के निधन पर दुखी हूं. उन्हें एक सांसद के रूप में राष्ट्र को दिए योगदान और ट्रेड यूनियन के नेता के रूप में याद किया जाएगा. उनके परिवार, मित्रों और साथियों के प्रति संवेदना प्रकट करती हूं.’
खराब स्वास्थ्य की वजह से उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था.