नई दिल्ली: देश में इस साल कोविड की भयावह दूसरी लहर के दौरान बुजुर्ग लोगों को वायरस का प्रकोप अधिक झेलना पड़ा, वहीं महामारी के दौरान ट्रांसजेंडरों और दिव्यांग लोगों के सामने आई समस्याओं से निपटने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस साल कई कार्यक्रम शुरू किये.
जाति आधारित जनगणना की बढ़ती मांग से भी मंत्रालय जूझता रहा.
ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य आजीविका प्रभावित होने के कारण महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित हुए. देश के मौजूदा हालात इस वंचित तबके को अत्यधिक संकट में धकेल रहे हैं और वे भोजन तथा सेहत जैसी बुनियादी जरूरतों की कमी से जूझ रहे हैं. समुदाय के ऐसे लोगों की संख्या करीब 4.88 लाख हो सकती है.
महामारी की पहली लहर के बाद 2021 की शुरुआत में उनकी हालत सुधरी थी लेकिन दूसरी लहर की भयावहता में उनके आजीविका के साधन बंद हो गये. मंत्रालय ने महामारी के कारण अवसादग्रस्त ट्रांसजेंडर लोगों के मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के लिए एक नि:शुल्क हेल्पलाइन की घोषणा की.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ट्रांसजेंडरों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से तात्कालिक मदद के रूप में उन्हें 1,500-1,500 रुपये का भत्ता देने की घोषणा की.
दूसरी तरफ बुजुर्ग लोगों ने न केवल कोविड के संक्रमण के अत्यंत जोखिम का सामना किया बल्कि महामारी के कारण सामाजिक अलगाव और अकेलेपन से भी जूझते रहे. महामारी के मद्देनजर उम्रदराज लोगों की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए मंत्रालय ने ‘एल्डरलाइन’ परियोजना के तहत प्रमुख राज्यों में कॉल सेंटर शुरू किये.
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और कर्नाटक में यह सुविधा शुरू की गयी. तेलंगाना में ऐसी सुविधा एक साल पहले से चल रही थी.
बिहार के साथ महाराष्ट्र और ओडिशा के अनेक राजनीतिक दलों ने देश में जाति आधारित जनगणना की मांग की. लेकिन मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि पिछड़े वर्गों की जातीय गणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन’ काम है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग रखना ‘सावधानीपूर्वक उठाया गया नीतिगत कदम’ है.
सरकार ने श्रवण-बाधित लोगों के सशक्तीकरण के लिए और देश में सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने के लिए ‘भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र’ की स्थापना की. यह संस्थान सांकेतिक भाषा के लिए शब्दकोश तैयार कर रहा है जिसमें अब तक 10,000 से अधिक शब्द जोड़े जा चुके हैं.
मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी बताया कि सरकार दिव्यांग लोगों का राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के उद्देश्य के साथ एक विशिष्ट दिव्यांग पहचान पत्र परियोजना लागू कर रही है. अब तक 713 जिलों में 64 लाख से अधिक ऐसे कार्ड तैयार किये जा चुके हैं.
सरकार मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दिव्यांग खेल केंद्र भी स्थापित कर रही है जो अगले साल के मध्य तक पूरा बन जाएगा.
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय के लिए 2022 की मुख्य चुनौती ट्रांसजेंडर, बुजुर्ग और दिव्यांग लोगों पर महामारी के बुरे असर से निपटने की और उन्हें वापस पटरी पर लाने की होगी.
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