नई दिल्ली: कोविड-19 का असर इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी उत्सव पर भी नजर आएगा. हर साल की तरह नागपुर में होने वाले इस कार्यक्रम में कोई भी अतिथि शामिल नहीं होगा. केवल आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ही कार्यक्रम में अपना उद्बोधन देंगे.
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘संघ के मुख्यालय नागपुर में प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार बड़ा कार्यक्रम नहीं होगा. कोरोना की गाइडलाइन के चलते विजयादशमी उत्सव का कार्यक्रम एक हॉल के अंदर ही आयोजित होगा. शस्त्र पूजन के कार्यक्रम के बाद संघ प्रमुख अपना उद्बोधन देंगे. इसमें चुनिंदा ही स्वयंसेवक शामिल होंगे. सामान्यत: इस कार्यक्रम में कोई न कोई अतिथि शामिल होता है लेकिन इस बार कोई शामिल नहीं हो रहा है. संघ के सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी किया जाएगा.’
वहीं, इस बार दशहरे पर सड़कों पर संघ की धमक देखने को नहीं मिलेगी. कोरोनावायरस के चलते इस बार संघ ने पथ संचलन नहीं निकालने का फैसला किया है.
कोरोना की गाइडलाइंस को देखते हुए शाखाओं में छोटे स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जहां भी कार्यक्रम होंगे, वहां सभी स्वयंसेवकों को मास्क पहनकर आना अनिवार्य होगा.
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25 अक्टूबर रविवार को सुबह 8 बजे छोटे स्तर पर आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत चुनिंदा स्वयंसेवकों के साथ साथ पूरे देश को संबोधित करेंगे. इस कार्यक्रम में अधिकतम् 100 स्वयंसेवक ही शामिल होंगे. इस कार्यक्रम में बाहर से ज्यादा लोगों को नहीं बुलाया गया है.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में की थी. इस दिन स्वंयसेवक शस्त्र पूजन कर पथ संचलन का आयोजन करते हैं.
वहीं, विजयादशमी के दिन संघ प्रमुख का जो उद्बोधन होता है उसी को आधार मानते हुए वर्षभर स्वयंसेवक काम करते हैं. इसमें सरकार के लिए भी एक संदेश रहता है.
इस बार संघ 95वां स्थापना दिवस समारोह मनाने जा रहा है. ये कार्यक्रम संघ के छह प्रमुख उत्सवों में से एक है.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने देशभर में अपनी जिला इकाइयों पर स्वयं सेवकों को शाखा लगाने की अनुमति भी प्रदान कर दी है. स्थानीय जिला प्रशासन के निर्देशों का ध्यान रखते हुए शाखा लगाने के लिए कहा गया है.
कोरोना के चलते स्वयं सेवक ऑनलाइन शाखा लगा रहे थे. इसमें जूम एप के जरिए एक साथ दर्जनों स्वयंसेवक अपने घरों से मोबाइल या लैपटॉप से इससे जुड़े थे.
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