नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एक धन शोधन मामले की जांच के खिलाफ कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार की याचिका पर सुनवाई के लिए 23 जनवरी की तारीख तय की है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी कि उसके लिए मंगलवार को सुनवाई शुरू करना संभव नहीं था।
पीठ ने कहा, ‘‘पक्षों की ओर से पेश वकीलों का कहना है कि मामले में कुछ समय लगेगा। आंशिक सुनवाई वाले मामले पहले से ही अदालत में सूचीबद्ध होने के कारण सुनवाई शुरू करना संभव नहीं होगा। इसे 23 जनवरी को सूचीबद्ध करें।’’
शिवकुमार ने कथित आय से अधिक संपत्ति के मामले के बाद 2020 में एजेंसी द्वारा दर्ज ईसीआईआर (शिकायत) में उन्हें जारी किए गए समन सहित जांच को रद्द करने की मांग करते हुए 2022 में उच्च न्यायालय का रुख किया था।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि उनकी दलीलों में ‘आधे दिन’ का समय लगेगा क्योंकि इसमें महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।
अपनी याचिका में शिवकुमार ने अपने खिलाफ धन शोधन जांच को कई आधारों पर चुनौती दी, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि ईडी उसी अपराध की फिर से जांच कर रहा है जिसकी जांच 2018 में एक अन्य मामले में पहले ही की जा चुकी है।
अधिवक्ताओं मयंक जैन, परमात्मा सिंह और मधुर जैन के माध्यम से दायर अपनी दलीलों में शिवकुमार ने कहा कि वर्तमान जांच उनके खिलाफ कार्यवाही का दूसरा सेट बनाती है और यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और शक्ति का दुर्भावनापूर्ण प्रयोग है।
उच्च न्यायालय ने दो मई, 2023 को आदेश दिया कि ईडी अपने रुख के प्रति ‘बाध्य’ होगी कि मामले में शिवकुमार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
ईडी ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया है कि एजेंसी द्वारा दर्ज की गई दो ईसीआईआर तथ्यों की कुछ अधिव्याप्ति (ओवरलैपिंग) वाले अलग-अलग मामलों से संबंधित हैं जिन्हें दोबारा जांच नहीं कहा जा सकता है।
जांच एजेंसी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दो ईसीआईआर अलग-अलग तथ्यों पर आधारित थी और यहां तक कि दोनों मामलों में निर्धारित अपराध भी अलग-अलग थे और इसमें शामिल अपराध से अर्जित आय की मात्रा भी अलग थी।
भाषा संतोष नरेश
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