नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज कराये जाने के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को जारी नोटिस पर सोमवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने 17 मार्च की तिथि वाले नोटिस को चुनौती देने वाली एक अर्जी पर सुनवायी करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा मामले में पूर्व में जारी समन पर पिछले साल उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने रोक लगा दी थी और इसके खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की गई है।
अदालत ने कहा, ‘‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि (पूर्व के) नोटिस पर पहले ही अदालत द्वारा एक प्रथम दृष्टया मामले को देखते हुए रोक लगा दी गई है, वही दिनांक 17 मार्च, 2022 की तिथि वाले नोटिस पर सुनवाई की अगली तारीख तक के लिए रोक लगायी जाती है, यानी 17 मई, 2022 तक।’’
पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने दलील दी कि वर्तमान नोटिस पहले जारी किए गए नोटिस से अलग है, क्योंकि राज्य पुलिस ईडी अधिकारियों को कोलकाता बुलाने के बजाय राष्ट्रीय राजधानी में आई है। उन्होंने कहा, ‘‘वे यह नहीं कह सकते कि वे (पश्चिम बंगाल पुलिस) बिल्कुल भी नहीं बुलाएंगे। यह एक बहुत ही गंभीर मामला है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘एक बार नोटिस पर रोक लगने के बाद आगे बढ़ने का सवाल ही कहां है… या तो आप उस आदेश पर रोक लगवा दें। यह आदेश आपके रास्ते में आ रहा है।’’
पाहवा ने अदालत से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि स्थगन आदेश का मतलब मामले में जांच पर रोक नहीं है और कहा कि 17 मार्च का नोटिस 21 मार्च को पेश होने के लिए था और इस तरह उसकी अविध समाप्त हो गई है और राज्य पुलिस ने अब तक कोई और नोटिस जारी नहीं किया है।
अदालत ने कहा कि मौजूदा कार्यवाही का दायरा केवल समन को रद्द करने तक सीमित है।
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दलील दी कि ईडी अधिकारियों के पेश होने के लिए नोटिस कोलकाता में दर्ज एक दुर्भावनापूर्ण प्राथमिकी के तहत जारी किया गया है।
केंद्रीय एजेंसी ने याचिका में कहा कि पश्चिम बंगाल में अवैध कोयला खनन से संबंधित मामले की जांच कर रहे अपने अधिकारी पर ‘दबाव’ डालने के लिए, अभिषेक बनर्जी ने वर्तमान प्राथमिकी दर्ज की और इसके तहत उन्हें (अधिकारियों को) नोटिस जारी किया गया।
याचिका में कहा गया है, ‘‘प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही पीएमएलए के तहत जांच को पटरी से उतारने और देरी करने के इरादे से उक्त प्राथमिकी दर्ज की गई है।’’
भाषा अमित नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.