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Friday, 15 November, 2024
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न्यायालय ने मलयालम चैनल के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के आदेश पर रोक लगायी

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नयी दिल्ली, 15 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सुरक्षा आधार पर मलयालम समाचार चैनल ‘मीडियावन’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने वाले केंद्र के 31 जनवरी के फैसले पर मंगलवार को अगले आदेश तक रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि समाचार चैनल अपना काम जारी रखेगा जैसा कि वह प्रसारण पर रोक से पहले कर रहा था। पीठ ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि अंतरिम राहत प्रदान करने का मामला बनता है। हम केंद्र सरकार द्वारा माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी को रद्द करने के 31 जनवरी, 2022 के आदेश को अगले आदेश तक रोक लगाने का निर्देश देते हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड और चैनल के संपादक प्रमोद रमण और अन्य) को उसी आधार पर समाचार और करंट अफेयर्स चैनल ‘मीडियावन’ का संचालन जारी रखने की अनुमति दी जाएगी, जैसा कि मंजूरी रद्द करने से पहले चल रहा था।

पीठ ने केंद्र द्वारा दाखिल फाइल पर गौर करने के बाद आदेश पारित किया, जिसके आधार पर सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी गई थी और केरल उच्च न्यायालय ने प्रसारण पर प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए आदेश पारित किया था।

पीठ ने अभी इस पर फैसला नहीं किया कि क्या वे फाइल चैनल को दी जाए जिनके आधार पर प्रतिबंध का आदेश जारी किया गया ताकि वह अपना बचाव कर सकें।

न्यायालय ने केंद्र को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ चैनल की अपील पर 26 मार्च तक विस्तारपूर्वक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

उच्चतम न्यायालय ने सुरक्षा आधार पर प्रसारण पर रोक लगाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ चैनल की याचिका पर 10 मार्च को केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।

सुनवाई की शुरुआत में मीडिया संस्थान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि मंगलवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश ने एक अन्य मामले में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देने की प्रथा को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सीलबंद कवर का चलन कानून के आधार पर हमला करता है और इसे प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है।

दलीलें रखते हुए दवे ने कहा, ‘‘मैं (याचिकाकर्ता) 2011 से अपना व्यवसाय चला रहा हूं और मेरे लाखों दर्शक हैं। अब मुझे बंद कर दिया गया है और 382 लोग नौकरी से बाहर हो गए हैं। दवे ने कहा, 2019 में पांच साल के लिए डाउनलिंकिंग की अनुमति दी गई थी।

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि उन्हें विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय चाहिए और उन्हें अंतरिम राहत देने का मतलब उन्हें वास्तविक राहत देना होगा।

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने भी कहा कि वे फाइल लाए हैं लेकिन यह न्यायालय के अवलोकन के लिए है और वे शीर्ष अदालत के साथ साझा करने से नहीं कतरा रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को सुरक्षा आधार पर चैनल के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ चैनल की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।

भाषा आशीष अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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