नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र,दिल्ली सरकार और पुलिस से उस जनहित याचिका पर जबाव मांगा जिसमें अधिकारियों से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में 2019 और 2020 में हुए प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान करने और उनसे नुकसान की भरपाई कराने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला ने गृह मंत्रालय के जरिए केन्द्र को,दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। यह जनहित याचिका (पीआईएल) एक अधिवक्ता और कानून के एक छात्र ने दाखिल की है।
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवायी के लिए 21 सितंबर की तारीख निर्धारित की है। याचिकाकर्ताओं वकील हिनू महाजन और कानून के छात्र अमनदीप सिंह गहलोत ने नुकसान की जांच के लिए एक स्वतंत्र तंत्र स्थापित करने और इससे संबंधित मुआवजा देने का भी अनुरोध किया।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता युद्धवीर सिंह चौहान ने यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि सरकारी विभाग और निजी व्यक्ति, जिनकी संपत्ति विरोध प्रदर्शनों के दौरान क्षतिग्रस्त हुई थी, के नुकसान की भरपायी की जाए।
गौरतलब है कि 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सीएए के विरोध में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी,जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और लगभग 700 लोग घायल हो गए थे।
भाषा
शोभना उमा
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