नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पांच सरपंचों की उस याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया, जिसमें अनुरोध किया गया कि 1968 से आंध्र प्रदेश और ओडिशा दोनों ने जिन 21 गांवों पर दावा किया है, उन्हें आंध्र प्रदेश का हिस्सा घोषित किया जाए।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इन विवादित 21 गांवों के लिए ओडिशा सरकार द्वारा जारी पंचायत चुनाव अधिसूचना को रद्द करने से भी इनकार कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि इस मामले में अनुच्छेद 131 के तहत एक मुकदमा लंबित है और वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर एक याचिका पर 21 गांवों को आंध्र प्रदेश के हिस्से के रूप में घोषित करने की ऐसी राहत नहीं दे सकता है।
सुनवाई की शुरुआत में सरपंचों की ओर से पेश अधिवक्ता बीना माधवन ने कहा कि यह आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले की सलूर नगरपालिका के निर्वाचित सरपंचों द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद से ये 21 गांव विजयनगरम जिले का हिस्सा हैं, लेकिन ओडिशा ने इस पर अपने अधिकार क्षेत्र का दावा किया है।
पीठ ने पूछा कि अधिसूचना के अनुसार चुनाव कब निर्धारित किया गया। माधवन ने कहा कि चुनाव फरवरी में हुए थे। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को चुनाव को चुनौती देने की जरूरत है और वह अनुच्छेद 32 याचिका के तहत चुनाव और परिणामों की घोषणा को प्रभावित नहीं कर सकती है। माधवन ने कहा कि उन्होंने चुनाव से पहले 11 फरवरी को याचिका दायर की थी।
पीठ ने कहा कि क्या याचिका पर विचार किया जाए, इस पर उसके गंभीर सवाल हैं क्योंकि इससे ‘भानुमती का पिटारा’ खुल जाएगा। ओडिशा सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सिबू शंकर मिश्रा ने कहा कि अनुच्छेद 131 का मुकदमा लंबित है और अदालत ने अवमानना याचिका पर भी आदेश पारित किया है।
पिछले साल 12 फरवरी को शीर्ष अदालत ने ओडिशा द्वारा दायर एक याचिका पर आंध्र प्रदेश को जवाब दाखिल करने को कहा था। ओडिशा ने तीन ‘‘विवादित क्षेत्र’’ गांवों में पंचायत चुनावों को अधिसूचित करने के लिए आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया था। ओडिशा सरकार ने दलील दी थी कि आंध्र प्रदेश सरकार उसके नियंत्रण वाले विवादित क्षेत्र में पंचायत चुनाव करा रही है।
‘कोटिया ग्राम्य समूह’ कहे जाने वाले 21 गांवों के अधिकार क्षेत्र का विवाद 1968 में शीर्ष अदालत में पहुंचा था। ओडिशा ने पूर्व की तीन अधिसूचना के आधार पर दावा किया था कि आंध्र प्रदेश ने अच्छी तरह निर्धारित उसके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया। शीर्ष अदालत ने दो दिसंबर 1968 को ओडिशा द्वारा दायर मुकदमे के निपटारे तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। अब ओडिशा सरकार ने आंध्र के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया है।
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