नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने तिहाड़ जेल में कैदियों की भीड़भाड़ कम करने के लिए पहली बार अपराध में संलिप्त तीन साल से कम सजा वाले अपराधियों की रिहाई पर विचार को लेकर कैदियों की परिवीक्षा रिपोर्ट तलब करने संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और बेहतर शोध के बाद नये सिरे से याचिका दायर करने की अनुमति दी।
पीठ ने कहा, ‘‘अपना (पर्याप्त) होमवर्क करें और फिर एक नयी याचिका दायर करें।’’
न्याय फाउंडेशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि तिहाड़ जेल में कैदियों की संख्या प्रत्येक बैरक की वास्तविक क्षमता से अधिक हो गई है और परिसर में कैदियों की कुल संख्या में 500 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
याचिका के अनुसार, एक आरटीआई आवेदन के जवाब में जेल महानिदेशक के कार्यालय ने कहा है कि तिहाड़ जेल की क्षमता 5,200 कैदियों की है, लेकिन वर्तमान में 13,183 कैदी वहां बंद हैं।
इसमें कहा गया है कि भीड़भाड़ कम करने के लिए उन कैदियों को जमानत पर रिहा करने के वास्ते परिवीक्षा रिपोर्ट तलब की जानी चाहिए, जो पहली बार अपराधी हैं और तीन साल से कम सजा वाले अपराधों में शामिल हैं।
किसी आरोपी को सलाखों के पीछे डालने का मुख्य उद्देश्य बंदी में सुधार लाना है, ताकि वह अच्छे व्यवहार और आचरण के साथ समाज की मुख्यधारा में फिर से शामिल हो सके।
भाषा सुरेश दिलीप
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