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Saturday, 19 October, 2024
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न्यायालय ने न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति निरस्त करने संबंधी अधिसूचना को रद्द किया

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नयी दिल्ली, 26 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उस अधिसूचना को रद्द कर दिया जिसमें बिहार के एक न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया था कि वह राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण तय तारीख पर नौकरी नहीं शुरू कर सके थे।

वर्ष 2020 में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण न्यायिक अधिकारी परिवीक्षाधीन सिविल न्यायाधीश के पद पर निर्धारित समय पर काम शुरू करने के लिए नहीं पहुंच सके थे। इसके बाद उनकी नियुक्ति रद्द करने संबंधी अधिसूचना जारी की गई थी।

अनुसूचित जाति वर्ग के न्यायिक अधिकारी राकेश कुमार लॉकडाउन के दौरान नागपुर में फंस गये थे। राकेश को दरभंगा के बिरौल पहुंचकर समय से नौकरी शुरू करने के लिए ट्रेन या विमान सेवा नहीं उपलब्ध हो सकी। उनके वकील के अनुसार उन्हें गंतव्य तक पहुंचने के लिए टैक्सी से 1,100 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी।

न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि उस समय देश में कोविड-19 महामारी के कारण यात्रा पर प्रतिबंध थे। पीठ ने कहा कि उस दौरान विमान और ट्रेन, दोनों से यात्रा करना प्रतिबंधित था और इसमें कोई विवाद नहीं है कि 25 मई, 2020 तक उड़ानों की अनुमति नहीं थी।

इसके बाद इसने पटना उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द करने का निर्देश दिया, जिसमें उसने अधिसूचना को रद्द करने संबंधी कुमार की याचिका को खारिज कर दिया था।

कुमार की अपील में कहा गया है कि उन्होंने 30वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में भाग लिया था और उन्हें छह जनवरी, 2020 को परिवीक्षाधीन सिविल न्यायाधीश (जूनियर डिवीजन) के रूप में नियुक्त किया गया था। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि कुमार की नियुक्ति इस शर्त के अधीन बहाल की जाये कि वह वरिष्ठता का दावा करने के हकदार नहीं होंगे।

न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को चार सप्ताह की अवधि के भीतर नियुक्ति प्रदान की जाएगी।

भाषा संतोष देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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