नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2017 में घाटी का माहौल बिगाड़ने वाली कथित आतंकी एवं अलगाववादी गतिविधियों से जुड़े एक मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक सहित अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है।
अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद, हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और अलगाववादी नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम सहित अन्य के खिलाफ यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और गैरकानूनी व आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के संबंध में आरोप तय करने का आदेश दिया है।
अदालत ने हाफिज मोहम्मद सईद, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, फारूक अहमद डार, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, मसरत आलम, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर को भी आरोपित किया है।
सबूतों पर बहस के बाद विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह स्थापित होता है कि शब्बीर शाह, यासीन मलिक, राशिद इंजीनियर, अल्ताफ फंटूश, मसरत और हुर्रियत/संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) को आतंकी गतिविधियों के लिये सीधे तौर पर धन मिला था।
उन्होंने कहा, “अब तक दर्ज गवाहों के बयानों से एक बात उभरी है कि पाकिस्तान, उसकी एजेंसियों और अभियुक्तों का एक साझा लक्ष्य है और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले साधनों को लेकर उनके बीच सहमति है। यह भी पता चला है कि आतंकी गतिविधियों के लिये वित्तपोषण पाकिस्तान से भी किया जा रहा है।”
अदालत ने कहा कि साजिश की लगाम आईएसआई जैसी पाकिस्तानी एजेंसियों के रूप में सीमापार बैठे आकाओं के हाथों में थी और प्रत्येक षडयंत्रकारी हर दूसरे साजिशकर्ता को जानते हुए प्राप्त निर्देशों के हिसाब से अपनी भूमिका निभा रहा था, जिसका मकसद जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने के अंतिम उद्देश्य के तहत रक्तपात, हिंसा और तबाही को अंजाम देना था।
अदालत ने कहा कि आतंकी गतिविधियों के वास्ते धन पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों द्वारा भेजा गया था और यहां तक कि राजनयिक मिशन का इस्तेमाल नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए किया गया था।
न्यायालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी हाफिज सईद ने भी आतंकी गतिविधियों के लिए धन भेजा था।
अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने के अंतिम उद्देश्य के साथ एक आपराधिक साजिश रची गई थी और उस साजिश के तहत मूल लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुछ कार्य किए गए थे, जिन्हें आतंकी कृत्य पाया गया है।
सैयद अली गिलानी, मोहम्मद यासीन मलिक और अन्य द्वारा मीडिया के लिए जारी एक संयुक्त बयान को पढ़ने के बाद अदालत ने कहा कि आतंकी संगठन और जेआरएल/ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) न केवल एक समान लक्ष्य साझा करते हैं, बल्कि आधिकारिक रूप से इस्तेमाल उनके शब्दों से स्पष्ट है कि वे उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एकजुट होकर काम भी करते हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि एक आपराधिक साजिश के तहत बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किए गए, जिसके चलते व्यापक हिंसा और आगजनी हुई।
न्यायालय ने कहा कि मलिक ने ‘आजादी के लिये संघर्ष’ के नाम पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने की खातिर दुनियाभर में एक विस्तृत ढांचा व तंत्र स्थापित किया था।
उसने कहा कि आरोपी जहूर अहमद शाह वटाली आतंकी गतिविधियों के लिये धन के प्रवाह के लिए मुख्य माध्यमों में से एक था, जबकि आरोपी नवल किशोर कपूर ने इसे सुगम बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
एक वीडियो पर नजर डालने के बाद अदालत ने कहा कि राशिद इंजीनियर भारत और उसके सशस्त्र बलों के प्रति असंतोष को भड़काने की कोशिश कर रहा है।
न्यायालय ने कहा कि इंजीनियर जम्मू-कश्मीर के पुलिस कर्मियों को यह संदेश देते दिख रहा है कि वे अपने अधिकारियों के आदेशों का पालन न करें, क्योंकि उन आदेशों पर अमल करना अपने ही भाइयों पर अत्याचार करने जैसा होगा।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मुताबिक, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान की आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला करके घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया।
यह भी आरोप लगाया गया कि 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को एक राजनीतिक मोर्चा देने के लिए एपीएचसी का गठन किया गया था।
एनआईए द्वारा अदालत में दाखिल आरोपपत्र के मुताबिक, केंद्र सरकार को विश्वसनीय जानकारी मिली है कि हाफिज सईद और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस सहित अन्य संगठनों के अलगाववादी नेता हवाला सहित अन्य अवैध चैनलों के माध्यम से घरेलू स्तर पर और विदेश में धन जुटाने के लिए प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के सदस्यों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
एनआईए ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया गया था और वे सुरक्षाबलों पर पथराव करके और स्कूलों व सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को व्यवस्थित रूप से नुकसान पहुंचाकर घाटी में व्यवधान पैदा करने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बड़ी साजिश में शामिल हैं।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप
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