scorecardresearch
Saturday, 2 November, 2024
होमदेशउर्दू,फारसी के 383 शब्दों के इस्तेमाल को रोकने के लिये अदालत ने दिल्ली पुलिस से मंगाई एफआईआर

उर्दू,फारसी के 383 शब्दों के इस्तेमाल को रोकने के लिये अदालत ने दिल्ली पुलिस से मंगाई एफआईआर

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने सोमवार को कहा कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के दौरान उर्दू और फारसी के शब्दों के इस्तेमाल को रोकना चाहिए.

Text Size:

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर के विभिन्न पुलिस थानों से 100 प्राथमीकियों की प्रतियां मंगाई है, ताकि यह पता चल सके कि शिकायतें दायर करने में ‘उर्दू’ या ‘फारसी’ भाषा के 383 शब्दों के इस्तेमाल को रोकने के एक हालिया पुलिस परिपत्र का अनुपालन हो रहा है नहीं.

अदालत ने कहा कि प्राथमिकी सरल भाषा में होनी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने सोमवार को कहा कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के दौरान उर्दू और फारसी के शब्दों के इस्तेमाल को रोकना चाहिए, जिनका बगैर सोचे समझे और स्वत: ही इस्तेमाल कर दिया जाता है.

अदालत ने इसके पीछे यह तर्क दिया कि लोग इन शब्दों को समझ नहीं पाएंगे. पीठ ने कहा कि प्राथमिकी अदालत में बार- बार पढ़ी जाती है और इसलिए इसे सरल भाषा में या प्राथमिकी दर्ज कराने के लिये पुलिस से संपर्क करने वाले व्यक्ति की भाषा में होनी चाहिए.

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने पीठ से कहा कि उसने 20 नवंबर को अपने सभी थानों को एक परिपत्र जारी कर उन्हें प्राथमिकी दर्ज करने के दौरान उर्दू और फारसी के शब्दों की जगह सरल शब्दों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है.

पीठ के समक्ष उर्दू/फारसी के ऐसे 383 शब्दों की सूची पेश की गई, जिनका अब इस्तेमाल नहीं होता. अदालत ने अधिवक्ता विशालाक्षी गोयल की जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया.

पीठ ने पुलिस को 10 पुलिस थानों में दर्ज कम से कम 10-10 प्राथमीकियां अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा कि अगली तारीख पर पीठ के समक्ष हलफनामे के साथ कम से कम 100 प्राथमीकियां पेश की जानी चाहिए.

बहरहाल, अदालत ने इस विषय की अगली सुनवाई 11 दिसंबर के लिये निर्धारित की है.

share & View comments