रांची, 13 अगस्त (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय ने मेसरा स्थित बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी) परिसर में पिछले साल हुई एक छात्र की हत्या के मामले में संस्थान पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
यह जुर्माना छात्र के माता-पिता को दिया जाएगा।
अदालत ने विद्यार्थियों के सामने आने वाली आपात चिकित्सा स्थितियों से निपटने के लिए राज्य भर के शैक्षणिक संस्थानों और विद्यालयों द्वारा पालन किए जाने वाले दिशानिर्देश भी तैयार किए।
न्यायमूर्ति संजय प्रसाद की पीठ ने कहा कि बीआईटी-मेसरा अपने संरक्षण में एक छात्र की सुरक्षा करने के अपने कर्तव्य में विफल रहा और संस्थागत विफलता के कारण एक व्यक्ति की जान चली गई।
अदालत ने 12 अगस्त को दिये आदेश में कहा कि झारखंड के सभी शैक्षणिक संस्थानों को एम्बुलेंस सुविधाओं वाले सरकारी और निजी अस्पतालों की एक सूची बनानी होगी।
न्यायाधीश ने आदेश दिया कि प्रत्येक स्कूल और कॉलेज में एक डिस्पेंसरी या क्लिनिक होना चाहिए, जिसमें 500 से 1,000 विद्यार्थियों पर एक पुरुष व एक महिला चिकित्सक हो और उनमें जीवन रक्षक दवाइयां व अन्य दवाएं उपलब्ध हों।
आदेश के मुताबिक, कक्षाओं और संस्थान के प्रमुख स्थानों पर लगे सूचना पट्टों पर अस्पतालों और चिकित्सकों के नाम व उनके संपर्क नंबर भी प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाने चाहिए।
अदालत ने कक्षाओं और छात्रावास के प्रवेश द्वारों के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि इसके अलावा विद्यार्थियों और संस्थान के बीच संपर्क बनाए रखने के लिए एक अलग शिकायत प्रकोष्ठ और एक छात्र निगरानी दल का गठन किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने कहा कि विद्यार्थियों और अभिभावकों की शिकायत निवारण के लिए संस्थान द्वारा एक पोर्टल या वेबसाइट भी बनाई जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने मामले की सुनवाई करते हुए दोषियों मौसम कुमार सिंह, अभिषेक कुमार, साहिल अंसारी और इरफान अंसारी की याचिकाएं खारिज कर दीं।
भाषा जितेंद्र प्रशांत
प्रशांत
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.