नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने करोड़ों रुपये के कथित घोटाले में भारतीय भेषजी परिषद (फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया-पीसीआई) के अध्यक्ष मॉन्टू एम पटेल को अग्रिम जमानत दे दी।
अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में अभियोजन पक्ष के पास ‘पुख्ता सबूत नहीं’ है।
विशेष न्यायाधीश सुशांत चंगोत्रा ने 23 जुलाई को दिये आदेश में कहा, ‘‘अदालतों का यह दायित्व है कि वे किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा और जांच एजेंसी के निष्पक्ष जांच के अधिकार के बीच उचित संतुलन बनाए रखें।’’
अदालत ने मामले के तथ्यों का अवलोकन करते हुए कहा कि आरोप ‘‘प्रथम दृष्टया किसी भी ठोस सामग्री द्वारा समर्थित नहीं हैं’’ और यदि पटेल की स्वतंत्रता की रक्षा नहीं की गई तो अदालत अपने कर्तव्य में विफल होगी।
फार्मेसी कॉलेजों के निरीक्षण और अनुमोदन प्रक्रियाओं में कथित भ्रष्टाचार और प्रणालीगत अनियमितताओं को लेकर पटेल के खिलाफ मामला दर्ज किये जाने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके परिसरों की तलाशी ली थी।
पटेल के खिलाफ यह कार्रवाई प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर की गई, जिसमें महाविद्यालयों को मंजूरी देने में कथित भ्रष्टाचार, नियंत्रण और संभावित हेरफेर के उदाहरणों के अलावा, उनके खिलाफ चुनाव-पूर्व प्रलोभन और चुनाव-पश्चात भाई-भतीजावाद के प्रारंभिक आरोप भी शामिल थे।
न्यायाधीश चंगोत्रा ने हालांकि कहा कि आरोपी पहले ही जांच में शामिल हो चुका है और उसके फरार होने का कोई खतरा नहीं है, साथ ही उससे कोई बरामदगी नहीं की जानी है और ऐसे कोई तथ्य नहीं हैं जिनके आधार पर उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत हो।
अदालत ने कहा कि कथित अपराधों के लिए अधिकतम सात वर्ष की सजा का प्रावधान है।
अदालत ने टिप्पणी की कि उसके द्वारा सवाल किये जाने के बाद जांच अधिकारी (आईओ) यह स्पष्ट करने में विफल रहे कि उन्होंने 5,000 करोड़ रुपये की रिश्वत राशि का उल्लेख कैसे किया। इसके बजाय जांच अधिकारी ने कहा कि यह राशि का अनुमान ‘गुप्त सूचना’ और ‘मीडिया की खबरों’ के माध्यम से लगाया गया।
न्यायाधीश ने कहा कि पटेल द्वारा कथित तौर पर खरीदी गई 118 करोड़ रुपये की संपत्ति के स्वामित्व के बारे में स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया था, न ही खरीद की तारीख का उल्लेख किया गया।
अदालत ने इसी के साथ पटेल को एक-एक लाख रुपये के मुचलका और जमानत बांड जमा करने पर राहत दे दी। साथ ही यह शर्त लगाई कि वह साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और जब भी आवश्यकता होगी, जांच में शामिल होंगे।
पीसीआई केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय है।
भाषा धीरज वैभव
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