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मंगलवार, 13 मई, 2025
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अदालत ने सलेम को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के समर्थन में दस्तावेज दाखिल करने के लिए समय दिया

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नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रत्यर्पित कर लाये गये माफिया सरगना अबू सलेम को अपनी उस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के समर्थन में दस्तावेज दाखिल करने के लिए मंगलवार को समय दिया जिसमें दावा किया गया था कि उसकी हिरासत अवैध है।

अबू सलेम 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा कि सलेम के वकील को उस फैसले की इलेक्ट्रॉनिक प्रति रिकॉर्ड में पेश करनी चाहिए जिस पर वह भरोसा कर रहे हैं ताकि यह दिखाया जा सके कि उनकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विचारणीय है।

पीठ ने मामले को 14 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और सलेम का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता एस हरिहरन को संक्षिप्त लिखित दस्तावेज दाखिल करने की भी अनुमति दी।

एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका किसी लापता या अवैध रूप से हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत में पेश करने का निर्देश देने के लिए दाखिल की जाती है।

उच्च न्यायालय सलेम की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें भारत में उसकी हिरासत को अवैध घोषित करने और संधि की शर्तों को देखते हुए उसे पुर्तगाल वापस भेजने का अनुरोध किया गया है।

सलेम के वकील ने उसकी हिरासत रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा कि प्रत्यर्पण विभिन्न आश्वासनों पर किया गया था जिनका उल्लंघन किया गया और उसकी हिरासत अवैध है। उन्होंने कहा कि सलेम को अतिरिक्त आरोपों के लिए दोषी ठहराया गया है जो संधि का हिस्सा नहीं थे।

याचिका में कहा गया है कि सलेम को 2002 में प्रत्यर्पित किया गया था और तब से वह जेल में बंद है और ऐसी कोई उम्मीद नहीं है कि लंबित अपीलों पर जल्द ही फैसला किया जाएगा।

उच्चतम न्यायालय ने 27 अक्टूबर 2021 को हत्या के मामले में सलेम को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

विशेष टाडा अदालत ने 25 फरवरी, 2015 को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन और उनके चालक मेहंदी हसन की हत्या मामले में सलेम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

भाषा

देवेंद्र अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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