नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे का संचालन करने वाली निजी फर्म नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (एनटीबीसीएल) के पूर्व अधिकारी के खिलाफ कुछ प्रतिकूल टिप्पणियों वाले अपने आदेश में संशोधन करने पर बृहस्पतिवार को सहमति जताई।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि एनटीबीसीएल के पूर्व अधिकारी प्रदीप पुरी के खिलाफ भले ही अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी की गई थी, लेकिन चूंकि वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए अदालत नहीं चाहती कि उन्हें अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़े।
उसने कहा, “कैग रिपोर्ट बहुत स्पष्ट है, इसलिए फैसला वही रहेगा। हालांकि, हम उक्त व्यक्ति के खिलाफ टिप्पणियों के संबंध में फैसले में संशोधन करेंगे।”
पुरी ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर आधारित फैसले में उनके खिलाफ की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों को हटाने के अनुरोध के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया था।
पुरी के वकील ने दलील दी थी कि कैग ने उनके खिलाफ कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है, जिसके चलते फैसले में उक्त पैराग्राफ को स्पष्ट किया जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने नौ मई को अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें लाखों दैनिक यात्रियों को राहत देते हुए डीएनडी फ्लाईवे को टोल मुक्त रखने का आदेश दिया गया था।
उसने एनटीबीसीएल की याचिका पर 20 दिसंबर 2024 के फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 20 दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के डीएनडी फ्लाईवे को टोल-मुक्त करने के फैसले को बरकरार रखा था और नोएडा प्राधिकरण तथा उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली की सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा था कि सत्ता के दुरुपयोग और जनता के विश्वास के उल्लंघन ने उसकी अंतरात्मा को गहरा आघात पहुंचाया है।
भाषा पारुल रंजन
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