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Tuesday, 23 December, 2025
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न्यायपालिका पर निशिकांत दुबे की टिप्पणी के विरुद्ध याचिका की अगले सप्ताह सुनवाई को न्यायालय सहमत

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नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा हाल में शीर्ष अदालत और प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की आलोचना के विरुद्ध दायर याचिका की सुनवाई अगले सप्ताह करने को लेकर मंगलवार को सहमति जताई। याचिका में सोशल मीडिया मंचों से आपत्तिजनक वीडियो हटाने का अनुरोध किया गया है।

मामले की तत्काल सुनवाई की अनिवार्यता को लेकर न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष ‘विशेष उल्लेख’ किया गया।

वकील ने पीठ को बताया कि दुबे ने कहा था कि प्रधान न्यायाधीश देश में ‘‘गृह युद्ध’’ के लिए जिम्मेदार हैं और भाजपा सांसद की टिप्पणी के वीडियो प्रसारित होने के बाद सोशल मीडिया पर शीर्ष अदालत के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

वकील ने कहा, ‘‘यह बहुत गंभीर मुद्दा है।’’

न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, ‘‘आप क्या दायर करना चाहते हैं? क्या आप अवमानना ​​याचिका दायर करना चाहते हैं?’’

वकील ने दलील दी कि वह इस मामले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष पहले ही याचिका दायर कर चुके हैं, लेकिन सरकार सांसद के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है।

वकील ने कहा कि उनके एक सहयोगी ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति का अनुरोध किया था, लेकिन आज तक कोई नतीज नहीं निकला।

उन्होंने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि सोशल मीडिया मंच को इस वीडियो को हटाने के आज कम से कम निर्देश तो दिए जाएं।’’

पीठ ने कहा कि मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने सोमवार को एक अन्य याचिकाकर्ता से कहा था कि दुबे की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करने के लिए उन्हें अदालत की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

दुबे ने 19 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर शीर्ष अदालत को ही कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।

भाजपा सांसद की टिप्पणी केंद्र द्वारा अदालत को दिए गए उस आश्वासन के बाद आई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को सुनवाई की अगली तारीख तक लागू नहीं करेगा। अदालत ने अधिनियम के इन प्रावधानों पर सवाल उठाए थे।

बाद में, वक्फ (संशोधन) अधिनियम मामले में एक वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले उच्चतम न्यायालय के वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने का अनुरोध किया और आरोप लगाया कि दुबे ने शीर्ष अदालत की ‘‘गरिमा को कम करने के उद्देश्य से’’ ‘‘बेहद निंदनीय’’ टिप्पणी की थी।

भाजपा ने दुबे की उच्चतम न्यायालय की आलोचना संबंधी उनकी 19 अप्रैल की टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया। पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने टिप्पणियों को दुबे का निजी विचार बताया।

उन्होंने लोकतंत्र के एक अविभाज्य अंग के रूप में न्यायपालिका के प्रति सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से सम्मान भी प्रकट किया।

नड्डा ने कहा कि उन्होंने पार्टी नेताओं को ऐसी टिप्पणियां न करने का निर्देश दिया है।

भाषा सुरभि सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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