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Saturday, 20 April, 2024
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रेल इंजीनियरिंग, लॉजिस्टिक्स पर कोर्स—‘केंद्रीय’ टैग के बाद, गति शक्ति यूनिवर्सिटी पहले बैच के लिए तैयार

2018 में वड़ोदरा में रेल मंत्रालय द्वारा स्थापित, राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान, एक डीम्ड विश्वविद्यालय का नाम बदलकर गति शक्ति विश्वविद्यालय कर दिया गया है.

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नई दिल्ली: इस साल अगस्त महीने से भारत भर से लगभग 922 छात्र वड़ोदरा के गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) में कक्षाएं शुरू करेंगे—भारत में ऐसा पहला केंद्रीय विश्वविद्यालय, जो परिवहन बुनियादी ढांचे और रसद क्षेत्र के विशिष्ट पहलुओं की पढ़ाई कराएगा. गुजरात में इस विश्वविद्यालय की स्थापना इन क्षेत्रों में विशिष्ट जनशक्ति के लिए उद्योग की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए की गई थी.

रेल मंत्रालय द्वारा 2018 में राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान (NRTI) के रूप में स्थापित, एक डीम्ड विश्वविद्यालय, इसे पिछले साल जुलाई में केंद्रीय विश्वविद्यालय का टैग मिला और इसका नाम बदलकर गति शक्ति विश्वविद्यालय कर दिया गया. इस साल अपने पहले बैच के लिए, नया केंद्रीय विश्वविद्यालय बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बी.टेक) और मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) के डिग्री कोर्स प्रदान करेगा.

अगस्त से शुरू होने वाले बैच के लिए आवेदन पिछले महीने खोले गए थे. 202 छात्रों ने इस मई में एनटीआरआई से ग्रेजुएशन की है, पाठ्यक्रमों में विश्वविद्यालय में वर्तमान में 704 छात्र हैं. इन 704 छात्रों को गति शक्ति विश्वविद्यालय से प्रमाणन इस साल प्राप्त होगा.

गति शक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति (वी-सी) डॉ. मनोज चौधरी ने दिप्रिंट को बताया, “राष्ट्रीय रसद नीति (2022) और गति शक्ति मास्टरप्लान (2021) दोनों की पृष्ठभूमि के खिलाफ, परिवहन और रसद क्षेत्र में प्रतिभाशाली जनशक्ति की आवश्यकता थी, जो मुझे विश्वास है कि इस शैक्षणिक संस्थान द्वारा पूरा किया जा सकता है.”

राष्ट्रीय रसद नीति का उद्देश्य दक्षता का अनुकूलन करके रसद की लागत को कम करना है, जबकि गति शक्ति मास्टरप्लान कनेक्टिविटी परियोजनाओं के साथ समन्वित योजना और बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन को देखता है.

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यह कहते हुए कि परिवहन क्षेत्र पर शिक्षा प्रदान करने पर विश्वविद्यालय अनूठा रहा, चौधरी ने यह भी कहा कि रेलवे इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के लिए पाठ्यक्रम का शुरुआती बिंदु था और इसने भविष्य में परिवहन के अन्य साधनों जैसे विमानन और शिपिंग पर शिक्षण को समायोजित करने की योजना बनाई है.


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एनआरटीआई से जीएसवी तक बदलाव

NRTI का संचालन शिक्षक दिवस यानी 5 सितंबर, 2018 से शुरू हुआ, जिसमें 20 राज्यों के 103 छात्रों के पहले बैच को दो-तीन वर्षीय पूर्णकालिक स्नातक पाठ्यक्रमों – परिवहन प्रबंधन में बी.एससी इन ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी, बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) कार्यक्रम में प्रवेश दिया गया.

मीडिया रिपोर्टों ने उस समय “अत्यधिक बहु-विषयक और अनुभवात्मक प्रकृति” के लिए पाठ्यक्रमों की सराहना की थी.

2020 में दो नए बी.टेक और एमबीए प्रोग्राम और चार एमएससी पाठ्यक्रम शुरू किए गए.

जीएसवी वर्तमान में पांच बी.टेक पाठ्यक्रम (रेल इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता के साथ चार और परिवहन और रसद में एक), रसद और परिवहन अर्थव्यवस्थाओं पर दो एमबीए कार्यक्रम पेश कर रहा है.

पूर्ववर्ती एनटीआरआई द्वारा पेश किए जाने वाले सभी एम.एससी पाठ्यक्रमों को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन पिछले साल तीन साल के बीबीए और बीएससी कोर्स में छात्रों को दाखिला दिया गया.

गति शक्ति विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार कृष्ण कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के साथ विश्वविद्यालय को संरेखित करने के लिए तीन साल के कार्यक्रमों जैसे कुछ पाठ्यक्रमों को बंद करना पड़ा, जो बाज़ार में (खराब) मांग के कारण चार साल की स्नातक डिग्री और अन्य पर जोर देता है. बी.टेक और एमबीए ऐसे हैं जो बने हुए हैं क्योंकि उनकी अत्यधिक मांग है.”

अन्य बदलाव भी हुए हैं. विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अनुसार, यह अल्पकालिक विनिमय कार्यक्रमों के लिए यूएसए के कॉर्नेल विश्वविद्यालय, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग राज्य परिवहन विश्वविद्यालय और जापान परिवहन और पर्यटन अनुसंधान संस्थान के साथ सहयोग कर रहा है.

बी.टेक पाठ्यक्रमों में प्रवेश जेईई स्कोर और एक व्यक्तिगत इंटरव्यू के जरिए होता है. एमबीए के लिए, स्नातक की डिग्री (गणित या एक विषय के रूप में सांख्यिकी के साथ), सीयूईटी-पीजी स्कोर, व्यक्तिगत इंटरव्यू, कार्य अनुभव मानदंड हैं. एनटीआरआई ने बी.टेक को छोड़कर अपने सभी पाठ्यक्रमों के लिए एक प्रवेश परीक्षा आयोजित की, जिसमें प्रवेश जेईई अंकों के आधार पर होता था.


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पाठ्यक्रम और प्लेसमेंट

चौधरी के अनुसार, गति शक्ति विश्वविद्यालय में पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रम किसी भी बी.टेक या एमबीए पाठ्यक्रम के समान बुनियादी सिद्धांतों को पढ़ाते हैं, लेकिन जीएसवी में पाठ्यक्रम मॉड्यूल का 15-20 प्रतिशत विशेष परिवहन-विशिष्ट ज्ञान और कौशल के लिए अनिवार्य ऐच्छिक से बना है.

जबकि प्लेसमेंट पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, चौधरी ने कहा कि वे अपने सभी छात्रों को वर्तमान बैच से नियोजित करने के लिए हर संभव मदद कर रहे थे.

विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले भर्तीकर्ताओं में अडाणी (बंदरगाह और रसद), टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, रसद और आपूर्ति श्रृंखला कंपनी दिल्लीवरी, रेलवे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) और जर्मन औद्योगिक विनिर्माण कंपनी सीमेंस शामिल हैं.

चौधरी ने कहा, “सभी कार्यकारी परिषद के आधे, जो विश्वविद्यालय के लिए निर्णय लेते हैं, में रेमी माइलार्ड, एयरबस इंडिया के अध्यक्ष, और प्रदीप गौड़, रेल विकास निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, रेल मंत्रालय की निर्माण शाखा जैसे प्रमुख उद्योग के खिलाड़ी शामिल हैं. मार्गदर्शन के वास्ते उन्हें सावधानी से चुना गया है. हमारी अधिकांश फैकल्टी आईआईटी ग्रेजुएट हैं. इसके बाद रेलवे से ही हमारे पास ज्ञान देने और साझा करने के लिए पेशेवर हैं.”

कुछ छात्रों ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान, खराब बुनियादी ढांचे और प्लेसमेंट की शिकायत भी की. हालांकि, चौधरी ने कहा कि शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ विकास हो रहा है.

एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “मैंने अपना पूरा कोर्स घर से किया क्योंकि महामारी का समय था, लेकिन जब मैंने कैंपस का दौरा किया, तो मैंने देखा कि विश्वविद्यालय भवन भी तैयार नहीं था…यह एक अस्थायी संरचना जैसा लग रहा था.”

उनकी शिकायतों का जवाब देते हुए, चौधरी ने कहा कि परिसर 55 एकड़ में फैला हुआ था और आगे के विकास के लिए 110 एकड़ जमीन प्राप्त करने की प्रक्रिया में था.

उन्होंने कहा, “छात्रों के आने से पहले विश्वविद्यालय का विकास नहीं हो सकता, इसे समानांतर रूप से विकसित करना होगा और वे (समस्याएं) यात्रा की शुरुआत में ही थीं.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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