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Saturday, 4 May, 2024
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कोविड के बाद घर से काम करने का बढ़ा चलन, पुरुषों की तुलना में महिलाएं WFH से हैं ज्यादा खुश

कोविड महामारी के बाद कृषि क्षेत्र को छोड़कर हर उद्योग में घर से काम करने का आंकड़ा बढ़ा हैं. इनमें ऑफिस जॉब के क्षेत्र में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई हैं.

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नई दिल्ली: हिल्डा (हाउसहोल्ड, इनकम एंड लेबर डायनामिक्स इन ऑस्ट्रेलिया) ने 5 दिसंबर को एक सर्वेक्षण डेटा जारी किया जिसके अनुसार, ‘सबसे ज्यादा घंटे’ काम करने वाले ऑस्ट्रेलियाई लोगों का आकड़ा महामारी से पहले लगभग 6 प्रतिशत था जो बढ़कर 2020 में 21 प्रतिशत हो गया है. शोधकर्ताओं को मिले अप्रकाशित डेटा के अनुसार 2021 में यह बढ़कर 24 प्रतिशत हो गया है.

कोविड महामारी के बाद कृषि क्षेत्र को छोड़कर हर उद्योग में घर से काम करने का आंकड़ा बढ़ा हैं. इनमें ऑफिस जॉब के क्षेत्र में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है.

2020 के सर्वेक्षण ने उन लोगों से पूछा जिन्होंने घर पर काम करने के घंटे बढ़ा दिए थे कि इससे उनकी नौकरी करने की क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ा. क्या यह पहले के मुकाबले ‘बहुत बेहतर’, ‘थोड़ा बेहतर’, ‘लगभग समान’, ‘थोड़ा खराब’, या ‘बहुत खराब’ थी.

हर काम के अपने फायदे हैं. एक ओर, घर से काम करने से कर्मचारियों को अपने समय पर अधिक नियंत्रण मिल सकता है, जिससे कार्यालयीन कार्यों और अन्य कार्यों को संतुलित करना आसान हो जाता है.

घर पर काम करने वाले कर्मचारी अक्सर कम मीटिंग्स और काम के दौरान आने वाली बाधाओं में कमी की बात करते हैं, जिसका अर्थ है कि घर पर काम करना कम तनावपूर्ण होता है.

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दूसरी ओर, घर से काम करना कार्यालयीन कार्यों और अन्य कार्यों के समय के बीच की सीमाओं को खराब भी कर सकता है, काम को असामाजिक घंटों में धकेल सकता है.

इसका मतलब यह हो सकता है कि कर्मचारी सहकर्मियों के साथ बातचीत न कर पाने के कारण अधिक समय अलग-थलग बिताते हैं.

सर्वेक्षण में पाया गया कि जिन श्रमिकों के अनुपात ने अपनी नौकरी करने की क्षमता (42%) पर नकारात्मक प्रभाव की सूचना दी, वह सकारात्मक प्रभाव (24%) की सूचना देने वाले अनुपात से कहीं अधिक है.

घर पर अधिक काम करने वालों में से एक-तिहाई ने काम करने की अपनी क्षमता में थोड़े बदलाव की सूचना दी, आधे से अधिक ने पाया कि चीजें खराब नहीं हुई हैं.

हालांकि नकारात्मक प्रभावों की सूचना देने वाली संख्या सकारात्मक प्रभावों की संख्या की तुलना में आश्चर्यजनक लग सकती है, यह कम आश्चर्य की बात है कि 2020 में जिन लोगों को अचानक घर से काम करना पड़ा उनमें से कई के पास समर्पित कार्यक्षेत्र की कमी थी और उन्हें घर पर काम करने वाले अन्य घरेलू सदस्यों के साथ स्थान साझा करना पड़ा और बच्चों को भी घर में बैठकर पढ़ाई करने पर मजबूर होना पड़ा.

गैर-महामारी के समय में, जब घर से काम करना स्वैच्छिक होता है और घर में कार्यक्षेत्र बेहतर तरीके से स्थापित होते हैं, तो आकलन अधिक सकारात्मक होने की संभावना होती है.

जबकि आंकड़ो के मुताबिक घर से काम करने में महिलाएं बेहतर महसूस करती हैं, पुरुष ज्यादा नहीं.

2020 के हिल्डा सर्वे में घर से काम करने का नौकरी से संतुष्टि पर न्यूनतम प्रभाव पाया गया. लेकिन प्रारंभिक अप्रकाशित शोध जो हमने 2021 के सर्वेक्षण के आंकड़ों पर किया है, एक अलग तस्वीर पेश करता है – यह पुरुषों और महिलाओं पर अलग अलग असर दिखाता है.

2019 और 2021 दोनों में नियोजित लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, हम घर से काम करने की सीमा में बदलाव और महिलाओं के बीच नौकरी की संतुष्टि में बदलाव के बीच एक महत्वपूर्ण सकारात्मक जुड़ाव पाते हैं, लेकिन पुरुषों के साथ ऐसा नहीं है.

संतुष्टि में सबसे ज्यादा वृद्धि उन लोगों में पाई गई, जो दो दिन कार्यस्थल पर और तीन दिन घर से काम करते हैं.

घर से काम करने वाले श्रमिकों के लिए मुख्य लाभ काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों को संयोजित करने की बेहतर क्षमता से उत्पन्न होता है – कुछ ऐसा जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अधिक मायने रखता है क्योंकि वे घर की देखभाल का काम भी करती रहती हैं.

लेकिन यह भी देखा गया कि कार्यस्थल में उपस्थित कर्मचारियों को प्रमोट किए जाने की संभावना अधिक होती है और उन्हें उन कर्मचारियों की तुलना में अतिरिक्त जिम्मेदारियां मिलती हैं जो कार्यालय में उपस्थित नहीं होते हैं.

यदि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम उपस्थिति दिखाती हैं, तो उनके प्रयासों को मान्यता मिलने की संभावना कम होती है और उनके प्रमोशन की संभावनाओं को बढ़ाने वाले कार्यों और भूमिकाओं से बाहर होने की संभावना अधिक होती है.


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