नई दिल्ली: विभिन्न राज्यों की सरकारों द्वारा कोविड -19 संकट के मद्देनजर मुहर्रम को लेकर जारी दिशानिर्देशों के बीच बोहरा समुदाय के सदस्यों ने पवित्र महीने के दौरान मस्जिदों में जाने के बजाय घर पर नमाज अदा करने का फैसला किया है.
कोविड-19 के दौर में मुहर्रम के दौरान होने वाले कार्यक्रम भी बदले हुए नजर आ रहे है. बोहरा समाज पहले अपने धर्मगुरु की वाअज (प्रवचन) हजारों की तादाद में बैठकर मस्जिद में सुनता था. लेकिन यह पहली बार बोहरा समाज अपने घरों में ही धर्मगुरु के प्रवचन को सुन रहे हैं. साथ ही अपने घरों को क़ुरान की आयतों से सजा कर मस्जिद जैसा माहौल तैयार किया है.
बोहरा समाज कमेटी के सदस्य मुर्तजा सदरीवाला ने दिप्रिंट को बताया,’ कोरोना महामारी को देखते हुए दाऊदी बोहरा समाज के लोग अपने घर पर ही परिवारों के साथ रहकर अशारा मुबारका का हिस्सा बन रहे हैं. इस दौरान वे ऑनलाइन ही दुआओं और धर्मगुरुओं के पुराने प्रवचनों को सुन रहे हैं. रोज सुबह 11.45 से दोपहर 1.30 बजे तक ऑनलाइन रिकार्डिंग सुनने और देखने का समय तय किया गया है. वहीं शाम की नमाज़ के बाद 7.30 से रात 8.30 बजे तक मजलिस हो रही है.’
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सदरीवाला ने दिप्रिंट को बताया,’ धर्मगुरुओं के प्रवचनों को समाजजन तक पहुंचाने के लिए कई सारी तकनीकि तैयारियां भी की हैं, ताकि समाज का हर व्यक्ति घर पर रहकर इसका लाभ उठा सके.’
बोहरा समाज अशारा मुबारका की तैयारियों के विषय में वह आगे बताते हैं, ‘स्थानीय जमात व युवाओं को खासतौर पर इसके लिए तैयार किया गया है. ताकि वे समाज के सीनियर सिटीजन को ऑनलाइन प्रवचनों में हिस्सा लेने में मदद कर सकें. समाजजन ने क़ुरान की आयतें और पैगम्बर मोहम्मद साहब और उनके परिवार के नाम लिखे हुए बैनर्स, झंडे हाथों से बनाकर अपने घरों को भी सजाया है ताकि घर में ही मस्जिद जैसा माहौल तैयार हो जाए.’
Children of the @Dawoodi_Bohras community of #TheWoodlands #TX make homemade decorations as families spend #Ashara and the holy month of #Muharram at home this year due to #COVID19 restrictions. @JoeBiden pic.twitter.com/lANFlyQKav
— The Dawoodi Bohras of USA ?? (@Bohras_USA) August 23, 2020
उन्होंने आगे, ‘आमतौर पर अशारा मुबारका के कार्यक्रम के बाद समाजजन एक जगह एकत्र होकर भोजन करते थे.लेकिन कोरोना के चलते ये परंपरा भी बदल गई इस बार कम्यूनिटी किचन में तैयार हुआ भोजन कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सभी सदस्यों के घर तक पहुंचाया जा रहा है.’
गौरतलब है कि, मुहर्रम के पाक महीने से इस्लामी नए वर्ष की शुरुआत होती है. दाऊदी बोहरा समाज के दस दिनों का यह समय ‘अशारा मुबारका’ के नाम से जाना जाता है. इस दौरान हजारों समाजजन धर्मगुरु डॉ.सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन द्वारा चुने गए शहर में उनकी धार्मिक तकरीरों और सीखों को सुनने के लिए एकत्र होते है.जो समाजजन किसी कारण से उस जगह नहीं आ पाते है वे लोग स्थानीय स्तर पर एक धार्मिक सभा में जाकर धर्मगुरु के प्रवचनों को सुनते है.
इस वर्ष मुहर्रम में अशारा मुबारका 20 से 28 अगस्त तक आयोजित हो रहा है.
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2019 में बोहरा समाज के धर्मगुरु का अशारा मुबारका श्रीलंका में और 2018 में मध्यप्रदेश के इंदौर में आयोजित हुआ था. इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे.
कौन हैं बोहरा मुस्लिम
दाऊदी बोहरा मुस्लिमों की ही एक जाति है, जो शिया संप्रदाय के अंतर्गत आती है. बोहरा समुदाय की पहचान समृद्ध, संभ्रांत और पढ़े लिखे समुदाय के तौर पर होती है. इस समुदाय के ज्यादातर लोग व्यापार आदि में संलग्न रहते हैं. दाऊदी बोहरा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में बसते हैं. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अलावा अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दुबई, इराक, यमन, साउथ ईस्ट एशिया के अलावा ईस्ट अफ्रिका में भी इस समुदाय की संख्या अच्छी तादात में है. पूरे विश्व में बोहरा समाज के तकरीबन 10 लाख लोग हैं. वहीं भारत में करीब 4 लाख लोग रहते हैं.