नई दिल्ली: ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत संसद के केंद्रीय कक्ष में 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ पर एक कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को बताया, ‘आजादी के अमृत महोत्सव के तहत संसद के केंद्रीय कक्ष में संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर 2021 को एक समारोह आयोजित किया जायेगा। राष्ट्रपति कोविंद समारोह को संबोधित करेंगे.’
उन्होंने बताया कि इस समारोह को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति नायडू, प्रधानमंत्री मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी संबोधित करेंगे. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति अपने संबोधन के बाद संविधान की प्रस्तावना को पढ़ेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सभी केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों, स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों, विभिन्न निकायों और नागरिकों से आग्रह किया जाता है कि वे कोविड-19 प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए 26 नवंबर को राष्ट्रपति के साथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़ें.
जोशी ने बताया कि इस समारोह को जनभागीदारी बनाने के लिए संसदीय कार्य मंत्रालय ने दो पोर्टल तैयार किए हैं जिसमें से पहला ऑनलाइन माध्यम से संविधान की प्रस्तावना को पढ़ने से संबंधित हैं और दूसरा ‘संसदीय लोकतंत्र पर ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता’ से संबंधित हैं. उन्होंने बताया कि इसमें हिस्सा लेने वालों को प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा.
जोशी ने बताया कि संविधान की प्रस्तावना को ऑनलाइन माध्यम से 22 राजभाषाओं और अंग्रेजी में पढ़ने की व्यवस्था की गई है. इस पोर्टल पर कोई भी पंजीकरण करा सकता है और इन भाषाओं में से किसी में भी संविधान की प्रस्तावना को पढ़ सकता है.
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उन्होंने बताया कि संवैधानिक लोकतंत्र पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी के पोर्टल की शुरुआत 26 नवंबर को संसद के केंद्रीय कक्ष से राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी. इस कार्यक्रम में संसद सदस्यों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.
गौरतलब है कि संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था. संविधान दिवस की शुरुआत 2015 से की गई थी. भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था.
यह पूछे जाने पर कि क्या संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक लाया जाएगा जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पहले ही इस बारे में घोषणा की है और कृषि मंत्रालय इस पर विचार-विमर्श कर रहा है क्योंकि यह कृषि मंत्रालय के अधीन मामला है.
जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी जिन्हें लेकर किसान पिछले लगभग एक वर्ष से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.
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