नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर, टीकाकरण प्रयासों को बढ़ाने का सुझाव देने के अगले दिन सोमवार को, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा, कि ये ‘दुखद’ है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, सिंह के विचारों से सहमत दिखाई नहीं पड़ते, और इसकी बजाय उन्होंने, वैक्सीन पर हिचकिचाहट को बढ़ाने का काम किया है.
वर्धन ने कहा, ‘दुखद है, डॉ सिंह, कि आप इस बात से बख़ूबी वाक़िफ हैं, कि कोविड-19 से लड़ाई में टीकाकरण एक बहुत अहम उपाय है, लेकिन आपकी पार्टी और उन राज्यों में, जहां आपकी पार्टी की सरकारें हैं, ज़िम्मेदार पदों पर बैठे लोग आपके विचारों से सहमत नज़र नहीं आते’.
मनमोहन सिंह ने रविवार को पीएम मोदी को पत्र लिखकर, कोविड महामारी से लड़ने के उपाय सुझाए थे. अपने पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, कि हमें निरपेक्ष संख्या को नहीं देखना चाहिए, बल्कि ये देखना चाहिए, कि कितने प्रतिशत आबादी को टीके लग पाए हैं.
इस पर वर्धन ने कहा, ‘आपकी ये सलाह सही नहीं है, कि निरपेक्ष संख्या के भरम में न पड़कर, कवर की गई आबादी का प्रतिशत देखना चाहिए’. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी नेताओं को भी, इस सलाह पर अमल करना चाहिए.
वर्धन ने लिखा, ‘साफ ज़ाहिर है कि ऐसा नहीं हो सकता, कि कुल मामलों, एक्टिव मामलों, या मृत्यु दर पर कोई चर्चा, निरपेक्ष आंकड़ों पर आधारित होगी, जैसा कांग्रेस अकसर कोशिश करती है, लेकिन टीकाकरण आंकड़े कवर की गई आबादी के, प्रतिशत के रूप में ही दिखाए जा रहे हैं’.
पत्र में ये भी कहा गया है कि बहुत ही ‘दुखद’ है, कि कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्यों ने, जिनमें एक ‘मौजूदा मुख्यमंत्री’ भी शामिल हैं, वैज्ञानिकों तथा वैक्सीन निर्माताओं के प्रयासों का आभार प्रकट नहीं किया, और उसकी बजाय, ‘इन वैक्सीन्स के असर के बारे में, झूठा प्रचार करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जिससे इन्हें लेकर लोगों में हिचकिचाहट बढ़ी है’.
वर्धन ने ये भी कहा कि कांग्रेस सदस्यों ने, सार्वजनिक रूप से वैक्सीन्स पर शर्मिंदगी का इज़हार किया, ‘लेकिन निजी तौर पर ख़ामोशी के साथ अपनी ख़ुराकें ले लीं’.
वर्धन ने कहा कि ‘इन ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयानबाज़ियों’ के नतीजे में ‘कुछ कांग्रेस-शासित सूबों में, वरिष्ठ नागरिकों और फ्रंटलाइन वर्कर्स तक में, टीकाकरण की कवरेज राष्ट्रीय औसत से कम रही. कृपया ग़ौर करें कि यही राज्य, कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में, सबसे अधिक योगदान देने वाले बन गए हैं’.
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‘तथ्यात्मक अशुद्धियां’
वर्धन ने ये भी कहा कि मोदी सरकार, सिंह के सुझावों को सही भावना से लेगी, भले ही ‘आपकी पार्टी नकारात्मकता फैला रही हो’.
वर्धन ने कहा, ‘लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि जिन लोगों ने, आपका पत्र लिखा या आपको सलाह दी, उन्होंने ऐसी सामग्री के बारे में आपको गुमराह किया, जो पब्लिक डोमेन में है, और इस तरह आपकी प्रतिष्ठा को बेहद नुक़सान पहुंचाया है’. वर्धन ने ये भी दावा किया कि सिंह के पत्र में, कुछ ‘तथ्यात्मक अशुद्धियां’ हैं.
स्वास्थ्य मंत्री ने ये भी कहा, कि सिंह के दो सुझावों पर पहले ही अमल किया जा चुका है: यूएसएफडीए/यूरोपियन मेडिकल एजेंसी की मंज़ूरी प्राप्त विदेशी वैक्सीन्स को, ब्रिजिंग ट्रायल के बिना आयात करने की अनुमति दी जाए, और वैक्सीन के उत्पादन के लिए रिआयतें दी जाएं.
पत्र में कहा गया है, ‘महामारी के खिलाफ लड़ाई में हम आपसे, निरंतर सहयोग का अनुरोध करते हैं, और ऐसे बहुत से दूसरे ज्ञानवर्द्धक सुझावों का स्वागत करते हैं. लेकिन, हम अपेक्षा करते हैं कि एक वरिष्ठ नेता होने के नाते, कि आप यही सलाह और समझ, ख़ुद अपनी पार्टी के नेताओं को भी देंगे’.
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सिंह का 5-सूत्री नुस्ख़ा
पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में, सिंह ने कहा था कि महामारी से लड़ने के लिए, बहुत से क़दम उठाए जा सकते हैं, लेकिन ‘इस प्रयास का एक बड़ा हिस्सा, टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ाना होना चाहिए’.
अपनी 5-सूत्री गाइड में, पूर्व पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार को, अगले 6 महीने के लिए वैक्सीन ऑर्डर्स का प्रचार करना चाहिए, और पहले से ऑर्डर्स देने चाहिएं, जिनका निर्माता पालन कर सकें. उन्होंने ये भी सुझाव दिया कि सरकार, ‘एक पारदर्शी फार्मूले के आधार पर’, संकेत दे कि राज्यों को कितनी वैक्सीन्स की आपूर्ति की जाएगी.
सिंह ने ये भी सुझाव दिया कि और अधिक निर्माताओं को, वैक्सीन्स के उत्पादन के लिए लाइसेंस दिए जाने चाहिएं, ताकि घरेलू मांग पूरी की जा सके. उन्होंने ये भी कहा कि विदेशों में निर्मित, और ज़रूरी मंज़ूरियां हासिल की हुई वैक्सीन्स को, ब्रिज़िंग ट्रायल्स से गुज़रे बिना, तुरंत आयात किया जाना चाहिए.
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