उधमपुर (जम्मू-कश्मीर), 15 मार्च (भाषा) जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (जीओसी-इन-सी) लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने मंगलवार को कहा कि सेना का उत्तरी कमान निरंतर बदलते खतरों और चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
कमांडर ने यहां आयोजित एक अलंकरण समारोह में बहादुर अधिकारियों और अन्य रैंक के सैनिकों को वीरता पुरस्कार एवं उत्कृष्ट सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया।
कमांडर ने कहा, ‘‘उत्तरी कमान में सुरक्षा की स्थिति अस्थिर बनी हुई है और हम एक मात्र कमान हैं जिसे हर पल तैयार रहना पड़ता है, क्योंकि आंतरिकत सुरक्षा खतरों के अलावा उत्तरी और पश्चिमी मोर्चे पर भी हमें विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘निरंतर बदलते खतरों और चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना के उत्तरी कमान की व्यापक तैयारी है।’’
उन्होंने कहा कि सभी रैंक में असाधारण उत्साह और प्रेरणा उन्हें आश्वस्त करती हैं कि सीमा की सुरक्षा सुरक्षित हाथों में है।
ले. जनरल द्विवेदी ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं के लिए 2021 बहुत ही महत्वपूर्ण साल रहा, क्योंकि सैन्यकर्मियों ने उत्तरी सीमा पर बेहतरीन तरीके से समन्वित और आक्रामक जवाबी रणनीति के तहत असाधारण बहादुरी का परिचय दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सैन्यबलों ने परीक्षा की इन घड़ियों में अनुकरणीय साहस और पौरुष का परिचय दिया है। मैं, ‘ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ जैसे अभियानों में अपनी जान की बाजी लगा देने वाले वीर जवानों के प्रति दिल से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं।’’
उन्होंने कहा कि सेना भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए कृत संकल्पित है और सीमा समस्याओं के समाधान के लिए सैन्य और राजनयिक दोनों स्तर पर संरचनात्मक बातचीत में विश्वास रखती है।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सद्भावना’ ने सशस्त्र बलों और लोगों के बीच की खाई पाटने का काम किया है, जिसके परिणामस्वरूप नागरिकों और सेना के बीच बेहतर एकीकरण और समन्वय स्थापित हुआ है।
उन्होंने सम्मान प्राप्त करने वाले सभी सैन्यकर्मियों एवं उनके परिवार को बधाई भी दी।
उन्होंने उत्तरी कमान के सभी रैंक को आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के मोर्चे पर विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा।
ले.जनरल द्विवेदी ने उदार सहयोग देने के लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों एवं नागरिक प्रशासन का आभार व्यक्त किया और इन क्षेत्रों में शांति एवं लोगों के भीतर संतुष्टि के भाव की कामना भी की।
भाषा सुरेश प्रशांत
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