नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) पेगासस स्पाइवेयर से कथित तौर पर प्रभावित केवल दो व्यक्तियों ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित तकनीकी समिति को अपने मोबाइल फोन सौंपे हैं, जिसके कारण समिति को समय-सीमा बढ़ानी पड़ी है ताकि और भी लोग आगे आ सकें।
तकनीकी समिति ने अब यह समय सीमा आठ फरवरी कर दी है, ताकि यदि किन्हीं और को संदेह है कि उनके फोन में पेगासस स्पाइवेयर सेंध लगाई गई है तो वे समिति से संपर्क कर सकते हैं।
यह निर्णय पेगासस स्पाइवेयर मामले में हालिया आरोपों के बीच लिया गया है। न्यूयार्क टाइम्स में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने 2017 में इजरायल के साथ दो अरब डॉलर के रक्षा सौदों के हिस्से के तौर पर पेगासस स्पाइवेयर प्राप्त किया था।
तकनीकी समिति की ओर से बृहस्पतिवार को प्रमुख समाचार पत्रों में जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि उसकी पहली अपील के दौरान केवल दो व्यक्तियों ने अपने मोबाइल फोन समिति को सौंपे हैं ताकि उसकी डिजिटल छवि ली जा सके।
नोटिस में कहा गया है, ‘‘इसलिए तकनीकी समिति एक बार फिर उन सभी से आठ फरवरी तक समिति से सम्पर्क का अनुरोध करती है जिनके पास यह मानने का पर्याप्त कारण मौजूद है कि उनके मोबाइल फोन पेगासस स्पाइवेयर से प्रभावित हैं। उन्हें ईमेल के जरिये आठ फरवरी 2022 को या उससे पहले यह बताना होगा कि आखिर वह ऐसा क्यों मानते हैं कि उनके मोबाइल पेगासस स्पाइवेयर से प्रभावित हैं।’’
पिछले माह जारी नोटिस में सात जनवरी, 2022 तक की समय सीमा निर्धारित की गयी है।
अपने नवीनतम सार्वजनिक नोटिस में, समिति ने कहा कि सूचना प्राप्त होने पर, यदि समिति को आगे की जांच की आवश्यकता महसूस होती है, तो वह मोबाइल फोन की जांच कराने और डिजिटल तस्वीर लेने के लिए उस व्यक्ति को बुला सकती है।
भाषा सुरेश सुभाष
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