नई दिल्ली/कोलकाता: सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया में श्रमिकों की तीन दिन की हड़ताल के कारण उत्पादन में औसतन प्रतिदिन 56 प्रतिशत का नुकसान हुआ. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
कोल इंडिया के मजदूर नेताओं ने इससे पहले दावा किया था कि हड़ताल के दौरान कोयला उत्पादन में काफी कमी आई.
कोयला क्षेत्र को वाणिज्यिक खनन के लिए खोलने के सरकार के कदम के विरोध में मजदूर संगठन गुरुवार से शनिवार तक हड़ताल पर थे.
इन तीन दिनों में कोल इंडिया द्वारा औसतन प्रतिदिन 5,73,000 टन उत्पादन किया गया, जो पिछले 10 दिनों के औसत उत्पादन (22 जून से एक जुलाई तक) का 44 प्रतिशत है.
कोयला मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि हड़ताल के दिनों में भी उत्पादन होता रहा, क्योंकि कोल इंडिया में लगभग एक लाख ठेका मजदूर कार्यरत हैं.
अधिकारी ने कहा कि तीन दिनों की हड़ताल में सबसे अधिकत उत्पादन मंगलवार को हुआ.
अधिकारी ने कहा कि शनिवार को सीआईएल द्वारा 6,83,000 टन कोयला उत्पादन हुआ, जो पिछले 10 दिनों के औसत का 53 प्रतिशत है.
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इस बीच कोयला क्षेत्र के पांच मजदूर संगठनों ने खनन क्षेत्रों के आसपास को लोगों को अपने साथ जोड़ना शुरू किया है, ताकि सरकार के फैसले के खिलाफ जनमत तैयार किया जा सके.
इसके अलावा मजदूर संगठनों ने 18 अगस्त को एक दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला भी किया है. इस दिन ही निजी कंपनियों द्वारा 41 ब्लॉक के लिए बोली जमा करने की अंतिम तारीख है.
बीएमएस नेता बी के राय ने कहा, ‘हम पीछे नहीं हट रहे हैं. वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए हमने विरोध के लिए स्थानीय लोगों को लामबंद करने का फैसला किया है.’
उन्होंने बताया कि सभी पांच मजदूर संगठनों ने शनिवार को हुई एक बैठक में 18 अगस्त को एक दिन की हड़ताल करने का फैसला किया.