scorecardresearch
Sunday, 13 October, 2024
होमदेशजलवायु परिवर्तन का जानवरों पर मनुष्यों से अधिक प्रभाव पड़ रहा है : रिसर्च

जलवायु परिवर्तन का जानवरों पर मनुष्यों से अधिक प्रभाव पड़ रहा है : रिसर्च

रिसर्च में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से खतरे में पड़ने वाले जानवरों में चमगादड़, जेब्राफिश, स्टोनी क्रीक मेंढक, कोआला, अफ्रीकी हाथी, मुर्गियां और डेयरी गाय को शामिल किया गया था.

Text Size:

नई दिल्ली: हाल ही में एक रिसर्च से पता चला है कि जानवरों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मनुष्यों से अधिक पड़ रह है. जलवायु परिवर्तन के कारण उनके व्यवहार, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य में काफी अंतर देखने को मिल रहा है.

यह रिसर्च सीएबीआई में प्रकाशित हुआ था. अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. इस रिसर्च में घरेलू पालतू जानवरों के अलावा चिड़ियाघरों और जंगलों में रहने वाले जानवरों को शामिल किया गया था.

रिसर्च में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से खतरे में पड़ने वाले जानवरों में चमगादड़, जेब्राफिश, स्टोनी क्रीक मेंढक, कोआला, अफ्रीकी हाथी, मुर्गियां और डेयरी गाय और कुत्तों को शामिल किया गया था.

हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि अलग अलग जानवर जैविक रूप से अलग अलग प्रतिक्रिया करते हैं और इसमें कई भिन्नताएं भी हैं. यह अध्ययन पशु कल्याण पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का एक व्यापक अवलोकन देता है. इसमें स्थलीय और जलीय दोनों प्रकार के पशु समूहों पर शोध किया गया है. साथ ही इसमें वन्यजीव और पालतू दोनों प्रजातियां शामिल हैं.

मुख्य शोधकर्ता और ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में कृषि और खाद्य विज्ञान स्कूल में पशु विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. एडवर्ड नारायण ने कहा, “शोधकर्ताओं ने जानवरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की बड़े पैमाने पर जांच की है. जलवायु परिवर्तन और पशु कल्याण के बीच सीधा संबंध, विशेष रूप से जंगली जानवरों के संदर्भ में, मौजूदा अध्ययनों में अपेक्षाकृत कम है, लेकिन यह मनुष्यों से अधिक है.”

उन्होंने कहा, “इस समीक्षा में, हमारा रिसर्च ग्रुप – द स्ट्रेस लैब – जलीय और स्थलीय दोनों प्रकार में विभिन्न देशों के वन्यजीवों और पालतू जानवरों के उदाहरणों की एक श्रृंखला देता और पशु कल्याण के पांच क्षेत्रों में से प्रत्येक पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अवलोकन करता है.”

उन्होंने आगे कहा, “हमें उम्मीद है कि भविष्य के शोधकर्ता पशु कल्याण डोमेन का उपयोग यह मूल्यांकन करने के लिए करेंगे कि जलवायु परिवर्तन जानवरों पर कैसे प्रभाव डालता है, और आगे के शोध जानवरों को जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से बचाने में मदद करेंगे.”

इसमें एक पुराने शोध पर भी बात की गई है जिसमें कहा गया है कि कैसे गर्मी के तनाव के कारण डेयरी गायों के दूध उत्पादन में 35 प्रतिशत की कमी आई है. गर्मी का तनाव स्तनपान, प्रतिरक्षा और बछड़े के स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डालता है.

हालांकि, शोधकर्ताओं का सुझाव है कि गायों की गतिविधि की निगरानी करने से गर्मी के तनाव का पता लगाने में मदद मिलती है. 

यह भी तर्क दिया गया है कि चार दिनों तक गर्म परिस्थितियों में रखे गए ब्रॉयलर मुर्गियों में नेक्रोसिस के अधिक मामले सामने आए – जिससे उनके जीवन और मांस की गुणवत्ता कम हो गई. 

पक्षियों में गर्मी को नियंत्रित करने की क्षमता सीमित होती है क्योंकि उनमें पसीने की ग्रंथियां नहीं होती हैं. इसके कारण वह हांफने लगती है.

वैज्ञानिकों ने बताया कि सूखा और संसाधनों की कमी भी हाथियों की मौत के प्रमुख कारणों में से एक है. उनका तर्क है कि सबसे बड़े स्थलीय स्तनपायी के रूप में, अफ्रीकी हाथी को दैनिक भोजन और पानी की महत्वपूर्ण आवश्यकताएं होती हैं.

लेकिन जैसे-जैसे सूखा लगातार और पूर्वानुमानित होता जा रहा है, पानी और वनस्पति की उपलब्धता में गिरावट आ रही है, हाथियों की गर्मी और पोषण तनाव बढ़ रहा है, जो हाथियों के मृत्यु दर को बढ़ा रहा है.

अध्ययन में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि कोआला सहित मार्सुपियल की कई प्रजातियों में जनसंख्या में गिरावट के लिए जलवायु परिवर्तन को एक प्रमुख कारक के रूप में पहचाना गया है.

बढ़ते औसत तापमान का मतलब है कि कोआला जैसी प्रजातियों को ऐसे खाद्य स्रोत का उपयोग करके शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करने की आवश्यकता होगी जो वर्तमान जलवायु परिवर्तन अनुमानों के कारण गुणवत्ता में कम हो गई है.

और वैज्ञानिकों के अनुसार, घरेलू बिल्ली और कुत्ते भी जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं. उदाहरण के लिए, वे कहते हैं कि कुत्तों की कुछ नस्लें हीट स्ट्रोक के प्रति संवेदनशील होती हैं, जबकि गर्मी से संबंधित बीमारियां सेना में काम करने वाले कुत्तों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण हैं.

यूके में सभी कुत्तों में से लगभग आधे अधिक वजन वाले हैं, जिसका एक कारण अपर्याप्त व्यायाम है. रिसर्च में बताया गया है कि 87% मालिकों ने कहा कि वे गर्म मौसम के दौरान अपने कुत्तों को कम व्यायाम कराते हैं. वैश्विक तापमान में वृद्धि से कुत्तों के स्वास्थ्य में गिरावट आने की संभावना है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे कुत्तों के व्यवहार में बदलाव भी आ सकता है.


यह भी पढ़ें: ‘द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों के लिए अकेले लड़े थे’ – इटली ने नाइक यशवंत घाडगे को दिया सम्मान


 

share & View comments