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Tuesday, 30 September, 2025
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स्पष्ट, पारदर्शी कानून लोकतंत्र की नींव : लोकसभा अध्यक्ष बिरला

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चंडीगढ, 26 सितंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि विधेयकों का मसौदा तैयार करना लोकतंत्र की आत्मा है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्पष्ट, सरल और पारदर्शी कानून लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाते हैं तथा शासन में नागरिकों का विश्वास मजबूत करते हैं।

बिरला ने कहा कि कानूनों को बदलते समय के साथ बदलना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘उचित प्रशिक्षण के साथ, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भविष्य के कानून अधिक कल्याणकारी और समाज की जरूरतों के प्रति संवेदनशील हों।’’

बिरला ने हरियाणा विधानसभा द्वारा संवैधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान, लोकसभा के सहयोग से यहां सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में, ‘लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग एंड कैपिसिटी बिल्डिंग’ पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन किया।

उद्घाटन सत्र में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष यू टी खादर फरीद और हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष कृष्ण लाल मिड्ढा ने भाग लिया।

बिरला ने यह भी याद दिलाया कि पहले विधायी विभागों में कई अनुभवी विशेषज्ञ होते थे, लेकिन समय के साथ उनकी संख्या कम होती गई।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस अंतर को पाटने के लिए विधेयकों का मसौदा तैयार करने के लिए नियमित प्रशिक्षण को महत्व दिया है।

बिरला ने कहा कि अगर कोई कानून स्पष्ट, पारदर्शी और सरल है, तो वह नागरिकों के लिए सचमुच उपयोगी होता है। उन्होंने कहा कि मसौदा तैयार करने के दौरान की खामियां न्यायिक जांच के दौरान कानूनों के उद्देश्य को कमजोर कर देती हैं।

सैनी ने कहा कि स्पष्ट और सुव्यवस्थित कानून ही किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की असली ताकत होते हैं।

उन्होंने कहा कि कानून बनाते समय भविष्य की चुनौतियों और तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखना भी उतना ही जरूरी है।

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने कहा कि विधेयकों का मसौदा तैयार करना एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है नीति को औपचारिक और कानूनी भाषा में परिवर्तित करना ताकि वह स्पष्ट, सटीक और आसानी से समझ में आने वाला कानून बन सके।

कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष यू टी खादर फरीद ने कहा कि किसी भी कानून की आत्मा उसके मसौदा में निहित होती है और प्रयुक्त भाषा सरल तथा सभी के लिए आसानी से समझ में आने वाली होनी चाहिए।

भाषा सुभाष दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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