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Sunday, 22 December, 2024
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मुख्य न्यायाधीश को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट

रविवार को समिति की पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि सीजेआई के दफ्तर में पूर्व कर्मचारी के आरोपों में कोई तथ्य नहीं है.

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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली आतंरिक समिति ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट दे दी है. रविवार को समिति की पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि सीजेआई के दफ्तर में पूर्व कर्मचारी के आरोपों में कोई तथ्य नहीं है.

सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में एक कमेटी गठित की थी जिसमें जस्टिस इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बैनर्जी शामिल थीं. जस्टिस मल्होत्रा जस्टिट एनवी रमन्ना की जगह आई थीं. रमन्ना सुप्रीम कोर्ट की तीसरी सबसे वरिष्ठ जज हैं और उन्होंने स्वयं को केस से तब दूर कर लिया था जब शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि वे मुख्य न्यायाधीश के करीबी हैं.

ये नोटिस सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर लगााया गया है और इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट को दूसरे सबसे वरिष्ठ जज को सौंपा गया है और चूंकि ये इनहाउस कमेटी की रिपोर्ट है इसे सार्वजनिक करना ज़रूरी नहीं है.


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सीजेआई को क्लीन चिट उस रिपोर्ट के बाद मिली है, जिस पर शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के बीच असंतोष था. द इंडियन एक्सप्रेस में रिपोर्ट किया गया था कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ जो 2022 में भारत के मुख्य न्यायाधीश हो सकते हैं, उन्होंने पैनल को यह सुझाव देते हुए लिखा था कि मामले में शिकायतकर्ता के जांच से बाहर चले जाने के बाद कार्यवाही को रोक दिया जाए.

19 अप्रैल को शीर्ष अदालत के एक पूर्व कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि सीजेआई गोगोई ने उसका यौन उत्पीड़न किया था, जब वह उनके आवास पर काम करती थी. इन आरोपों के महज एक दिन बाद एक इन-हाउस समिति का गठन किया गया था.

शिकायतकर्ता ये कहकर कार्यवाही से बाहर निकल गई थी कि समिति का वातावरण बहुत भयावह था और उसने मंगलवार को अपने बयान में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों और मेरे वकील या किसी जानकार की मौजूदगी के बिना सामना करने और पूछताछ किए जाने के कारण मैं बहुत घबरा गई थी’

कार्यवाही के तीसरे दिन शिकायत पर फैसला आया. शिकायतकर्ता ने अपने बयान में कहा कि वह बहार चले जाने लिए मजबूर थी क्योंकि समिति आरोपों को तवज्जों नहीं दे रही थी. क्योंकि उनको लगता है कि यह एक सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की सामान्य शिकायत थी- और इसलिए इसमें ऐसी प्रक्रिया को अपनाने की आवश्यकता थी जो अत्यधिक असमान परिस्थितियों में निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित कर सके.

एक दिन बाद, सीजीआई गोगोई पैनल के सामने उपस्थित हुए और पूछताछ की प्रक्रिया में हिस्सा लिया. दिप्रिंट को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन हाउस कमेटी ने कार्यवाही को पूर्व पक्ष में जारी रखने का निर्णय लिया और सीजीआई को नोटिस भेजा, जिसका उसने जवाब दिया.

सूत्रों ने बताया कि मीटिंग दो घंटे तक चली थी. गोगोई ने पहले की तरह सभी आरोपों का खंडन करते हुए महिला से मिलने की किसी भी संभावना से इंकार कर दिया. पैनल के सामने पेश होने से पहले सीजीआई के सामने एक प्रशानावली भी रखी गई.


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यह था मामला

पिछले हफ्ते सर्वोच्च न्यायालय ने एक आंतरिक समिति गठित की थी जो कि मुख्य न्यायाधीश गोगोई पर उनके ही स्टाफ की एक पूर्व सदस्य द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही थी. ये महिला गोगोई के घर पर स्थित कार्यालय में काम करतीं थी. महिला की शिकायत थी की मामले में उसको अपना वकील लाने की अनुमति नहीं दी गई. प्रक्रिया का ऑडियो और वीडिया रिकॉर्डिंग भी नहीं की जा रही. साथ ही उनकी शिकायत की सुनवाई के लिए जो प्रक्रिया इंक्वाइरी कमेटी ने अपनाई थी- उसके बारे में उन्हें नहीं बताया गया था.

 

पूर्व कर्मचारी ने उस फोन के कॉल रिकार्ड मांगे थे जिससे वो मुख्य न्यायाधीश से बात करतीं थी, उसे भी नहीं मंगाया गया. उन्होंने कहा, कि ‘उसी अर्जी को कमिटी ने 30 अप्रैल 2019 को फिर सुना. मैं बेबस और व्यथित महसूस कर रहीं हूं और मैं इस सुनवाई में आगे भाग नहीं ले सकती.’

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