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Sunday, 22 December, 2024
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नागरिकता संशोधन कानून पर जामिया और जेएनयू से शुरू हुआ छात्रों का विरोध, देश के कई विश्वविद्यालयों में पहुंचा

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के खिलाफ देशभर में विरोध हो रहा है. केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत देश के कई शिक्षण संस्थान इस कानून के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. 

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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के खिलाफ देशभर में विरोध हो रहा है. केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत देश के कई शिक्षण संस्थान इस कानून के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. रविवार को देश की राजधानी स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया में हुई पुलिसिया कार्रवाई के बाद देशभर के कई विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं सड़कों पर उतर आए हैं.

रविवार शाम को दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पुलिस और छात्रों के बीच हुई झड़प में कई लोग घायल हो गए. जामिया विश्वविद्यालय से सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस छात्रों पर लाठियां बरसा रही है. छात्रों का कहना है कि पुलिस ने उनके साथ बर्बरतापूर्ण सुलूक किया है.

ये मसला सिर्फ एक विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं है. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी पिछले दिनों प्रदर्शन देखने को मिला जिसमें छात्र सड़कों पर उतरे और पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज की.

केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर को लोकसभा में और 11 दिसंबर को राज्य सभा से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित करा लिया. संसद से बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये बिल कानून बन गया.

नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यक समुदाय ( हिंदू, मुस्लिम, सिख, पारसी, ईसाई, जैन) के लोगों को नागरिकता दी जाएगी. सरकार का कहना है कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को प्रताड़ित किया जाता है. इसलिए भारत उन्हें नागरिकता दे रहा है.

बिल के कानून बन जाने के बाद पूर्वोत्तर भारत में उग्र प्रदर्शन हो रहा है. वहां के लोगों की मूल चिंता है कि इस कानून से उनकी संस्कृति और भाषा पर फर्क पड़ेगा. इसलिए वो अपने अस्तित्व को बचाने के लिए ये प्रदर्शन कर रहे हैं.


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इस कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में छात्र बड़ी तादाद में शामिल हैं. देश भर के कई विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन हो रहे हैं.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय

नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बन जाने के बाद जामिया के छात्रों ने इसके खिलाफ शुक्रवार को प्रदर्शन करना शुरू किया. प्रदर्शन के पहले दिन छात्र संसद भवन तक मार्च करने वाले थे. लेकिन पुलिस ने उन्हें कैंपस में ही रोक दिया. उस दौरान उन पर लाठियां भी चलाई गईं. इसके अगले दिन फिर से विश्वविद्यालय परिसर में हंगामा हुआ. इस बार पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और फिर से लाठियां बरसाईं. शाम होते-होते माहौल काफी बिगड़ गया.

रविवार को दिल्ली में कई बसें और गाड़ियां जलने की भी घटनाएं सामने आईं. पुलिस का कहना है कि छात्रों द्वारा बसें जलाई गईं. वहीं दूसरी तरफ छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने खुद ही बसों में आग लगाई थी. लेकिन अगर प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो छात्रों के इस आंदोलन में बाहरी अराजक लोग भी शामिल हो गए जिसके बाद हंगामा और बढ़ गया.

रविवार शाम को दिल्ली पुलिस जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पुस्तकालय में घुस गई और वहां पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठियां बरसाईं. छात्रों का आरोप है कि उन्हें पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर मारा, इस दौरान काफी छात्रों को चोटें आईं. घायल छात्रों को अस्पताल मे भर्ती कराया गया है.

इस घटना के बाद छात्र अपने-अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं. सुबह ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिली जब छात्र अपने बैग लेकर घरों की तरफ लौट रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ छात्र अपनी शर्ट उतारकर विश्वविद्यालय के गेट के पास प्रदर्शन भी कर रहे हैं.

जामिया की उप-कुलपति नज़मा अख्तर का कहना है कि पुलिस ने छात्रों और प्रदर्शनकारियों में कोई फर्क नहीं किया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में घुसने के लिए पुलिस ने कोई इजाजत नहीं लीं. वहीं दूसरी तरफ जामिया छात्र संघ ने प्रेस रीलीज निकालकर कहा कि जामिया के छात्र हिंसक प्रदर्शन में शामिल नहीं है.

चित्रण : अरिंदम मुखर्जी/दिप्रिंट

बीती रात हुई इस घटना के बाद राजनीति में भी काफी हलचल देखने के मिली. भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत कई पार्टियों ने एक दूसरे पर जुबानी हमले करने शुरू कर दिए.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

लगभग डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से जेएनयू के छात्र फीस वृद्धि की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद जेएनयू के छात्रों ने कैंपस से ही इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया. छात्रों का कहना है कि ये कानून देश के संविधान के खिलाफ है.

जामिया में हुई घटना पर जेएनयू के छात्र संघ ने निंदा की है. रविवार रात दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के बाहर जेएनयू समेत दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कई जगहों से आए छात्रों और लोगों ने प्रदर्शन किया और जामिया में हुई घटना का विरोध किया.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

जेएनयू और जामिया से शुरू हुआ प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तक भी पहुंच गया. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन रविवार रात वहां पर भी शुरू हो गया. पुलिस द्वारा वहां भी लाठीचार्ज की गई. अलीगढ़ से कुछ ऐसे भी वीडियो सामने आए हैं जिसमें पुलिस मोटरसाइकिलों और स्कूटरों को अपने डंडे से तोड़ रही है.

बढ़ते गतिरोध के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने 5 जनवरी तक के लिए एएमयू को बंद कर दिया है. प्रशासन की तरफ से आई जानकारी के अनुसार 5 जनवरी के बाद ही परीक्षाएं शुरू होंगी. बढ़ते विरोध को देखते हुए प्रशासन ने आज रात 10 बजे तक इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी हैं.

मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के छात्र भी सड़क पर उतर आए हैं. जामिया के छात्रों के समर्थन में एमएएनयूयू के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं.


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नदवा कॉलेज, लखनऊ

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्रसिद्ध नदवा कॉलेज में भी छात्र नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. पुलिस ने कॉलेज के मुख्य द्वार को बाहर से बंद कर दिया है.

कॉलेज में जामिया के छात्रों के समर्थन में भी नारे लगाए गए. लखनऊ एसपी कलानिधि नैथानी ने कहा, ‘करीब 150 लोगों आए और लगभग 30 सेकेंड तक पत्थरबाज़ी की और नारे लगाए. अब स्थिति सामान्य है. छात्र अपनी कक्षाओं में लौट गए हैं.’

आईआईटी मद्रास

उत्तर भारत के साथ-साथ इस कानून के खिलाफ और जामिया में छात्रों के साथ हुई घटना के बाद दक्षिण भारत से भी आवाज़ उठनी शुरू हो गई है. तकनीक के सबसे बड़े संस्थानों में से एक आईआईटी मद्रास के छात्र भी जामिया के छात्रों के साथ समर्थन करते हुए नारे लगा रहे हैं और नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने शांति बनाएं रखने की अपील की

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद हसन रिज़वी ने जामिया और एएमयू में हो रहे प्रदर्शन पर कहा, ‘मैं प्रदर्शनकारियों से अपील करता हूं कि ऐसे प्रदर्शन न करें. मैं पुलिस से भी अपील करता हूं कि वो शांतिपूर्वक इस मसले से निपटें.’

उन्होंने कहा, ‘मैं प्रदर्शनकारियों से कहना चाहता हूं कि नागरिकता संशोधन कानून भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है इसलिए प्रदर्शन न करें. अगर वो कर भी रहें हैं तो शांतिपूर्वक करें. अगर आयोग को लगेगा कि नोटिस जारी करना चाहिए तो वो करेगा.’

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

नागरिकता संशोधन कानून संसद में पारित होने के बाद अब न्यायालय की चुनौती का सामना कर सकता है. कानून पारित होने के बाद कई लोगों ने इसको चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

भाजपा की पूर्व सहयोगी रही शिवसेना ने भी इस कानून की आलोचना की है और कहा है कि ये सावरकर के विचारों के खिलाफ है.

पूर्वोत्तर भारत में भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद भी इस कानून के विरोध में है.


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वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ के सामने सोमवार को कहा कि जामिय के मामले पर सज्ञान लें. लेकिन बोबडे ने कहा कि वो ऐसे माहौल में इस पर सुनवाई नहीं कर सकते.

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