गुवाहाटी, नौ जून (भाषा) असम की राजधानी गुवाहाटी में फ्लाईओवर निर्माण के लिए दर्जनों पेड़ों की कटाई को लेकर प्रतिष्ठित व्यक्तियों और स्थानीय निवासियों ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की।
कॉटन विश्वविद्यालय के छात्रों ने पेड़ों की कटाई के विरोध में अपने परिसर से अंबारी क्षेत्र तक मार्च निकाला, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में रोक दिया।
सरकार गुवाहाटी में, 5.05 किलोमीटर लंबा चार लेन वाला फ्लाईओवर दिघलीपुखुरी तालाब से नूनमाटी तक बना रही है, जिसकी लागत 852.68 करोड़ रुपये है। इसे 2026 तक चालू करने की योजना है। यह शहर का अब तक का सबसे लंबा फ्लाईओवर होगा।
रविवार को आयोजित एक प्रेस वार्ता में प्रमुख बुद्धिजीवियों और विद्वानों ने अंबारी और दिघलीपुखुरी क्षेत्रों में सैकड़ों वर्ष पुराने कई पेड़ों की कटाई और कथित स्थानांतरण की कड़ी निंदा की।
साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त असमिया साहित्यकार डॉ. हीरेन गोहाईन ने अपनी निराशा व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ‘हमें पारदर्शिता की कमी और अलोकतांत्रिक तरीकों को लेकर चिंता है। पेड़ों की कटाई और तथाकथित स्थानांतरण की गतिविधियां गुप्त रूप से, अक्सर रात के अंधेरे में की जा रही हैं।’
पिछले साल भी अक्टूबर-नवंबर में शहर के निवासियों ने इस परियोजना के लिए सरकार की करीब 25 पेड़ों को काटने की योजना के विरोध में आंदोलन किया था। काटे जाने वाले पेड़ों में से कुछ तो करीब 200 साल पुराने थे।
इस मामले में गौहाटी उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर संज्ञान लिया और फिर सरकार ने आश्वासन दिया कि कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा तथा ऐतिहासिक इलाके को ध्यान में रखते हुए फ्लाईओवर की लंबाई कम की जाएगी।
फिलहाल प्राधिकारियों ने असम टेक्सटाइल इन्स्टीट्यूट, पुरातत्व निदेशालय और रवीन्द्र भवन के परिसरों में, जीएनबी रोड के किनारे लगे पेड़ दो तीन दिन से काटना शुरू किया है।
भाषा
योगेश वैभव मनीषा
मनीषा
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