नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस महीने के अंत में भारत की यात्रा कर सकते हैं, लेकिन इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। यह जानकारी इस मामले से अवगत लोगों ने बुधवार को दी।
संभावित यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय या चीन की सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यदि यह यात्रा होती है, तो यह मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच गतिरोध शुरू होने के बाद चीन के किसी वरिष्ठ नेता की भारत की पहली यात्रा होगी। पता चला है कि यात्रा का प्रस्ताव चीन की ओर से आया था और वांग चार देशों की अपनी यात्रा के तहत नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की भी यात्रा करना चाहते हैं।
नेपाल के ‘काठमांडू पोस्ट’ ने मंगलवार को बताया कि वांग दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर 26 मार्च को नेपाली राजधानी पहुंचने वाले हैं।
यह स्पष्ट नहीं है कि वांग की नयी दिल्ली की संभावित यात्रा काठमांडू की यात्रा के बाद होगी या उससे पहले। पिछले डेढ़ साल में, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वांग ने पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए मॉस्को और दुशांबे में कई दौर की बातचीत की।
सितंबर 2020 में, जयशंकर और वांग ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन के इतर मास्को में व्यापक बातचीत की थी, जिस दौरान वे पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध को हल करने के लिए पांच सूत्री सहमति पर पहुंचे थे।
इसमें सैनिकों को जल्दी पीछे हटाने, तनाव को बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचने, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाल करने के कदम जैसे उपाय शामिल थे।
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने पिछले साल जुलाई में ताजिकिस्तान के राजधानी शहर दुशांबे में एससीओ की एक अन्य बैठक के इतर द्विपक्षीय बैठक भी की थी, जिसमें सीमा रेखा पर ध्यान केंद्रित किया गया था। वे सितंबर में दुशांबे में फिर मिले।
भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। पिछले हफ्ते विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इस पर फिर जोर दिया था।
श्रृंगला ने कहा था, ‘‘हमने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि हमारे संबंधों के विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति आवश्यक है। भारत-चीन संबंधों का विकास ‘तीन पारस्परिक’- आपसी सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और पारस्परिक हित पर आधारित होना चाहिए।’’
इस महीने की शुरुआत में, वांग ने परोक्ष तौर पर अमेरिका की ओर इशारा करते हुए कहा था कि कुछ ताकतों ने चीन और भारत के बीच तनाव पैदा करने की हमेशा कोशिश की है।
वांग की प्रस्तावित यात्रा, यदि होती है तो उम्मीद है कि यह दोनों पक्षों को यूक्रेन में संकट पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगी।
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए 11 मार्च को भारत और चीन ने 15वीं दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता की थी।
पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हो गया था। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ ही भारी हथियारों के साथ अपनी तैनाती बढ़ा दी।
सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी।
प्रत्येक पक्ष के पास वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं।
भाषा अमित उमा
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