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सोमवार, 12 मई, 2025
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प्रधान न्यायाधीश ने याचिका की स्पष्टता पर जोर दिया

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नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने शुक्रवार को न्यायिक कार्यवाही में याचिकाओं के संक्षिप्त और स्पष्ट होने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ‘मसौदा तैयार करने की कला’ में महारत हासिल करने के लिए बहुत प्रयास की आवश्यकता होती है।

प्रधान न्यायाधीश खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि ‘थोड़ा ही अधिक है’ की कहावत को अपनाने की आवश्यकता है क्योंकि याचिकाओं में स्पष्टता वकीलों और न्यायाधीशों, दोनों के लिए फायदेमंद है।

वे ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन’ द्वारा उन्हें विदाई देने के लिए आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे।

अगले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई (जो 14 मई को 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे) ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने अपने कार्यकाल के दौरान ‘पारदर्शिता और समावेशिता’ पर जोर दिया। अपने संबोधन में न्यायमूर्ति खन्ना ने उच्चतम न्यायालय में ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि वे ना केवल सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता हैं, बल्कि देशभर के नागरिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘… एक चीज जो मुझे अब भी महसूस होती है वह यह है कि हम वास्तव में मसौदा तैयार करने की कला में महारत हासिल नहीं कर पाए हैं। मुझे लगता है कि इसके लिए बहुत प्रयास की आवश्यकता है। हमें ‘थोड़ा ही अधिक है’ की कहावत को अपनाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप जितना कम बोलेंगे, याचिकाएं उतनी ही छोटी होंगी, याचिकाएं उतनी ही स्पष्ट होंगी, याचिकाओं में जितनी स्पष्टता होगी, यह आपके और न्यायाधीशों दोनों के लिए कहीं अधिक फायदेमंद होगा, क्योंकि न्यायाधीश के रूप में हम ठीक से जानते हैं कि किस बिंदु पर बहस की जा रही है।’’

याचिकाओं को स्पष्ट करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इससे फाइलों को आसानी से पढ़ने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, ‘‘एक न्यायाधीश के रूप में मैं आपको बता सकता हूं कि आपका 50 प्रतिशत काम तभी हो जाता है, यदि फाइल पढ़ने वाले न्यायाधीश को लगता है कि कोई दृष्टिकोण है जिस पर विचार करने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि वे अपने वरिष्ठों पर निर्भर रहने के बजाय खुद ही अदालतों में मामलों पर बहस करें। उन्होंने कहा, ‘‘आपकी वादियों तक सीधी पहुंच है। वादी आपसे बात करते हैं, आप संक्षिप्त विवरण तैयार करते हैं, आप अध्ययन करते हैं, और फिर आप किसी वरिष्ठ को इसका विवरण देते हैं। आप खुद अदालत में आकर बहस क्यों नहीं करते?’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वकीलों के लिए ‘डोमेन’ और विषय वस्तु संबंधी कौशल बहुत महत्वपूर्ण हैं।

किसी मामले के तथ्यों की पूरी जानकारी रखने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 70 से 80 प्रतिशत मामलों में निर्णय तथ्यों के आधार पर लिए जाते हैं।

भाषा संतोष अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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