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Wednesday, 8 May, 2024
होमदेशसीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने संविधान की शिक्षा को किया अनिवार्य

सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने संविधान की शिक्षा को किया अनिवार्य

राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर प्रदेश के संभाग के शिक्षा आयुक्त और जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि सभी शैक्षणिक संस्थाओं में अब हर सोमवार को प्रार्थना के बाद संविधान से संबंधित विभन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

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रायपुर: देश में नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन और केंद्र सरकार के विरुद्ध संविधान की मूलभूत भावनाओं के साथ छेड़छाड़ के आरोपों के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूलों में संविधान की शिक्षा अनिवार्य कर दी है.

राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर प्रदेश के संभाग के शिक्षा आयुक्त और जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि सभी शैक्षणिक संस्थाओं में अब हर सोमवार को प्रार्थना के बाद संविधान से संबंधित विभन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

सरकार द्वारा जारी आदेश में स्कूलों में संविधान की शिक्षा का पूरा साप्ताहिक कार्यक्रम दिया गया है. आदेश के अनुसार माह के प्रथम सप्ताह में संविधान की प्रस्तावना पर चर्चा होगी वहीं दूसरे सप्ताह में संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकार, तीसरे सप्ताह में मौलिक कर्तव्य और चौथे सप्ताह में राज्य के नीति निदेशक तत्व पर चर्चा आयोजित की जाएगी. यह आदेश राज्य के सभी शासकीय और गैर शासकीय स्कूलों में लागू होगा.

दिप्रिंट से बात करते हुए प्रदेश के शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला का कहना है कि सरकार द्वारा लिए गए फैसले का मुख्य उद्देश्य सभी छात्रों जो देश का भविष्य हैं को संविधान की मूलभूत शिक्षा देना है. शुक्ला के अनुसार सरकार की मंशा है कि ‘सभी लोगों में संविधान की जानकारी हो, संविधान के प्रति जागरूकता हो, लोग खुलकर चर्चा करें और समझें की भारत का संविधान क्या है और उसकी मूल भावना क्या है.’

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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के 4 दिसंबर को समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन संविधान दिवस के अवसर पर यह घोषणा की थी कि प्रदेश के शैक्षणिक संस्थाओं में छात्र-छात्राओं को संविधान की जानकारी देने के लिए प्रत्येक सोमवार को कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि बच्चों को इसकी समुचित जानकारी हो सके.

मुख्यमंत्री की घोषणा से पहले छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ ने भी सितंबर 2019 में सरकार से यह मांग की था कि सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में सुबह प्रार्थना और राष्ट्रगान के बाद भारत के संविधान की उद्देशिका या प्रस्तावना का बच्चों को अनिवार्य वाचन कराया जाय. संघ ने इस सबंध में मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा था. संघ का तर्क था की स्कूली विद्यार्थियों में संविधान के उद्देशिका की जानकारी होना अनिवार्य हो. इससे छात्र छात्राओं में भारत के संविधान को समझने में आसानी होगी, साथ ही गणतंत्र दिवस की सामयिक सोच भी उनके अंदर जागृत होगी.

सत्ता और विपक्ष के तर्क

सरकार के इस कदम को सत्तारूढ़ कांग्रेस ने जहां एक ओर सराहनीय बताया है वहीं दूसरी ओर मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इसे वर्तमान परिस्थितियों में जनता का ध्यान भटकाने वाला कदम बताया है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार द्वारा छात्र-छात्राओं को प्रार्थना के बाद संविधान की जानकारी दिये जाने के निर्णय का स्वागत करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि ‘आज के छात्र-छात्रायें ही देश का भविष्य है. भारत के लोकतंत्र की रक्षा में संविधान सर्वोपरि है. हर व्यक्ति को संविधान की सही जानकारी होनी चाहिये. देश में हर नागरिक को अपने संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी होनी चाहिये. संविधान की सही जानकारी लोकतंत्र को सशक्त बनायेगी और नागरिकों में जिम्मेदारी की भावना और मजबूत होगी.’

दिप्रिंट से बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कहा, ‘छात्रों में संविधान की जानकारी के फैसले का स्वागत है लेकिन ऐसे समय में जब विपक्ष देश की जनता केंद्र द्वारा पारित नागरिकता कानून के खिलाफ बरगलाने में लगा है तब सरकार के आदेश पर कई शंकाएं उठती हैं. उसेंडी का कहना है कि कांग्रेस का यह निर्णय अपने विफलताओं और किसानों की समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने का एक प्रयास है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सचिदानंद उपासने कहतें हैं कि यदि राज्य सरकार छात्रों को संविधान की शिक्षा के प्रति गंभीर है तो उसकी नीयत साफ होना चाहिए और संविधान का गलत इस्तेमाल कब किसने और कैसे किया यह भी विद्यार्थियों को पढ़ाया जाना चाहिए.’

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