रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में आयकर विभाग द्वारा राज्य के कई अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी के बाद मीडिया की उस खबर को फर्ज़ी करार दिया जिसमें मुख्यमंन्त्री कार्यालय के अधिकारियों के खिलाफ शराब कारोबारियों से घूस लेने के सबूत मिलने की बात कही गई थी.
राज्य सरकार द्वारा जारी मीडिया रिलीज में मुख्यमंत्री ने आईटी विभाग के छापे के संदर्भ में प्रसारित की जा रही खबर को पूरी तरह से निराधार और फर्जी करार दिया. सरकार ने कहा, ‘एक निजी समाचार चैनल द्वारा इस संबंध में प्रसारित समाचार रिपोर्ट में मुख्यमंत्री सचिवालय के शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर कई झूठे आरोप लगाए जबकि आयकर विभाग ने 2 मार्च 2020 को जारी अपने बयान में इन आरोपों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया है.’
सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि, ‘स्पष्ट रूप से यह इस तथ्य को साबित करता है कि उपरोक्त निजी समाचार चैनल इसे छत्तीसगढ़ सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त छवि को खराब करने के अवसर के रूप में उपयोग कर रहा है. उपरोक्त समाचार रिपोर्ट पूरी तरह से अविश्वसनीय, फर्जी, आधारहीन, गलत और प्रमाणहीन है.’
विज्ञप्ति में आरोप लगाया है कि, ‘आयकर छापे के दौरान निजी न्यूज चैनल ने छत्तीसगढ़ सरकार और सरकारी अधिकारियों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए जानबूझकर फर्जी खबरें प्रसारित की और विषय को सनसनीखेज़ बनाने के उद्देश्य से तथ्यों को पूरी तरह तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया.’
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हाल ही में आयकर विभाग के करीब 150 अधिकारियों की अलग-अलग टीमों ने 27 फरवरी से 3 मार्च के बीच कई शराब कारोबारियों, नेताओं और मुख्यमंत्री कार्यालय से सबंधित वरिष्ठ अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. रायपुर, बिलासपुर, भिलाई और प्रदेश के अन्य भागों में यह कार्यवाही की गई.
जिन अधिकारियों के घर छापामारी की गई उनमें मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव अनिल टुटेजा की पत्नी का बुटीक, उप सचिव सौम्या चौरसिया का भिलाई स्थित बंगला और पूर्व मुख्य सचिव और वर्तमान में रेरा के अध्यक्ष विवेक ढांड शामिल हैं.
टुटेजा और चौरसिया बघेल के करीबी अधिकारियों में माने जाते हैं. इसके अलावा आयकर की टीमों ने रायपुर के मेयर एजाज़ ढेबर और उनके भाई अनवर ढेबर के घर भी छापा मारा था. ढेबर बंधु जो कभी पूर्व मुख़्यमंत्री अजित जोगी के नजदीकी माने जाते थे आज उनकी गिनती भूपेश बघेल के विश्वासपात्र नेताओं में होती है.
विज्ञप्ति में यह भी आरोप लगाया गया है कि, ‘समाचार चैनल द्वारा की गई रिपोर्टिंग उद्देश्यपूर्ण और निष्पक्ष होने के बजाए, अपमानजनक और पक्षपातपूर्ण थी. उपरोक्त खबर के संबंध में राज्य सरकार का बयान न तो प्रसारण से पहले मांगा गया था और न ही पत्रकारिता के पेशे की पवित्रता को कायम रखा गया. चैनल ने उच्चतम टीआरपी हासिल करने के लिए पेशे के आदर्शों को ताक पर रख दिया.’
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समाचार चैनल ने व्यवसायिकता की सीमाओं का उल्लंघन किया. यह एक प्रकार का मीडिया ट्रायल बना, जिसका एकमात्र उद्देश्य पत्रकारिता की नैतिकता के साथ समझौता करके दर्शकों को गुमराह करना था.
चैनल द्वारा झूठी खबर को प्रसारित करने पर छत्तीसगढ़ सरकार उपरोक्त चैनल के खिलाफ उपयुक्त प्रेस फोरम में शिकायत कर रही है.